नई दिल्ली- केजरीवाल सरकार बोरिंग का सीधा पानी लोगों को पहुंचाने में लगी हुई है। उसके लिए पीने के पानी का ना कोई जांच किया गया है और ना ही उसका शुद्धिकरण किया गया है। इसके लिए केजरीवाल ने पूरे प्रदेश में 600 से ज्यादा बोरवेल लगाने का काम किया है। हालांकि एनजीटी ने साल 2019 से ही दिल्ली में बोरवेल लगाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। अगर दिल्ली में कोई बोरवेल लगाता है तो दिल्ली सरकार के लोग उससे या तो मोटी रकम वसूल करते हैं या उसके लिए खिलाफ मुकदमा कर देते हैं लेकिन केजरीवाल सरकार एवं दिल्ली जल बोर्ड किसी भी कानून को मानने के लिए तैयार ही नहीं है। यह बात भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कही। उन्होंने कहा कि केजरीवाल जब सत्ता में आए थे तो उन्होंने बिजली हाफ पानी मुफ्त देने का वायदा किया था लेकिन आज सात साल बाद भी लोगों को बिजली के नाम पर बड़े बिल आ रहे हैं और शुद्ध एवं साफ पानी के नाम पर बोरवेल वाली गंदा, अशुद्ध एवं बिना शोधित पानी पिलाया जा रहा है। उस पानी को पीकर हजारों लोग कई तरह की बिमारियों के शिकार हो रहे हैं। पेट की कई तरह की बिमारियां हो रही है और लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि जमीन से पानी निकालकर बेचने वालों को टैंकर माफिया कहा जाता है जो आज खुद दिल्ली सरकार हो चुकी है। बोरवेल के पानी बिना किसी ट्रिटमेंट प्लांट लगाए उसे जनता तक पहुंचाया जा रहा है और जनता मजबूरन उस पानी को पी रही है। जलबोर्ड आज लूट का अड्डा बना हुआ है। नए बने एक-एक मकान के विकास शुल्क के नाम पर 10-10 लाख रुपए लिए जा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस बयान को झूठा बताया जिसमें केजरीवाल ने कहा है कि उनके द्वारा 700 अनुबंधित कर्मचारियों को नियमित किया गया है जबकि सच्चाई यह है कि जिन 700 कर्मचारियों को नियमित करने की बात केजरीवाल कर रहे हैं उन सभी कर्मचारियों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली है। मतलब यह कि जिस दिन से इन कर्मचारियों को नौकरी मिली वे उसी दिन से नियमित हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली जलबोर्ड के अंदर 3000 अनुबंधित कर्मचारी है, जिन्हें अभी तक नियमित नहीं किया गया है। यही नहीं 100 से ज्यादा जेई अनुंबंधित है, उन्हें आज तक नियमित नहीं किया गया।