नई दिल्ली- दुनिया की इकलौती सारंगी अकादमी, सारंगी सांस्कृतिक अकादमी ने त्रिवेणी कला संगम में शास्त्रीय संगीतमय शाम का आयोजन किया। प्रसिद्ध सारंगी कलाकार उस्ताद नासिर खान, उनके सबसे छोटे बेटे और वैश्विक पटल पर स्थापित सारंगी कलाकार नबील खान द्वारा स्थापित सारंगी सांस्कृतिक अकादमी ने इस कार्यक्रम के जरिये प्रसिद्ध सारंगी वादक पद्मभूषण उस्ताद साबरी खान साहब को श्रद्धांजलि अर्पित की।सारंगी लिगेसी 2024′ के मंच पर प्रतिभाशाली कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुति दी। स्वयं नबील खान ने सारंगी पर सोलो परफॉर्मेंस किया। नबील ने पहले दर्शकों को भारतीय शास्त्रीय वाद्ययंत्रों की रानी सारंगी के परिचय से कराया, जिसमें सारंगी के इतिहास और अनूठी विशेषताओं पर प्रकाश डाला गया। इसके बाद पहले उन्होंने मारू बिहाग के प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया, फिर उस्ताद साबरी खान साहब की रेगिस्तान में उनके अनुभवों पर आधारित उनकी मूल रचना ‘द अराइवल ऑफ सुल्तान’ सहित अन्य रचनाएं पेश कीं। उन्होंने अपने प्रदर्शन का समापन प्रसिद्ध ‘मस्त कलंदर’ से किया, जिसने दर्शकों को झूमने पर मंत्रमुग्ध कर दिया। नबील की सारंगी से निकले स्वर को तबले पर साथ दे रहे थे प्रांशु चतुरलाल।इसके बाद, पंडित राजेंद्र प्रसन्ना के बांसुरी वादन ने संगीत प्रेमियों का ध्यान अपनी ओर खींचा। मंच पर उनका साथ दे रहे थे अभिषेक मिश्रा। पं. राजेंद्र प्रसन्ना ने बांसुरी वादन पर अपनी महारत का नमूना पेश करते हुए राग पुरिया कल्याण की प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। उन्होंने कई प्रसिद्ध कंपोजिशन पर बांसुरी वादन करते हुए राग खम्मज में ठुमरी की मनोरम प्रस्तुति से दर्शकों की जबरदस्त तालियां बटोरीं। पूरे प्रदर्शन के दौरान, दर्शकों नेे संगीत और संस्कृति की एक अविस्मरणीय शाम का लुत्फ उठाया।कार्यक्रम के बारे में नबील खान ने कहा, ‘इस फेस्टिवल के जरिये हमने सारंगी और भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध विरासत का जश्न मनाया। हम अपने संगीत को दुनिया के साथ साझा करने और भावी कलाकारों की पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए मिले इस अवसर के प्रति आभारी हैं।सारंगी लिगेसी 2024’ भारतीय शास्त्रीय संगीत की शाश्वत सुंदरता और शक्ति का एक प्रमाण था, जिसने उपस्थित सभी लोगों पर एक अमिट छाप छोड़ी।