भारत के रियल एस्टेट लैंडस्केप में एक उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिल रहा है, जिसमें टियर-2 शहर संपत्ति में निवेश के मामले में नई पसंद बनकर उभर रहे हैं। की अभूतपूर्व रिपोर्ट, “द भारत इन इंडिया” ने इस रोमांचक ट्रेंड पर प्रकाश डाला है, जिससे पता चलता है कि कैसे कभी नज़रअंदाज़ रहने वाले ये शहरी केंद्र तेज़ी से अपने समकक्ष के टियर-1 शहरों से बराबरी करने की ओर भाग रहे हैं। वे दिन गए जब मुंबई, दिल्ली और बैंगलोर जैसे नाम ही भारतीय रियल एस्टेट में मायने रखते थे। आज, कोच्चि, जयपुर, गोवा और चंडीगढ़ जैसे शहर आर्थिक विविधीकरण, उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग और बदलते माइग्रेशन पैटर्न के परफेक्ट तूफान से प्रेरित होकर, अपनी सफलता की कहानियां लिख रहे हैं।
नगरीय प्रवासन पर महामारी का असर
इस महामारी ने इस बदलाव को रफ्तार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब जबकि रिमोट वर्क आदर्श बन गया है, तो कई पेशेवरों ने अपने गृहनगर लौटने या छोटे शहरों में जीवन जीने का विकल्प चुना है, जिससे रिवर्स माइग्रेशन का ट्रेंड शुरू हो गया है। कुशल वर्कर्स की इस आमद ने, बदले में, व्यवसायों और स्टार्ट-अप को आकर्षित किया है, जिससे आर्थिक विकास और नगरीय विकास की सकारात्मक साइकिल तैयार हुई है। इस घटनाक्रम को कुशलतापूर्वक “आर्थिक कैलिडोस्कोप में बदलाव” के रूप में वर्णित किया जा सकता है, क्योंकि टियर-2 नगरीय समूह कुशल कार्यबल और स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को आकर्षित कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में, यह भारत के रियल एस्टेट की कहानी को तेज़ी से लिख रहा है और पुन:पारिभाषित कर रहा है।
टियर-2 शहरों में संपत्ति के मूल्य में वृद्धि
इस ट्रेंड के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक टियर-2 शहरों के प्रमुख माइक्रो मार्केट्स में संपत्ति के मूल्यों में तीव्र वृद्धि है। गोवा, चंडीगढ़ ट्राइसिटी और कोच्चि जैसी जगहों के प्रीमियम इलाके अब दिल्ली-एनसीआर और मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन के स्थापित मार्केट्स से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। कीमतों में कम होता यह अंतर इन उभरते नगरीय केंद्रों के बढ़ते आकर्षक और क्षमता का प्रमाण है। किस कारण से संपत्ति की कीमतों में यह उछाल आ रहा है? इसकी वज़ह कई तरह के कारक हैं। सड़कों की बेहतर कनेक्टिविटी, एयरपोर्ट और स्मार्ट सिटी पहल सहित बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर ने इन शहरों को अधिक सुलभ और रहने योग्य बना दिया है। कई टियर-2 शहर आईटी, विनिर्माण और अन्य उद्योगों के केंद्र बन गए हैं, जिनके साथ आर्थिक विविधीकरण ने रोज़गार के नए अवसर पैदा किए हैं और खर्च करने योग्य आमदनी में वृद्धि हुई है।
उभरते नगरीय केंद्रों में गुणवत्तापूर्ण जीवन
इसके अलावा, इन शहरों में मिलने वाला गुणवत्तापूर्ण जीवन कई लोगों को आकर्षित कर रहा है। आधुनिक सुविधाओं और बेहतर हेल्थकेयर व शिक्षा सुविधाओं के साथ मिलकर, कम भीड़भाड़, कम प्रदूषण स्तर, और धीमी गति का जीवन परिवारों और युवा पेशेवरों दोनों के लिए आकर्षक प्रस्ताव बन गया है। इन शहरों में रियल एस्टेट मार्केट उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए भी विकसित हो रहा है। हाई-राइज़ अपार्टमेंट और क्लब हाउस, खुली जगह और खेल की सुविधाओं जैसी लाइफस्टाइल संबंधी सुविधाओं की मांग बढ़ रही है। डेवलपर्स इन जगहों के आकर्षण को आगे बढ़ाते हुए, प्रमुख महानगरों की बराबरी करने वाले प्रोजेक्ट्स का निर्माण करके रिस्पॉन्ड कर रहे हैं।
किराये का आकर्षक लाभ और निवेश के अवसर
दिलचस्प बात यह है, कि कुछ टियर-2 शहरों में किराये से होने वाली आय अपने समकक्ष महानगरों से ज्यादा है। उदाहरण के लिए, प्रमुख महानगरों की तुलना में गोवा में किराए से होने वाली आय ज्यादा है। जिससे इन शहरों के प्रति न केवल उपभोक्ता बल्कि वे निवेशक भी आकर्षित हो रहे हैं, जो अपने रियल एस्टेट निवेश पर बेहतर रिटर्न चाहते हैं। इन शहरों में ज्यादा कीमत वाली संपत्तियों के ऑनलाइन सर्च में वृद्धि उनकी बढ़ती अपील का एक और इंडिकेटर है। ज्यादा से ज्यादा खरीदार पारंपरिक रियल एस्टेट हॉटस्पॉट से परे जाते हुए, बेहतर जीवनशैली और निवेश वृद्धि दोनों की संभावनाओं को पहचानकर इन उभरते बाज़ारों की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
अंतिम शब्द
जबकि भारत का आर्थिक परिदृश्य निरंतर विकसित हो रहा है, टियर-2 शहर इस मामले में व्यापक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। वे नगरीय सुविधाओं और छोटे शहर के आकर्षण का एक अनूठा मिश्रण पेश करते हैं, साथ ही यहां संपत्ति की कीमतों में महत्वपूर्ण वृद्धि की संभावना भी होती है। निवेशकों, डेवलपर्स और घर खरीदने वालों को, ये शहर भारतीय रियल एस्टेट में निवेश करने के बराबर के अवसर देते हैं। “द भारत इन इंडिया” अब केवल कोई अवधारणा नहीं है – यह हकीकत है जो देश के प्रॉपर्टी मार्केट को नया आकार दे रही है। चूंकि ये शहर बढ़ते और विकसित होते जा रहे हैं, ये न केवल टियर-1 शहरों की बराबरी पर आते जा रहे हैं; बल्कि वे भारत में नगरीय विकास के नए मापदंड भी स्थापित कर हैं। ऐसा लगता है कि भारतीय रियल एस्टेट का भविष्य सिर्फ इसके महानगरों तक सीमित नहीं है, बल्कि देश के परिदृश्य को बेहतर बनाने वाले जीवंत, विकसित होते नगरीय केंद्रों में भी निहित है।