आंगनवाड़ीकर्मियों पर उपराज्यपाल किस प्रकार लगा सकते हैं एस्मा: शिवानी

अपनी मांगों को लेकर पिछले 39 दिनों से हड़ताल कर रहीं आंगनवाड़ीकर्मियों पर उपराज्यपाल द्वारा एस्मा लगाए जाने पर दिल्ली  स्टेट आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन की अध्यक्ष शिवानी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह कानून केवल सरकारी कर्मचारियों पर ही लगाया जा सकता है। लेकिन सरकार तो आंगनवाड़ीकर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देती ही नहीं है। वह तो उन्हें स्वैच्छिक कार्यकर्ता मानती है, जो पर काम करते हैं। फिर दिल्ली के उपराज्यपाल इस पर एस्मा किस प्रकार लगा सकते हैं। जाहिर है, यह कदम पूरी तरह से असंवैधानिक और गैर-कानूनी है। लेकिन आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी दोनों इस कदर भया में हैं कि इनका दिमाग काम करना बंद कर चुका है।

शिवानी ने कहा कि ये भूल गए कि आंगनवाड़ीकर्मी तो कर्मचारी हैं ही नहीं, तो फिर इन पर एस्मा कैसे लगाया जा सकता है। ये किसी भी तरह से जारी हड़ताल को रोकना चाहते हैं। इन्होंने तर्क दिया है कि चूंकि दिल्ली में बच्चों व औरतों की देखरेख के कार्य को हानि पहुंच रही है, इसलिए आंगनवाड़ीकर्मियों की हड़ताल पर एस्मा लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली स्टेट आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन इस अन्यायपूर्ण कदम का पहला जवाब इसे कल ही अदालत में चुनौती देकर देगी। यदि देश की न्यायपालिका वास्तव में स्वतंत्र और निष्पक्ष है, तो वह इस गैर-कानूनी और असंवैधानिक आदेश को रद्द करेगी और हड़ताल के बुनियादी अधिकार को सुनिश्चित करेगी। यदि वह सरकार और चुनावी पार्टियों की जेब में नहीं बैठी है, तो वह या तो आंगनवाड़ीकर्मियों को नियमितीकरण कर सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने का आदेश सरकार को देगी या फिर एस्मा को रद्द करेगी क्योंकि एस्मा सरकारी कर्मचारियों पर ही लगाया जा सकता है। अगर न्यायपालिका ऐसा नहीं करती है, तो यह सिद्ध हो जायेगा कि हमारे देश की न्यायपालिका भी निष्पक्ष और स्वतंत्र नहीं है, बल्कि मुनाफाखोरों, अमीरों और सत्ताधारियों की जेब में बैठी है।