देश भर में नवरात्रे, दुर्गा पूजा और दशहरा जैसे त्योहारों की धूम है। पूरब से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक लोग जोशो-खरोश के साथ यह त्योहार मनाने में व्यस्त और मस्त हैं। लेकिन रंग में भंग तब प़ड़ जाता है जब कोई अनहोनी घटना हो जाती है। पिछले वर्ष अक्टूबर महीने में उत्तर प्रदेश के भदोही में दुर्गा पूजा पंडाल में आग लगने से आधा दर्जन लोगों की मौत हो गई थी और छह दर्जन से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस तरह की ज्यादातर दुर्घटनाएं आग लगने की वजह से होती हैं। थोड़ी सी लापरवाही हर्षोल्लास के माहौल को मातम में बदल देती है। आग लगने की घटनाएं ज्यादातर शॉर्ट-सर्किट की वजह से होती हैं। लेकिन इनमें जान-माल का बड़ा नुकसान होता है। दुर्घटना और जान-माल का नुकसान होना इन त्योहारों के दौरान होने वाले इस तरह के हादसों का एक पहलू है, वहीं दूसरा पहलू यह भी है कि इस क्षेत्र में रोजगार के बड़े अवसरों के रास्ते खुल गये हैं। इस तरह के उत्सवों के ज्यादातर आयोजक अब प्रशिक्षित पेशेवरों का सहयोग लेने लगे हैं और यहीं से इस क्षेत्र में रोजगार के नये-नये रास्ते खुलते जा रहे हैं। फायर फाइटिंग के क्षेत्र में प्रशिक्षित पेशेवर किसी भी तरह की आग की घटनाओं पर काबू पाने में सक्षम होते हैं। जब इन प्रशिक्षित लोगों को दुर्गा पूजा, नवरात्रों और दशहरा पर्व जैसे उत्सवों की कमान दी जाती है तो इनका पूरा ध्यान उन कमियों को दूर करने पर पहले से ही होता है, जिनकी वजह से आग लगने की घटनाएं होती हैं। कैसे-कैसे कोर्सःदिल्ली इंसटीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग के निदेशक डॉ वीरेंद्र कुमार गर्ग का कहना है कि इस समय देश भर में दुर्गा पूजा, नवरात्रों और दशहरा पर्व के कार्यक्रमों की धूम है। जज्बा, जुनून और अपने काम के प्रति समर्पण की भावना रखने वाले युवाओं के लिए इस क्षेत्र में शानदार कॅरियर बनाने का सुनहरा मौका है। अतः इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए युवाओं को डिप्लोमा इन हेल्थ सेफ्टी एंड एन्वायरनमेंट, डिप्लोमा इन फायर फाइटिंग, पीजी डिप्लोमा इन फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग, बीएससी इन फायर इंजीनियरिंग, फायर टेक्नालॉजी एंड इंडस्ट्रीयल सेफ्टी मैनेजमेंट, इंडस्ट्रीयल सेफ्टी सुपरवाइजर, रेस्कयू एंड फायर फाइटिंग, जैसे कोर्सों का रास्ता चुनना चाहिए। इनकी अवधि 6 महीने से लेकर तीन साल तक है। कोर्स के दौरान हेल्थ, सेफ्टी एवं पर्यावरण प्रबंधन के साथ विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से बचने सहित किसी भी प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा से बचाव की तकनीकी जानकारी से लेकर जान-माल के बचाव के साइंटिफिक फॉर्मूले की जानकारी दी जाती है, जैसे आग पर काबू पाने, खतरों से खेलने, उपकरणों का प्रयोग कैसे किया जाए आदि के गुण सिखाये जाते हैं।  शैक्षणिक व शारीरिक योग्यता
इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए जितनी जरुरत डिग्री की है, उससे ज्यादा जरुरत कुछ व्यक्तिगत योग्यताओं की भी है। युवाओं के अंदर साहस और धैर्य के साथ लीडरशिप क्वालिटी और क्विक डिसीजन लेने की क्षमता का होना जरूरी है। डिप्लोमा या डिग्री में दाखिले के लिए 12वीं पास होना अनिवार्य है। इसमें प्रवेश के लिए ऑल इंडिया एंट्रेंस एक्जाम होता है। केमिस्ट्री के साथ फिजिक्स या गणित विषय में 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होना भी जरूरी है। वहीं शारीरिक योग्यता के मामले में पुरुषों के लिए न्यूनतम लंबाई 165 सेंटीमीटर लंबाई, वजन 50 किलोग्राम वहीं महिलाएं कम से 157 सेंटीमीटर लंबी हों, वजन कम से कम 46 किग्रा होना जरूरी है। आई विजन दोनों के लिए 6/6 होनी चाहिए। और उम्र 19 साल से 23 साल के अंदर हो।
प्रमुख संस्थान
इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी, मैदान गढ़ी, नई दिल्ली
www.ignou.ac.in
दिल्ली इंसटीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग
www.dife.in
जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी
www.jmi.ac.in