हाल के वर्षों में, डिजिटल तकनीक की ताकत से चलने वाली अर्थव्यवस्था के कारोबारों में तेजी से बदलाव हो रहा है। नए उभरते स्किल-सैट की कमी दूर करने के लिए विभिन्न उद्योगों की कंपनियाँ सक्रियता से अपने कर्मचारियों को कौशल प्रदान कर रही हैं। टेक्नोलॉजी, रिटेल, बीएफएसआई और ऑटोमोटिव जैसे क्षेत्रों में जटिल प्रक्रियाओं को ऑप्टिमाइज़ करने के लिए कुशल पेशेवरों की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है, जिससे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में डिजिटलीकरण की जरूरत और बढ़ गई है।वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम के अनुसार, 69 मिलियन नई नौकरियाँ सृजित होने की उम्मीद है, जो मुख्य रूप से टेक्निकल कामों की बढ़ती माँग के कारण संभव हो पाई है। पिछले दशक में, विभिन्न नौकरियों के लिए आवश्यक कौशल में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और अनुमानों से संकेत मिलता है कि अगले दस वर्षों में यह आँकड़ा बढ़कर 65 प्रतिशत हो जाएगा – यह दर्शाता है कि आज के आधे से अधिक स्किल-सैट डिसरप्शन से गुजरेंगे।सबसे ऊंची तनख्वाह वाले करियर में, सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट और डेटा साइंस सबसे आगे हैं, जो अगले दशक में रोज़गार वृद्धि के अगुआ बनेंगे। टेक्नोलॉजी में रुचि रखने वाले कॉलेज विद्यार्थियों के लिए इन डोमेन में विशेषज्ञता विकसित करने का यह एक मज़बूत अवसर प्रस्तुत करता है। जैसे-जैसे कंपनियाँ सॉफ्टवेयर-ऐज़-ए-सर्विस (एसएएएस) समाधान पेश करती जा रही हैं (जिनमें प्रोग्राम, टूल, ऑटोमेशन और सॉफ्टवेयर इंटिग्रेशन शामिल हैं) वैसे वैसे डिजिटल साक्षरता जरूरी हो गई है। सॉफ्टवेयर संगठनों में कुशल पेशेवरों की बढ़ती मांग व्यवसाय वृद्धि को बनाए रखने के लिए सही प्रतिभा को आकर्षित करने की आवश्यकता को उजागर करती है।रिटेल व ई-कॉमर्स क्षेत्र में भी त्यौहारी सीजन और प्रमुख आयोजनों के दौरान सर्वाधिक नियुक्तियां होती हैं, जिससे लॉजिस्टिक्स, बाजार विश्लेषण, डिजिटल मार्केटिंग, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और बिक्री में रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।भारत में हर साल लगभग 11 मिलियन कॉलेज ग्रेजुएट निकलते हैं, और हर साल विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के माध्यम से 1.5 मिलियन अतिरिक्त लोग वर्कफोर्स में शामिल होते हैं। इनमें से लगभग 13 प्रतिशत इंजीनियरिंग ग्रेजुएट होते हैं। हालाँकि, रोज़गार पाना एक चुनौती है, क्योंकि इंडस्टी में डिग्री से ज्यादा कौशल को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे कई नए स्नातकों को नौकरी पाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। इस वजह से सरकार और शिक्षा परिषदों ने रोज़गार हासिल करने की क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से ठोस उपाय लागू किए हैं।प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए, सॉफ्टवेयर क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक विद्यार्थियों को तकनीकी और सॉफ्ट दोनों तरह के कौशल विकसित करने चाहिए। सबसे ज्यादा मांग वाले तकनीकी कौशल में पायथन, सी प्लस प्लस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, क्लाउड कंप्यूटिंग और साइबर सिक्यूरिटी शामिल हैं। इसके अलावा, क्रिटिकल थिंकिंग, समस्या-समाधान, विश्लेषणात्मक क्षमता और अनुकूलनशीलता उभरते हुए जॉब मार्केट में कामयाब होने के लिए बेहद अहम होते हैं।भारत में आगे बढ़ते डिजिटल रूपांतरण के संग संगठन उत्पादकता को अधिकतम करने के लिए एआई उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं। ऐप्लीकेंट ट्रैकिंग सिस्टम्स (एटीएस) सर्वोत्तम प्रतिभा की पहचान करने के लिए रिज़्यूमे को कुशलतापूर्वक फिल्टर करके और साक्षात्कार शेड्यूल करके भर्ती प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर रहे हैं। एआई- संचालित चौटबॉट और वर्चुअल एचआर सहायक भी कर्मचारी प्रश्नों को संबोधित करके ऑनबोर्डिंग अनुभव को बेहतर बना रहे हैं। इसके अलावा, एआई प्रिडिक्टिव ऐनालिसिस के जरिए रणनीतिक निर्णयों को सहयोग देने के लिए विशाल डाटासेट के विश्लेषण में केन्द्रीय भूमिका निभाता है, बाजार रुझानों की पहचान एवं डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करने में इसकी अहम भूमिका है। बैंकिंग, रिटेल, ईकॉमर्स और हेल्थकेयर जैसे उद्योग संभावित खतरों को कम करने के लिए साइबर सुरक्षा समाधानों पर बहुत अधिक निर्भर हैं।भारत के जॉब मार्केट में भी उभरते रुझान देखने को मिल रहे हैं, जिनमें शामिल हैं:
• रिमोट जॉब्स के लिए बढ़ती प्राथमिकता
• सस्टेनेबिलिटी, नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण विज्ञान में करियर की बढ़ती मांग
• गिग इकॉनॉमी का तेजी से विस्तार, जिसके 17 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है तकनीकी प्रगति और सेक्टोरल विस्तार से प्रेरित मजबूत गति के साथ, भारत का जॉब मार्केट मजबूत विकास के लिए तैयार है। आईटी क्षेत्र 15 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ सबसे आगे है, इसके बाद रिटेल 12 प्रतिशत, दूरसंचार 11 प्रतिशत और बीएफएसआई 10 प्रतिशत की दर से सबसे ज्यादा बढ़ने वाले सेक्टर हैं। भौगोलिक दृष्टि से हैदराबाद एक प्रमुख रोजगार केंद्र के रूप में उभर रहा है, जो बैंगलोर, मुंबई और एनसीआर क्षेत्र के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा कर रहा है। हालांकि, इस उभरते हुए जॉब लैंडस्केप में सफल होने के लिए पेशेवरों को कौशल की कमी दूर करने और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी बाजार में प्रासंगिक बने रहने के लिए लगातार अपने कौशल को बढ़ाना चाहिए।

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