मुम्बई- महाराष्ट्र विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 12 विधायकों के निलंबन को दरकिनार करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फड़णवीस ने शुक्रवार को कहा कि यह निर्णय राज्य की शिवसेना नीता महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार के मुंह पर जोरदार तमाचा है।विधानसभा में विपक्ष के नेता ने यह भी आरोप लगाया कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की एमवीए सरकार असंवैधानिक, अनैतिक, अनुचित, अवैध और अलोकतांत्रिक कृत्यों में संलिप्त है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने कहा कि 12 भाजपा विधायकों को निलंबित करने का निर्णय सदन के तत्कालीन पीठासीन अधिकारी ने किया था, न कि सरकार ने। शिवसेना ने इस पर आश्चर्य प्रकट किया कि शीर्ष अदालत विधायकों के बुरे बर्ताव के बावजूद उन पर नरम रही।
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा के 12 विधायकों को जुलाई 2021 के शेष सत्र की अवधि के बाद निलंबित करने का प्रस्ताव असंवैधानिक और तर्कहीन है। शीर्ष अदालत ने 12 विधायकों की याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया, जिन्होंने राज्य विधानसभा से एक साल के निलंबन को चुनौती दी थी। इन विधायकों को अध्यक्ष के कक्ष में पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप में पिछले साल पांच जुलाई को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था।फड़णवीस ने शीर्ष अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया,, सत्यमेव जयते। मॉनसून सत्र के दौरान महाराष्ट्र विधानसभा में ओबीसी के लिए लडऩे वाले हमारे 12 विधायकों के निलंबन को रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले का हम स्वागत करते हैं और अदालत को धन्यवाद देते हैं।
निलंबित किए गए 12 विधायक विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भातखलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, योगेश सागर, जय कुमार रावत, नारायण कुचे, राम सतपुते और बंटी भांगडय़िा हैं। फड़णवीस ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले से लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा होगी और यह असंवैधानिक, अनैतिक, अनुचित, अवैध और अलोकतांत्रिक कार्यों और गतिविधियों के लिए एमवीए सरकार के मुंह पर एक और जोरदार तमांचा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, मैं इंसाफ मिलने पर महाराष्ट्र के अपने 12 भाजपा विधायकों को बधाई देता हूं।
शुरू से ही हम कह रह थे कि कृत्रिम बहुमत बनाने के लिए इतने लंबे समय तक और वह भी बिना किसी वैध कारण के हमारे विधायकों को निलंबन करना पूर्णत: असंवैधानिक एवं सत्ता का दुरूपयोग है तथा माननीय उच्चतम न्यायालय ने हमारा पक्ष बरकरार रखा है। उन्होंने कहा कि यह बस 12 विधायकों का नहीं बल्कि इन 12 निर्वाचन क्षेत्रों के 50 लाख से अधिक नागरिकों का प्रश्न था। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि 12 विधायकों का निलंबन उम्मीद के अनुसार उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया।
उन्होंने निलंबन को संविधान के ढांचे के विरूद्ध बताया और यह कहते हुए एमवीए सरकार पर निशाना साधा कि उसे अब अदालत से थप्पड़ खाने की आदत हो गई है। शेलार ने संवाददाताओं से कहा, उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि महाराष्ट्र सरकार का फैसला असंवैधानिक, अवैध एवं अतार्किक है। यह पहली बार है कि शीर्ष अदालत ने सरकार को थप्पड़ जड़ा है। उन्होंने कहा, यदि निलंबन के निरसन के हमारे आवेदन पर विधानसभा सत्र के दौरान गौर किया होता तो ठाकरे सरकार इस स्थिति से बच सकती थी। इस बीच, महाराष्ट्र के मंत्री एवं राकांपा के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा, उच्चतम न्यायालय का लिखित आदेश मिल जाने के बाद विधानसभा के अध्यक्ष फैसला करेंगे। भाजपा के 12 विधायकों के निलंबन का फैसला सरकार ने नहीं, बल्कि विधानसभा के अध्यक्ष ने किया था।
प्रदेश राकांपा अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि इन विधायकों का निलंबन तत्कालीन अध्यक्ष के साथ दुर्व्यवहार का नतीजा था और यह फैसला सरकार का नहीं, बल्कि विधानसभा अध्यक्ष का है। उन्होंने शीर्ष अदालत के फैसले को सरकार के लिए झटका मानने से इनकार कर दिया। शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा, मैं चकित हूं कि उचचतम न्यायालय उन 12 भाजपा विधायकों के प्रति नरम हैं जिन्हें उनके कथित दुर्व्यवहार के चलते निलंबित किया गया है। लेकिन जब राज्य मंत्रिमंडल द्वारा नामजद किए गए 12 नामों को विधानपरिषद के लिए नियुक्त करने की बात आती है तब वही उच्चतम न्यायालय वैसा विचारशील नहीं होता है।