पटना – एक तरफ बिहार की सियासत दिन-ब-दिन गर्म होती दिख रही है तो वहीं दूसरी तरफ बिहार में पक्ष-विपक्ष के द्वारा बयानबाजियों का दौर भी शुरू है. इस बीच बिहार में सरकार पलटने की हलचल तेज है, अब इसे लेकर राजद के सब्र का बांध भी टूट गया है. बिहार में सियासी गरमाहट के बीच राजद सांसद मनोज झा ने नीतीश कुमार से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है. उन्होंने साफ कहा है कि,मीडिया में कयासबाजी की चर्चा से आम जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है. वहीं, अब राजद भी इससे संशय की स्थिति में है.आपको बता दें कि आगे मनोज झा ने कहा कि,बिहार में महागठबंधन सरकार को लेकर जो कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है, इसपर वे नीतीश कुमार से आग्रह करते हैं कि शाम तक इसे दूर कर दें. आज ही हमारे डिप्टी सीएम ने चार जगह झंडा फहराया है. हमारी तरफ से तो सब कुछ स्पष्ट है. अब जो यह संशय मीडिया में चल रहा है, यह अब हमारे लिए भी यह संशय है और इसे दूर करने का काम इसके मुखिया (नीतीश कुमार) का है. आगे उन्होंने कहा कि,हमारी ओर से तो आप देख ही रहे हैं कि सबकुछ साफ है और कोई टिप्पणी भी नहीं हुई है.इसके साथ ही मनोज झा ने आगे कहा कि,मैं हाथ जोड़कर नीतीश कुमार से आग्रह करता हूं कि शाम तक जो कन्फ्यूजन संशय, इधर-उधर है सब स्पष्ट हो जाए, ताकि बिहार अपने हित पर, अपने युवाओं के हित पर जो चार-पांच दिन से चीजें देख रहे हैं, वो खारिज हो जाएं.अब मनोज झा के इस बयान को लेकर राजनीतिक और गरमा गई है.आपको बता दें कि इंडिया गठबंधन को एकजुट रखने में नीतीश की अहम भूमिका थी अब नीतीश के जाने के बाद यह भूमिका कौन निभाएगा? कांग्रेस खुद को इंडिया गठबंधन का स्वाभाविक नेता मानती है, लेकिन अन्य दल इसे उस तरह से नहीं देखते हैं. कम से कम तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने स्पष्ट संदेश दे दिया है. वहीं ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.साथ ही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पंजाब में अपने दम पर लड़ेगी. दिल्ली, गुजरात और हरियाणा के लिए भी आप और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पा रही है.कांग्रेस ने बिहार और बंगाल में सीटों का बंटवारा आलाकमान पर छोड़ दिया है.वहीं आपको बता दें कि,बाकी राज्यों में कांग्रेस की सहयोगी दलों से बातचीत कछुआ गति से चल रही है. लोकसभा चुनाव 2024 के कार्यक्रम की घोषणा होने में सिर्फ डेढ़ महीने बचे हैं और यह तय नहीं है कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा. वहीं, मिशन 400+ को साकार करने में पूरी तरह से जुटी बीजेपी से पहले भारतीय पार्टियों की तैयारियां अभी योजना स्तर से आगे नहीं बढ़ पाई हैं, कहीं लेटलतीफी का यह आलम कुनबे से और सदस्यों की रुखसती का कारण न बन जाए.