मुंबई- ठाणे पुलिस ने सांसद राजन विचारे की सुरक्षा में कटौती के अपने फैसले को सही ठहराते हुए बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि कोई व्यक्ति न तो अधिकार के तौर पर पुलिस सुरक्षा पाने का हकदार है और न ही यह स्वाभाविक रूप से दी जा सकती है।विचारे शिवसेना के उद्धव गुट के सांसद हैं। पुलिस उपायुक्त, ठाणे, श्रीकांत परोपकारी ने सुरक्षा कवच की बहाली की मांग करने वाली स्थानीय सांसद विचारे की याचिका के जवाब में एक हलफनामा दायर किया। हलफनामे में कहा गया, कोई व्यक्ति न तो अधिकार के रूप में पुलिस सुरक्षा का हकदार है और न ही यह स्वाभाविक रूप से दी जा सकती है। इसमें कहा गया कि प्रक्रिया के अनुसार, एक जांच की जाती है और खतरे की सीमा निर्धारित करने के बाद पुलिस सुरक्षा एवं इसकी अवधि तय की जाती है। हलफनामे में कहा गया, वर्तमान मामले में, इस प्रक्रिया का पालन करने के बाद याचिकाकर्ता की सुरक्षा कम कर दी गई थी और निर्णय विभिन्न स्तरों पर लिया गया था जैसे कि वरिष्ठ निरीक्षक, सहायक पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त और ठाणे पुलिस आयुक्त। हलफनामे में कहा गया है कि विचारे को वर्तमान में दिन के दौरान एक पुलिसकर्मी और रात में एक पुलिसकर्मी उपलब्ध कराया जाता है, जबकि पिछली व्यवस्था में प्रति पाली दो-दो पुलिसकर्मी उनकी सुरक्षा करते थे। पुलिस ने कहा कि सुरक्षा मनमाने ढंग से कम करने का विचारे का तर्क निराधार है और इसमें वैध कारण या आधार का अभाव है। न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति पी डी नाइक की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 फरवरी की तारीख तय की है। अधिवक्ता नितिन सतपुते के माध्यम से दायर अपनी याचिका में विचारे ने दावा किया था कि उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए तैनात दो कांस्टेबलों में से एक को पिछले साल अक्टूबर में हटा दिया गया था।विचारे ने अपने परिवार के सदस्यों की जान को खतरा बताते हुए कहा कि उनकी सुरक्षा बहाल की जानी चाहिए।