नई दिल्ली- विदेश मंत्री एश जयशंकर ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि व्यापक शक्ति एवं मजबूत क्षमता के साथ जिम्मेदारी एवं संयम आना चाहिए और इसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था दबाव से मुक्त और राजनीति बल प्रयोग के खतरों से बची रहती है। हिन्द प्रशांत पर यूरोपीय संघ ईयू मंत्रिस्तरीय मंच को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि क्षेत्र में पेश आ रही चुनौतियां यूरोप तक पहुंच सकती हैं क्योंकि इसको लेकर दूरी कोई बचाव नहीं है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि इस मंच की मेजबानी ऐसे समय में हो रही है जब यूरोप गंभीर संकट (यूक्रेन में) का सामना कर रहा है और यह हिन्द प्रशांत क्षेत्र यूरोपीय संघ के जुड़ाव के महत्व को रेखांकित करता है। यूरोपीय संघ सहित कई अन्य देशों के शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी में उन्होंने कहा, हिन्द प्रशांत बहु ध्रुवीय एवं पुन: संतुलन आधारित व्यवस्था का केंद्र है जो समकालीन बदलाव को रेखांकित करता है। हिन्द प्रशांत क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करते हुए जयशंकर ने कहा कि यह जरूरी है कि व्यापक शक्ति एवं मजबूत क्षमता के साथ जिम्मेदारी एवं संयम आए। उन्होंने कहा, इसका मतलब अंतरराष्ट्रीय कानून, क्षेत्रीय अखंडता एवं सम्प्रभुता का सम्मान है। इसका अर्थ अर्थव्यवस्था दबाव से मुक्त और राजनीति का बल प्रयोग के खतरों से मुक्त बनना है। इसका आशय वैश्विक नियमों एवं चलन का पालन करना तथा वैश्विक स्तर पर साझी चीजों पर दावा करने से बचना है। विदेश मंत्री ने इस संबंध में किसी देश का नाम तो नहीं लिया लेकिन समझा जाता है कि उनका परोक्ष संदर्भ हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता से है। उन्होंने कहा कि आज हम उन चुनौतियों को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं और विश्वास करें कि इसमें दूरी कोई बचाव नहीं है। जयशंकर ने कहा, हिन्द प्रशांत क्षेत्र में हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, वह बढक़र यूरोप तक जा सकती है। इसलिए हम क्षेत्र की सुरक्षा में योगदान को लेकर यूरोपीय संघ की प्रतिबद्धता का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि यह नौवहन शताब्दी है और हिन्द प्रशांत क्षेत्र का ज्वार निश्चित तौर पर उसके भविष्य को आकार देने में मदद करेगा। उल्लेखनीय है कि जर्मनी की दो दिवसीय यात्रा के बाद जयशंकर तीन दिवसीय दौरे पर रविवार को फ्रांस पहुंचे। फ्रांस ने हिन्द प्रशांत पर यूरोपीय संघ (ईयू) मंत्रिस्तरीय मंच की मेजबानी की है।