नई दिल्ली – वैश्विक डिज़ाइन मंच पर भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण में, जयपुर रग्स ने एल डेको इंटरनेशनल डिज़ाइन अवॉर्ड्स 2025 में सर्वोच्च सम्मान प्राप्त किया है। यह अवॉर्ड जीतने वाली जयपुर रग्स पहली भारतीय कंपनी बन गई है, जो न केवल भारत की शिल्प विरासत का गौरव बढ़ाती है, बल्कि समावेशी, टिकाऊ और अर्थपूर्ण डिज़ाइन की दिशा में एक नया अध्याय भी लिखती है। पुरस्कृत “जार्डिन्स डु मोंडे” कलेक्शन फ्रांसीसी डिज़ाइनर टेटियाना डे निकोले और जयपुर रग्स के बीच एक बेमिसाल सहयोग का परिणाम है। यह संग्रह पेरिस स्थित अल्बर्ट काहन गार्डन की शांति और सुंदरता से प्रेरित है। प्रत्येक कालीन एक काव्यात्मक रूप से बुनी गई प्रकृति की व्याख्या है जापानी ज़ेन गार्डन की सादगी से लेकर अंग्रेजी घास के मैदानों की हरियाली, फ्रेंच पुष्प उद्यानों की नाजुकता, गहरे जंगलों, भूल-भुलैयों, पगोडा और बहते जलमार्गों की सुंदर झलक इसमें समाहित है।इन डिज़ाइनों की कलात्मक सुंदरता से भी बड़ी उनकी मानवीय कहानी है। ये कालीन राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में फैले 7 हजार करघों और 40 हजार से अधिक कारीगरों की मेहनत से तैयार होते हैं।जिनमें से 85% महिलाएं हैं। यह न केवल भारत की पारंपरिक कला का प्रतीक है, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण, ग्रामीण विकास और सामाजिक समावेशन की जीती-जागती मिसाल भी है। इस अवसर पर जयपुर रग्स के निदेशक योगेश चौधरी ने इस उपलब्धि पर कहा,यह पुरस्कार केवल जयपुर रग्स का नहीं है, बल्कि उन हजारों कारीगरों का है जिनके हाथों में हमारी परंपराएं जीवित हैं और निरंतर विकसित हो रही हैं। यह भारतीय शिल्पकला की शक्ति का प्रमाण है, और यह दर्शाता है कि विश्व स्तर पर डिज़ाइन की परिभाषा अब केवल सौंदर्य तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक प्रभाव और मानवीय भावना का संगम बन चुकी है। यह सम्मान न केवल जयपुर रग्स के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है। यह साबित करता है कि सच्चा, समयातीत डिज़ाइन केवल डिज़ाइन स्टूडियो से नहीं, बल्कि मिट्टी से, समुदाय से, और परंपरा से जन्म लेता है।अब एक कालीन केवल ज़मीन पर बिछाई जाने वाली चीज़ नहीं है।वह एक कहानी है, एक संस्कृति है, और ऊन में बुनी गई एक क्रांति है।