नोएडा – गर्दन और ऊपरी पीठ का दर्द आज भारत में सबसे आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक बन गया है। कंप्यूटर और मोबाइल फोन पर लंबे समय तक काम करना, गलत बैठने की मुद्रा और निष्क्रिय जीवनशैली ये सभी हमारी सर्वाइकल स्पाइन, यानी रीढ़ की ऊपरी और नाज़ुक हिस्से पर लगातार दबाव डालते हैं, जो सिर को सहारा देता है और उसके सुचारु रूप से घूमने-झुकने में मदद करता है।पिछले कुछ वर्षों में डॉक्टरों ने कामकाजी पेशेवरों और यहाँ तक कि किशोरों में भी गर्दन से जुड़ी शिकायतों में निरंतर वृद्धि देखी है। हम अक्सर यह नहीं समझ पाते कि हम अपनी गर्दन पर कितना तनाव डालते हैं, जब तक कि दर्द शुरू नहीं हो जाता, कहते हैं डॉ. आर. सी. मिश्रा, निदेशक, न्यूरोसर्जरी विभाग, महानंदन सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, ग्रेटर नोएडा। मानव सिर का वजन लगभग 4 से 5 किलोग्राम होता है, और जब यह थोड़ा भी आगे झुकता है, तो सर्वाइकल स्पाइन पर दबाव कई गुना बढ़ जाता है। यह लगातार दबाव धीरे-धीरे मांसपेशियों की थकान, डिस्क के घिसाव और नसों में जलन का कारण बन सकता है, वे बताते हैं। सही मुद्रा में हमारे कान, कंधे और कूल्हे एक सीधी रेखा में होते हैं। लेकिन आज अधिकांश लोग घंटों तक झुके हुए स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं। इस स्थिति को आमतौर पर “टेक्स्ट नेक” कहा जाता है, जो गर्दन की अकड़न, कंधों में दर्द और कभी-कभी हाथों में झनझनाहट का कारण बनती है। डॉ. मिश्रा आगे कहते हैं,सही (न्यूट्रल) मुद्रा बनाए रखना, नियमित अंतराल पर ब्रेक लेना और हल्के गर्दन के व्यायाम करना ये सभी कदम सर्वाइकल स्पाइन को स्वस्थ रखने में बहुत मदद करते हैं। रोकथाम हमेशा इलाज से आसान होती है।”
