पणजी- गोवा विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने ज्यादातर स्थानों पर असंतुष्ट नेताओं को काबू में करने में सफलता पाई है लेकिन पणजी समेत चार सीटें पार्टी के लिए चिंता का कारण बनी हुई हैं। पणजी में पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के दिवंगत कद्दावर नेता मनोहर र्पिकर के बेटे उत्पल र्पिकर, सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार अतानासियो मोंसेरेट के विरुद्ध निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े हैं। मोंसेरेट 2019 में कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए थे। उत्पल ने दावा किया है कि उनके मन में भाजपा ही है लेकिन वह इसलिए चुनाव लड़ रहे हैं ताकि कोई गलत व्यक्ति उस सीट से न जीत जाए जिसका प्रतिनिधित्व उनके (उत्पल) पिता कर चुके हैं।  उन्होंने संभवत: मोंसेरेट के खिलाफ दर्ज गंभीर मामलों की ओर इशारा किया।

मांड्रेम में लक्ष्मीकांत पारसेकर ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है जो पार्टी की घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष थे। अब वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दयानन्द सोपते के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं जिन्होंने उन्हें कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में 2017 में शिकस्त दी थी। संगुएम सीट पर सावित्री कवलेकर ने बगावत कर दी है और अब वह भाजपा के उम्मीदवार सुभाष फलदेसाई के विरुद्ध लड़ रही हैं। कवलेकर, पूर्व उप मुख्यमंत्री चंद्रकांत कवलेकर की पत्नी हैं और कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आई थीं। कंभरजुआ सीट पर भाजपा को सिद्धेश को शांत रखने में सफलता मिली है जो केंद्रीय मंत्री श्रीपद नाइक के बेटे हैं। टिकट न मिलने से नाराज सिद्धेश ने निर्दलीय लडऩे का फैसला किया था। हालांकि, वर्तमान विधायक पांडुरंग मडकईकर की पत्नी और भाजपा प्रत्याशी जैनिता मडकईकर को पूर्व सहयोगी रोहन हरमलकर के खिलाफ लडऩा होगा जो कंभरजुआ से निर्दलीय उम्मीदवार हैं।