नई दिल्ली – ऑस्ट्रेलिया की ला ट्रोब युनिवर्सिटी और भारत के जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान संघ परिषद ने बायो इनोवेशन कॉरिडोर बनाने के लिए आज एक सहमित करार पर हस्ताक्षर किए। करार का उद्देश्य अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना है। यह दोनों देशों के लिए लाभदायक प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए कई उच्च स्तरीय संस्थानों और संगठनों की साझेदार रही है। साथ ही संयुक्त शिक्षा का अवसर देकर भारतीय प्रतिभाओं को संवारती रही है। बायो इनोवेशन कॉरिडोर भारत और ऑस्ट्रेलिया के राज्य विक्टोरिया के बीच होगा जहां दोनों देशों के उद्यमियों, स्टार्टअपों और शोधकर्ताओं को संबद्ध सुविधाएं और बतौर लैंडिंग पैड कई अवसर मिलेंगे। इस करार से ला ट्रोब और बीआईआरसी को जैव प्रौद्योगिकी के ज्ञान पर आधारित प्रौद्योगिकियों और विचारों के साथ सहयोग करने और इसे बढ़ाने का अवसर मिलेगा। इनका उपयोग एगटेक, फूड टेक, मेडटेक और मनुष्य के स्वास्थ्य और वेलनेस में किया जाएगा।ला ट्रोब युनिवर्सिटी के वाइसचांस्लर प्रोफेसर थियो फैरेल ने बायो इनोवेशन कॉरिडोर बनने की घोषणा करते हुए इसे युनिवर्सिटी के लिए हर्ष का विषय बताया। प्रोफेसर फैरेल ने कहा, यह साझेदारी बहुत उत्साहवर्धक है। इससे विशेषकर उन भारतीय स्टार्टअपों, उद्यमियों और शोधकर्ताओं को ला ट्रोब युनिवर्सिटी का कौशल, इन्फ्रास्ट्रक्चर और विशिष्ट क्षमताएं मिलेंगी जिनके पास भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई बाजारों में उपयोगी और व्यावसाय योग्य आइडियाज़ और प्रौद्योगिकियां हैं। उन्होंने कहा यह पहल हमारी दूरदृष्टि के तहत की गई है जो को-लोकेशन के माध्यम से अनुसंधान और नवाचार का इकोसिस्टम बनाना है। इनमें हमारे मेलबर्न कैम्पस बुंडूरा स्थित युनिवर्सिटी सिटी ऑफ द फ्यूचर और 4 विक्टोरियन रीजनल कैम्पस शामिल हैं। यहां ला ट्रोब के साथ मिल कर भारत के होनहार स्टार्टअप, उद्यमी और कॉरपोरेट अपने अनुसंधान और विकास, नवाचार, उत्पाद विकास और व्यावसायीकरण के केंद्र बना सकते हैं। यह इनोवेटिव बिजनेस पार्टनरशिप मॉडलों की पूरी रेंज के माध्यम से संभव होगा। इस करार के लिए विक्टोरिया कनेक्ट कार्यक्रम में प्रोफेसर फैरेल और बीआईआरएसी के प्रबंध निदेशक डॉ. जितेंद्र कुमार ने हस्ताक्षर किए। इसमें विक्टोरिया की प्रीमियर जैसिंटा एलन की भी मौजूदगी थी। प्रीमियर एलन ने कहा कि विक्टोरिया अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और गंभीर शोध एवं नवाचार के लिए सहयोग के दृष्टिकोण से भी एक प्रमुख स्थान है। प्रीमियर ने कहा, ला ट्रोब युनिवर्सिटी और बीआईआरएसी के इस समझौते से भारत के उद्यमियों और शोधकर्ताओं को विक्टोरिया और मेलबर्न स्थित ला ट्रोब कैम्पस की विश्वस्तरीय सुविधाओं के माध्यम से कई अवसर मिलेंगे। बीआईआरएसी के डॉ. जितेंद्र कुमार ने कहा, आज भारत और ला ट्रोब युनिवर्सिटी के इस करार से जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति का नया अध्याय शुरू हो गया है। बायो इनोवेशन कॉरिडोर सीमा पार सहयोग को बढ़ावा देकर और हमारी सामूहिक विशेषज्ञता का लाभ उठाकर उद्यमियों के लिए नई राह बनाएगा। ला ट्रोब ने हाल ही में इस उद्देश्य से बायो इनोवेशन हब बनाया है जो मेड टेक और ड्रग डिलीवरी में नई तकनीक विकसित करने में स्टार्टअप कंपनियों की मदद करेगा। प्रोफेसर फैरेल ने कहा, हमारे बायो इनोवेशन हब और डिजिटल इनोवेशन हब ऐसे केंद्र हैं जहां मिसाल के तौर पर कर्नाटक के स्टार्टअप और नई प्रौद्योगिकी कम्पनियां उनके काम-काज के विकास के लिए को-लोकेट होने और एक जानदार जैव प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम में काम करने के लिए प्रोत्साहित होंगी। विक्टोरिया कनेक्ट कार्यक्रम के दिल्ली के आयोजन में उच्च शिक्षा और मूल्य-वर्धित प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में विक्टोरिया और भारत के बीच उभरते अवसर दर्शाए गए।

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