नई दिल्ली – भारत में गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, फैटी लिवर रोग और हृदय संबंधी बीमारियों के मामलों में निरंतर वृद्धि हो रही है। ऐसे परिदृश्य में, देश की प्रमुख हेल्थ एवं वेलनेस कंपनी हमदर्द लैबोरेटरीज ने आज नई दिल्ली में आयुष कन्वेंशन 2025 का सफल आयोजन किया। इस कन्वेंशन में आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी इन पाँचों आयुष प्रणालियों के विशेषज्ञ, साथ ही आधुनिक चिकित्सा के वरिष्ठ चिकित्सक और शोधकर्ता सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का मुख्य फोकस एकीकृत स्वास्थ्य मॉडलों पर रहा, जो भारत की जीवनशैली-जनित बीमारियों से लड़ाई को अधिक सशक्त और प्रभावी बना सकते हैं। वर्तमान में एनसीडी देश में होने वाली कुल मौतों के लगभग 63% के लिए ज़िम्मेदार हैं। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के प्रतिष्ठित संरक्षण में और ऑल-इंडिया यूनानी तिब्बी कॉन्फ्रेंस (एआईयूटीसी) के सहयोग से आयोजित इस कन्वेंशन में प्रमुख राष्ट्रीय आयुष संस्थानों के दिग्गजों ने भाग लिया। इनमें सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन यूनानी मेडिसिन (सीसीआरयूएम), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन (एनआईयूएम), ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट आयुर्वेद (एआईआईए), मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा (एमडीएनआईवाई) साथ ही दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और जम्मू एवं कश्मीर के केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ आयुष अधिकारियों ने भाग लिया। शिक्षाविदों, डॉक्टरों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं सहित 350 से अधिक प्रतिनिधियों ने पूरे दिन की चर्चाओं में भाग लिया। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) माननीय श्री प्रतापराव गणपतराव जाधव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। एकीकृत स्वास्थ्य-देखभाल मॉडल की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा,भारत आज स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है, जहाँ गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिए समन्वित, रोकथाम-आधारित और समग्र कार्रवाई की अत्यंत आवश्यकता है, जिसमें आयुष प्रणालियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दृष्टिकोण और नेतृत्व में, आयुष को देश और दुनिया में अभूतपूर्व पहचान मिली है। भारत की पारंपरिक चिकित्सा को अब दुनिया भर में विश्वसनीय और प्रमाण-आधारित पद्धतियों के रूप में अपनाया जा रहा है जो रोकथाम और समग्र स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देता है। हम परंपरा और आधुनिक विज्ञान के बीच संवाद को मजबूत करने, शोध-आधारित प्रथाओं को प्रोत्साहित करने, और देशभर में समग्र स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। मैं हमदर्द लैबोरेटरीज और ऑल-इंडिया यूनानी तिब्बी कॉन्फ्रेंस को आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी और आधुनिक चिकित्सा के विशेषज्ञों को एक मंच पर लाने के लिए बधाई देता हूँ। यह पहल राष्ट्रीय स्वास्थ्य-विमर्श को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। कन्वेंशन की शुरुआत यूनानी चिकित्सा की फैटी लिवर रोग, उच्च रक्तचाप और डायबिटीज मेलिटस के प्रबंधन में भूमिका पर शोध सत्रों से हुई। इसमें शास्त्रीय सिद्धांतों को समकालीन शोध के साथ जोड़ा गया। इसके बाद ‘गैर-संचारी रोग प्रबंधन के लिए एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल: नीति, अभ्यास और साक्ष्य—आयुष रोडमैप 2030’ शीर्षक वाली उच्च-स्तरीय पैनल चर्चा हुई। पैनलिस्टों में उद्योग के विचारक दिग्गज शामिल थे जिनमें डॉ. मनोज नेसारी (पूर्व सलाहकार आयुर्वेद, आयुष मंत्रालय), डॉ. काशीनाथ समगांधी (निदेशक, एमडीएनआईवाई), डॉ. एन. जहीर अहमद (महानिदेशक, सीसीआरयूएम, आयुष मंत्रालय), डॉ. एम. ए. कुमार (पूर्व उप सलाहकार सिद्ध, आयुष मंत्रालय), डॉ. संजय गुप्ता (सचिव, नेशनल कमीशन फॉर होम्योपैथी (एनसीएच)), पद्मश्री डॉ. मोहसिन वली (कार्डियोलॉजिस्ट, सर गंगा राम अस्पताल), और डॉ. नीना खन्ना (हेड, डर्मेटोलॉजी, अमृता अस्पताल; पूर्व प्रोफेसर एवं डीन (शैक्षणिक), एआईआईएमएस नई दिल्ली) शामिल थे। पैनलिस्टों ने एकीकृत नीति मार्गों, क्लिनिकल सत्यापन को मजबूत करने, निवारक स्वास्थ्य ढांचों की बढ़ती प्रासंगिकता और आयुष प्रणालियों के लिए भारत के एनसीडी प्रबंधन में अपनी भूमिका का विस्तार करने के अवसरों पर जानकारियां साझा की। माननीय पैनलिस्टों ने जोर दिया कि एनसीडी (NCDs) के एकल कारण नहीं होते, बल्कि उनके कई जोखिम कारक होते हैं, इसलिए एकीकृत चिकित्सा ही एकमात्र व्यावहारिक मार्ग है। अंगों का अलग-अलग उपचार नहीं होना चाहिए, और इसी कारण आयुष पद्धतियाँ पूरे मानव शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य पर ध्यान देती हैं। वक्ताओं ने एक ऐसे संयुक्त, प्रमाण-आधारित एकीकृत देखभाल मॉडल की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसे डिजिटल तकनीकों, जैसे AI और Gen-AI, के लागू होने से और अधिक मजबूत बनाया जा सकता है।कन्वेंशन में, हमदर्द लैबोरेटरीज के चेयरमैन और प्रबंध ट्रस्टी श्री अब्दुल मजीद ने कहा, “भारत में गैर-संचारी रोग (एनसीडी) एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन रहे हैं। अनुमान के मुताबिक ये हर साल करीब 5.8 मिलियन मौतों का कारण बनते हैं। इसलिए आयुष क्षेत्र को अपनी संस्कृति से जुड़े, वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित, रोकथाम वाले, सस्ते और पूरी तरह के समाधान देने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। हमदर्द लैबोरेटरीज में हम मानते हैं कि यह सिर्फ एक मौका नहीं, बल्कि हमारा कर्तव्य भी है। पिछले कुछ सालों में हमने स्कूलों-कॉलेजों के साथ सहयोग बढ़ाया है, सबूत जुटाने में मदद की है, डॉक्टरों के लिए मार्केटिंग के काम मजबूत किए हैं, और नए मैन्युफैक्चरिंग व क्वॉलिटी सिस्टम में पैसा लगाया है। यह कन्वेंशन हमारी इस यात्रा का एक और महत्वपूर्ण कदम है। यह एक मंच है जो डॉक्टरों की समझ, शिक्षकों की विशेषज्ञता और नीतियों को जोड़ता है, ताकि भारत का एकीकृत स्वास्थ्य प्लान आगे बढ़े। मेरा सपना है कि जब भारत आजादी के 100 साल पूरे करेगा, तब तक हम एक सच्चा विकसित भारत बन जाएं। एक ऐसा देश जहां हर व्यक्ति को 100% पढ़ाई और अच्छी स्वास्थ्य सुविधा सबके लिए उपलब्ध हो। हम इस देश बनाने के काम में लंबे समय का साथी बने रहने के लिए वचनबद्ध हैं। हम आयुष को मजबूत कर रहे हैं और एक स्वस्थ, ताकतवर भारत बना रहे हैं। इस आयोजन में हकीम अब्दुल हमीद पुरस्कार फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस भी प्रदान किया गया, जिसमें देशभर के मेधावी यूनानी छात्रों को सम्मानित किया गया। साथ ही देश के 30 से अधिक यूनानी चिकित्सा महाविद्यालयों के संकाय सदस्यों तथा स्नातकोत्तर छात्रों को एक साथ लाया गया। आयुष कन्वेंशन 2025 ने हमदर्द लैबोरेटरीज की साक्ष्य-आधारित यूनानी चिकित्सा को बढ़ावा देने तथा एकीकृत आयुष अभ्यास की राष्ट्रीय पहल को मजबूत किया। पिछले पांच वर्षों में, हमदर्द ने सीसीआरयूएम, एनसीआईएसएम, एनआईयूएम तथा भारत भर के प्रमुख यूनानी संस्थानों के साथ साझेदारी में नियमित सीएमई कार्यक्रम, मेडिको-मार्केटिंग कार्यशालाएं, चिकित्सक संलग्नता मंच और शैक्षणिक संकल्प आयोजित किए हैं—जिससे आयुष के क्षेत्र में क्लिनिकल नॉलोज, रिसर्च ओरिएंटेशन तथा संस्थागत संपर्कों को मजबूत किया गया है।
