नई दिल्ली -गौमाता सर्वदेवमयी है, गौमाता को अथर्ववेद में रुद्रों की माता, वसुओं की दुहिता, आदित्यों की स्वसा और अमृत की नाभि-संज्ञा से विभूषित किया गया है। गौ सेवा से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों तत्वों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार गौ में तैतीस कोटि देवी-देवताओं का वास है। उसकी पीठ में ब्रह्मा, गले में विष्णु और मुख में रुद्र आदि देवताओं का निवास है। इस प्रकार सम्पूर्ण देवी-देवताओं की आराधना केवल गौ माता की सेवा से की जा सकती है। भगवान मनुष्यों के इष्टदेव हैं तो भगवान ने गौमाता को अपनी इष्टदेवी माना है। अतः गौ सेवा से ही जगत कल्याण संभव है।’ यह उद्गार श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के संस्थापक परम श्रद्धेय गोऋषि स्वामी श्री दत्तशरणानंद जी महाराज ने पालम इलाके में आयोजित वेदलक्षणा गोचेतना चातुर्मास मंगल महोत्सव के दौरान व्यक्त किये। संगठन के चेयरमैन श्री राकेश बिंदल, अध्यक्ष श्री वीरेंद्र कुमार गर्ग और केंद्रीय सचिव श्री आलोक सिंघल ने बताया कि 24 से 30 जुलाई तक श्री राधाकृष्ण जी महाराज के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन होगा। श्री गोपालनंदजी सरस्वती के श्रीमुख से श्री गोकृपा कथा का आयोजन किया जायेगा। इसके साथ ही 6 से 12 अगस्त तक श्री विट्ठलकृष्ण जी के मुखारविंद से श्री शिवमहापुराण कथा सुनाई जायेगी।महोत्सव के दौरान 21 से 29 अगस्त तक श्री राम कथा, 1 से 3 सितंबर तक भक्तमाल कथा, 9 से 13 सितंबर तक श्री हनुमंत चरित्र मानस सुंदर कांड कथा और 24 से 28 सितंबर तक श्री गोभक्तमाल कथा का आयोजन किया जायेगा।इस अवसर पर पूज्य गोवत्स राधाकृष्ण जी महाराज, महंत श्री बलदेवदास, मुकुंद प्रकाश, गोवत्स विट्ठलकृष्ण, योगेशदास सहित संत एवं श्री डूंगरसिंह लुधियाना, एसएन बंसल, मनोज अग्रवाल, राजपुरोहित, केवलाराम, प्रवीण कुमार, नरेश गोयल, हरीओम तायल, यशपाल गुप्ता, संजय गर्ग, आलोक जगवायन, ओम सिंह, विशन सिंह, नरपत सिंह, श्रवण सिंह सहित सैकड़ों गणमान्य गोभक्त उपस्थित रहे।