गुड़गांव – अल्ज़ाइमर रोग को आमतौर पर वृद्धावस्था में स्मृति-हानि से जुड़ी एक बीमारी माना जाता है। हालाँकि, याददाश्त की कमी इसका सबसे प्रमुख लक्षण है, लेकिन अल्ज़ाइमर शरीर की शारीरिक क्षमताओं विशेषकर चलने और संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है। ये अल्ज़ाइमर के शुरुआती संकेतों में से एक माना जा रहा है, इसमें स्मृति-हानि के लक्षण पहले से दिखाई दे सकते हैं। अल्ज़ाइमर चलने पर कैसे असर डालता है इस पर बताते हुए नारायणा हॉस्पिटल गुड़गांव के डॉक्टर मीना गुप्ता सीनियर कंसलटेंट एंड डायरेक्टर न्यूरोलॉजिस्ट कहतीं हैं कि अल्ज़ाइमर एक न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग है, यानी यह धीरे-धीरे मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाता है। जब यह बीमारी उन हिस्सों को प्रभावित करती है जो संतुलन और गतिविधि को नियंत्रित करते हैं, तो गतिशीलता पर असर पड़ता है। जिससे व्यक्ति अस्थिर हो जाता है और गिरने की संभावना बढ़ जाती है। चाल में बदलाव,चलना धीमा और घसीटने जैसा हो जाता है। कदम छोटे हो जाते हैं, पैर घसीटते हैं या हाथों का स्वाभाविक झूलना कम हो जाता है। इसके अलावा दिशा समझने में कठिनाई रोगी यह भूल सकता है कि उसे कहाँ जाना है या चलना कैसे शुरू करना है,यह समस्या परिचित स्थानों पर भी हो सकती है। इस अवस्था में मांसपेशियों में जकड़न, कमजोरी शारीरिक गतिविधि कम होने से मांसपेशियाँ कमज़ोर और अकड़ी हुई हो जाती हैं। कभी-कभी रोगी अचानक चलते-चलते “फ्रीज़” हो जाता है और कुछ क्षणों बाद ही आगे बढ़ पाता है।अल्ज़ाइमर से बचाव के विषय में डॉ मीना गुप्ता सीनियर कंसलटेंट नारायणा हॉस्पिटल गुड़गांव बतातीं है कि वर्तमान में इसका कोई इलाज नहीं है। लेकिन अगर जीवनशैली में उचित बदलाव अपनाए जाएँ तो लगभग 45–50% मामलों को रोका जा सकता है, या कम से कम इसकी प्रगति को धीमा किया जा सकता है।इसके अलावा स्वस्थ जीवनशैली,फलों और सब्ज़ियों से भरपूर संतुलित आहार,हल्का व्यायाम, योग या स्ट्रेचिंग करते रहें। जिससे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और थायरॉइड जैसी बीमारियों को नियंत्रित किया जा सकता है मानसिक रूप से सक्रिय रहें,नई चीज़ें या भाषाएँ सीखने और रचनात्मक गतिविधियों में शामिल हों।सामाजिक और सामुदायिक गतिविधियों में सक्रिय भाग लें। स्वस्थ वातावरण में रहें,कम प्रदूषित जगह पर रहें।ऐसे कई सकारात्मक गतिविधियों से अल्जाइमर को नियंत्रित या धीमा किया जा सकता है।