नई दिल्ली- पहाड़ों इलाकों में हो रही बर्फबारी से दिल्ली में ठंड बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही आसमान के नीचे रात गुजारने वाले बेघरों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में बिना छत के सर्द रातें गुजारना बेहद मुश्किल भरा है। हमारे बीच बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनके पास सिर छुपाने के लिए छत तक नहीं होती, जो खुले आसमान के नीचे यह सर्द रातें गुजारने के लिए मजबूर होते हैं। ऐसे में ठंड लगने से इनकी मौतों भी हो सकती है।
वैसे, सरकार की ओर से इन्हें ठंड से बचाने के लिए रैन बसेरे और नाइट शेल्टर होम की व्यवस्था है। लेकिन, दिल्ली में बेघरों की आबादी के हिसाब से रैन बसेरों की संख्या काफी कम है। वहीं, ऐसे रैन बसेरे भी बड़ी संख्या में हैं जहां क्षमता के हिसाब से सुविधाओं की बेहद कमी है। इसके अलावा व्यवस्था में कमी के चलते कहीं क्षमता से ज्यादा लोग रैन बसेरों में सोते हैं तो कई नाइट शेल्टर खाली पड़े रहते हैं।
इस पर दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डूसिब) के मेंबर बिपिन राय का कहना है कि हम डेली बेस पर रैन बसेरों की मॉनिटरिंग करते हैं। हां यह बात सही हो सकती है कि कहीं क्षमता से ज्यादा लोग रैन बसेरों में सोते हों और कहीं नाइट शेल्टर खाली पड़े रहते हों। क्योंकि, ये उस इलाके में रहने वाले लोगों की आबादी पर निर्भर करता है। बिपिन राय ने बताया कि हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। जिन इलाकों में ऐसे लोगों की ज्यादा तादात है वहां रैन बसेरों की संख्या को बढ़ाने की कोशिश की जाएगी। जिससे की किसी भी बेघर को खुले आसमान के नीचे इन सर्द रातों को न गुजारना पड़े।