नई दिल्ली -युद्धग्रस्त यूक्रेन से सकुशल भारत लौटे 251 छात्रों का केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आईजीआई एयरपोर्ट पर स्वागत किया। इस दौरान शेखावत ने कहा कि यह नरेंद्र मोदी की सरकार है, चाहें यूक्रेन हो, यमन हो या दुनिया में कहीं भी भारतवासी कष्ट में आएंगे, सरकार हमेशा उनके साथ में खड़ी होगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पहले दिन से सुनिश्चित करने की कोशिश की कि हमारा एक भी व्यक्ति यूक्रेन में न फंसे। हवाई जहाज में छात्रों के बीच पहुंचकर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आप सब लोग बहुत दु:ख और तकलीफ भरी हुई यादें लेकर वापस लौटे हैं। बहुत सारे लोग ऐसे होंगे, जो इस हवाई जहाज में बैठने से पहले कई दिनों से सो नहीं पाए होंगे। मुझे लगता है कि देश लौटने की खुशी में बहुत सारे लोगों को हवाई जहाज में भी नींद नहीं आई होगी। उन्होंने कहा कि आप जितनी तकलीफ में थे, जितना दु:ख देख रहे थे, सो नहीं पा रहे थे और ठीक से खाना भी नहीं खा पा रहे थे, यहां हमारे प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री, अफसर और कर्मचारी भी दिन-रात जागकर आपकी चिंता कर रहे थे। आपके लिए काम कर रहे थे। शेखावत ने कहा कि दुनिया के बहुत सारे देशों के लोग शायद अभी भी वहां फंसे होंगे, लेकिन हमारे लोग इस तरह से निकल रहे हैं, यह देखकर प्रसन्नता होती है। आज भी कई हवाई जहाज वहां से आने हैं और आने वाले दो-चार दिनों में बहुत सारे लोगों को वापस लाया जाएगा। शेखावत ने कहा कि आप जानते हैं कि पूर्वी यूक्रेन में जहां युद्ध चल रहा है, वहां अभी भी हमारे लोगों को सुरक्षित निकालने की कोशिशें की जा रही हैं। वहां से लोगों को निकालने में एक-दो दिन और लग सकते हैं।
विपक्ष को चिंतन की आवश्कता
यूक्रेन से छात्रों की वापसी में देरी जैसे विपक्ष के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि सरकार अपनी ड्यूटी कर रही है। इससे पहले भी दशकों तक देश में सरकारें रही हैं। दुनिया में इस तरह की परिस्थितियां पहले भी आई हैं। एक बार विपक्षी दलों को अपने गिरेबां में झांककर देखना चाहिए कि उस वक्त उनकी सरकारों ने किस स्तर पर प्रयास किया था। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को याद करते हुए शेखावत ने कहा कि सुषमा जी ने ट्वीट लिखकर कहा था कि भारत का बेटा अगर चांद पर भी है तो मैं उसको सकुशल भारत की धरती पर वापस लाऊंगी। ये विजन और पेशन प्रधानमंत्री की लीडरशिप में सरकार के हरेक व्यक्ति का है। उन्होंने कहा कि केवल आलोचनाएं करने से और आलोचना करके राजनीतिक जमीन तलाशने से नहीं होगा। जब आपके पास अवसर था, तब आपने देश लोगों के लिए क्या किया था, इस पर चिंतन करना चाहिए।