नई दिल्ली – शिक्षा के माध्यम से भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने की साझा प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, आचार्य बालकृष्ण, प्रबंध निदेशक, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, और संभ्रांत शर्मा, कार्यकारी बोर्ड सदस्य, श्री अरबिंदो सोसाइटी, ने श्री अरबिंदो सोसाइटी द्वारा आयोजित स्कूली शिक्षा में भारतीय ज्ञान प्रणाली के एकीकरण पर दूसरा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सहभागिता की।
यह सम्मेलन स्कूली शिक्षा में भारतीय ज्ञान प्रणाली के एकीकरण की दिशा में राष्ट्रीय प्रयासों का एक महत्वपूर्ण पड़ाव रहा, जो श्री संभ्रांत शर्मा और आचार्य बालकृष्ण द्वारा व्यक्त साझा दृष्टि को प्रतिबिंबित करता है। नवंबर में आयोजित पहले संस्करण में आईकेएस चार्टर स्कूलों में भारतीय ज्ञान प्रणाली के जिम्मेदार और शोध-आधारित कार्यान्वयन का भारत का पहला ढांचा के शुभारंभ के बाद, इस संस्करण ने आईकेएस को कक्षा-स्तर पर लागू करने और बड़े स्तर पर विस्तार योग्य मॉडल्स अपनाने के संवाद को और गहरा किया। इस दो दिवसीय वर्चुअल पैनल श्रृंखला के माध्यम से श्री अरबिंदो सोसाइटी ने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों, शिक्षकों, विद्वानों और नीति-निर्माताओं को एक मंच पर लाया, ताकि यह समझ विकसित की जा सके कि भारत की वैज्ञानिक, दार्शनिक, पारिस्थितिक और कलात्मक ज्ञान परंपराओं को आधुनिक स्कूली शिक्षा में सार्थक रूप से कैसे जोड़ा जा सकता है। यह सम्मेलन देशभर में लगभग 7 लाख शिक्षकों तक पहुँचा, जबकि श्री अरबिंदो सोसाइटी की व्यापक शैक्षिक पहलों से कुल मिलाकर 30 लाख से अधिक शिक्षक लाभान्वित हो रहे हैं। सम्मेलन का एक प्रमुख आकर्षण आचार्य बालकृष्ण, प्रबंध निदेशक, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिनके संबोधन ने भारत के शैक्षिक भविष्य को आकार देने में भारतीय ज्ञान प्रणाली की प्रासंगिकता को सशक्त रूप से रेखांकित किया। अपने संबोधन में आचार्य बालकृष्ण ने श्री अरविंद और उनकी ‘अतिमानस’ की दर्शनशास्त्रीय अवधारणा के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त किया और साझा किया कि किस प्रकार श्री अरविंद के लेखन और विचारधाराओं ने उनके चिंतन को बचपन से प्रभावित किया। प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली की वैज्ञानिक प्रासंगिकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, भारतीय ज्ञान प्रणालियाँ कोई आस्था या अनुमान नहीं हैं—ये तथ्य हैं, जो हमारे शास्त्रों में प्रलेखित और प्रमाणित हैं। हमारा प्राचीन ज्ञान अत्यंत वैज्ञानिक है और आज के समय में इसकी प्रासंगिकता और भी अधिक है। आधुनिक शिक्षा में इस ज्ञान को लाने के लिए श्री अरबिंदो सोसाइटी द्वारा किए जा रहे बहुआयामी कार्य की मैं सराहना करता हूँ और उसे पूर्ण समर्थन देता हूँ। इस संस्करण में विज्ञान और गणित में आईकेएस की भूमिका, समावेशी शिक्षा, कला और सौंदर्यशास्त्र, शिक्षक प्रशिक्षण, नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत अनुभवात्मक अधिगम, तथा आईकेएस में तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषयों पर गहन पैनल चर्चाएं आयोजित की गईं।
श्रीअरबिंदो सोसायटी के कार्यकारी बोर्ड सदस्य संभ्रांत शर्मा ने कहा स्कूली शिक्षा में भारतीय ज्ञान प्रणालियों का एकीकरण हमारे राष्ट्र-निर्माण के व्यापक बहुआयामी प्रयास का हिस्सा है जिसका उद्देश्य जड़ों से जुड़े, जागरूक, सक्षम और भविष्य-उन्मुख शिक्षार्थियों और शिक्षकों का निर्माण करना है। हम देशभर में 30 लाख शिक्षकों के साथ कार्य कर रहे हैं और इस सम्मेलन के माध्यम से 7 लाख शिक्षकों तक पहुँचना भारतीय ज्ञान प्रणाली के जिम्मेदार और सार्थक कार्यान्वयन की दिशा में बढ़ते राष्ट्रीय उत्साह और चेतना को दर्शाता है। यह वर्चुअल संस्करण पहुँच और प्रभाव के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि सिद्ध हुआ। लाइव सहभागिता, संस्थागत सहयोग और डिजिटल माध्यमों के जरिए यह सम्मेलन देशभर में लगभग 7 लाख शिक्षकों तक पहुँचा। इस सम्मेलन का आयोजन श्री अरबिंदो सोसाइटी द्वारा महार्षि इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी यूएसए, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, भारतीय शिक्षा बोर्ड, और फ्यूचर आइकॉन्स के सहयोग से किया गया।

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