नई दिल्ली-मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने राज्य सरकारों से बहु-राज्ईय सहकारी समिति के माध्यम से प्रशासन और सत्ता का केंद्रीकरण करने के केंद्र के प्रयासों को विफल करने के लिए एकसाथ आने का आह्वान किया है।माकपा के मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी के नवीनतम संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा सहकारिता मंत्रालय बनाया जाना राज्यों की संवैधानिक शक्तियों का अतिक्रमण करने का एक तरीका था। पार्टी ने कहा कि अक्टूबर 2022 में उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी थी कि 97वां संशोधन स्थानीय सहकारी समितियों पर नहीं, बल्कि बहु-राज्ईय सहकारी समितियों पर ही लागू होगा, जिसके बाद केंद्र सरकार ने राज्यों में हस्तक्षेप करने के लिए बहु-राज्य सहकारी समिति मार्ग का उपयोग अपनाने का निर्णय लिया। पार्टी ने कहा, प्रस्तावित 2022 विधेयक एक खतरनाक कानून है। यह केंद्र सरकार के फैसलों को राज्य के कानूनों के तहत काम करने वाली सहकारी समितियों पर थोपने का एक प्रयास है इन सभी संशोधनों का इरादा राज्यों की सहकारी संरचनाओं में बहु-राज्य सहकारी समितियों को सम्मिलित करना है। माकपा ने कहा, यह केंद्र सरकार को दंडात्मक कार्वाइयों, विलय, बोर्ड पर अधिकार और चुनावों में हस्तक्षेप के माध्यम से स्थानीय सहकारी समितियों पर अंकुश लगाने और राज्यों में संपूर्ण सहकारी संरचना पर नियंत्रण करने की अनुमति दे देगा।