नई दिल्ली – तेजी से बढ़ते आधुनिक शहरों में अब शहरी जीवन की परिभाषा बदल रही है। शहर अब सिर्फ़ रहने या काम करने की जगह नहीं रह गए हैं, बल्कि वे ऐसे ‘लाइफस्पेस’ बनते जा रहे हैं जहाँ शारीरिक और मानसिक सेहत, खुशी और आपसी जुड़ाव को सर्वोपरि माना जा रहा है। यह बदलाव इस सोच से प्रेरित है कि सुंदर, हरित और रहने योग्य स्थान न केवल तन-मन को स्वस्थ रखते हैं, बल्कि सामाजिक संबंधों को भी मजबूत करते हैं। आज के घर ऐसे स्थानों में बनाए जा रहे हैं जहाँ बड़े हरियाली से भरे पार्क, चौड़ी पेड़ों वाली सड़कें, सामुदायिक बाग और सार्वजनिक चौक मौजूद हों।माना प्रोजेक्ट्स के सीएमडी किशोर रेड्डी आगे बताते हुए कहते हैं कि ये सिर्फ़ दृश्य-सौंदर्य नहीं बढ़ाते, बल्कि तनाव कम करने, व्यायाम के लिए प्रेरित करने और जीवन की दौड़-भाग में राहत देने वाले जरूरी तत्व बन गए हैं। ‘सेहत’ अब केवल व्यक्तिगत फिटनेस का पर्याय नहीं रही। यह सामाजिक जुड़ाव और सामुदायिक सहभागिता तक विस्तृत हो गई है। ओपन थिएटर, बोनफायर पिट, आउटडोर जिम और खेल मैदान जैसे साझा स्थान अब सामाजिक मेलजोल और सामूहिक अनुभवों को साझा करने के प्रभावी माध्यम बनते जा रहे हैं। इस नए शहरी जीवन की नींव टिकाऊपन और सुरक्षा, सौर ऊर्जा, वर्षा जल संचयन और ऊर्जा-कुशल तकनीकों से घर अधिक पर्यावरण-अनुकूल और दीर्घकालिक उपयोग योग्य बन रहे हैं। वहीं, गेटेड एंट्री, सीसीटीवी निगरानी जैसी आधुनिक सुरक्षा सुविधाएँ लोगों को सुरक्षित वातावरण में रहने का आत्मविश्वास पर भी आधारित है। माना प्रोजेक्ट्स के सीएमडी किशोर रेड्डी आगे कहते हैं कि अब शहरी जीवन को महज रहने की जगह नहीं, बल्कि एक पूर्ण अनुभव की तरह डिज़ाइन किया जा रहा है। जहाँ व्यक्तिगत और सामाजिक सेहत, आपसी जुड़ाव और सामुदायिक भागीदारी को प्राथमिकता दी जा रही है। हरे-भरे स्थानों, गुणवत्ता-संपन्न सुविधाओं, टिकाऊ संरचनाओं और स्मार्ट कनेक्टिविटी के समन्वय से ऐसे समुदाय उभर रहे हैं,माना प्रोजेक्ट्स के सीएमडी किशोर रेड्डी ने कहा ।