नई दिल्ली – चारधाम यात्रा भारत के सबसे पवित्र तीर्थयात्राओं में से एक है। यह श्रद्धालुओं के लिए साल में केवल 6 महीने के लिए खुलता है। कोरोना वायरस महामारी की वजह से दो सालों की लंबी अवधि तक बंद रहने के बाद सरकार ने इस साल यात्रा की अनुमति दी है। हालाँकि अभी यात्रा को शुरू हुए एक महीना ही हुआ है, लेकिन चारधाम यात्रा हेलिकॉप्टर सेवा के बारे में देश भर के विभिन्न हिस्सों से लोग लगातार पूछताछ कर रहे हैं। हमें इस सीजन के दौरान बड़ी संख्या में बुकिंग मिलने की उम्मीद है। जेटसेटगो ने अन्य हेलिकॉप्टर मालिकों और सेवा मुहैया कराने वालों से साझेदारी की है, ताकि इस सीजन में अधिकतम संख्या में श्रद्धालुओं की सेवा की जा सके।चीन और अमेरिका के बाद भारत कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक देश है। तेल की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव से हम व्यापक रूप से प्रभावित होते हैं क्योंकि हम अपनी तेल जरूरतों का करीब 80% से अधिक हिस्सा आयात से पूरा करते हैं। यूक्रेन संघर्ष की हम बड़ी कीमत चुका रहे हैं क्योंकि इसकी वजह से कच्चे तेल के आयात लागत में इजाफा हो रहा है जैसे इसकी आयात जरूरतें। मुझे वास्तव में लगता है कि भारतीय रुपये की कमजोरी और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें महंगाई को बढ़ा सकती हैं।एटीएफ की कीमतों में सबसे हालिया 8.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी केंद्रीय बजट को पेश करने से ठीक पहले की गई थी, जिससे ईंधन महँगा हो गया एटीएफ की कीमतें दोहरी मार झेलती हैं – तेल कंपनियों द्वारा उच्च आधार मूल्य निर्धारण और फिर उच्च कर। ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण उड्डयन क्षेत्र पर काफी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है क्योंकि इससे परिचालन लागत में वृद्धि होती है।इसके बाद कंपनियाँ अपने लागत भार को अनुपातिक रूप से ग्राहकों पर स्थानांतरित कर देती हैं और इसका कारोबारी परिचालन पर दीर्घकालिक असर होता है। पिछले कुछ सालों से जारी कोरोना वायरस महामारी और सीमित तौर पर बाजारों के खुलने की वजह से उड्डयन उद्योग को काफी नुकसान पहुँचा है और इसकी वजह से हम सरकार की तरफ से मदद मिलने की उम्मीद कर रहे हैं।भारत उड्डयन क्षेत्र में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। भारत में निजी चार्टर एयरलाइन व्यवसाय अभी भी शुरुआती अवस्था में है और इसमें अगले 3 से 5 वर्षों में अभूतपूर्व रूप से बढ़ने की क्षमता है। निजी चार्टर एयरलाइन व्यवसाय के लिए सबसे बड़ी चुनौती बुनियादी ढाँचा, लागत और रख-रखाव और कराधान की कमी है। उड़ान जैसी नीतियों के साथ, सरकार न केवल उड्डयन सेवाओं तक आसान पहुँच के लिए छोटे क्षेत्रीय हवाई अड्डों को विकसित कर रही है बल्कि बुनियादी ढाँचे से संबंधित चुनौतियों को भी दूर करने की कोशिश कर रही है। गौरतलब है कि भारत में एक विमान को पट्टे पर देना मुश्किल काम रहा है और गिफ्ट जैसी पहल के साथ सरकार इस मुद्दे को हल करने की कोशिश कर रही है। हालाँकि, समस्या ऐसी पहल को लागू करने से संबंधित है ताकि उद्योग को इसका लाभ मिल सके। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार उन नीतियों और पहलों के क्रियान्वयन पर स्थिति को स्पष्ट करेगी, जो उड्डयन उद्योग के विकास में काफी मदद पहुँचाने वाले साबित होंगे।जेटसेटगो ने 2014 में अपनी स्थापना के कुछ ही वर्षों के भीतर चार्टर विमान और हेलीकॉप्टर बेड़े के भारत के सबसे बड़े संचालक के रूप में खुद को स्थापित किया है। भारत के चार्टर उड्डयन बाजार में 20% की हिस्सेदारी पर अधिकार करने के साथ ही यह सबसे बड़े हितधारक के तौर पर उभर कर सामने आई है।अपने हवाई समय को बढ़ाने के इरादे से, हम हर दिन कम से कम 7 उड़ानें भरते हैं और कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत के बाद से यह संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले 2 वर्षों में हमने नौगुणा वृद्धि की है और हमारे 70% ग्राहक इसी अवधि के दौरान हमसे जुड़े हैं। हम अपने यात्रियों के लिए सुरक्षित, आरामदायक और शानदार यात्रा सुनिश्चित करते हैं।जेटसेट गो अब इलेक्ट्रिक वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग एयरक्राफ्ट का उपयोग करके भारत में शहरों के बीच संपर्क के साथ अग्रणी एयर टैक्सियों को आरंभ करने के शुरुआती चरण में है और उम्मीद है कि जल्द ही इस सेवा को लॉन्च कर दिया जाएगा। हम उच्च परिचालन लागत के जोखिम को कम करने और लाभप्रदता सुनिश्चित करने के लिए क्रमशः रख-रखाव लागत को कम करने, एयरटाइम बढ़ाने और ग्राउंड टाइम को कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं। जेटसेट गो तकनीक, विशिष्ट रखरखाव प्रक्रियाओं और स्मार्ट प्रबंधन के संयोजन का इस्तेमाल कर रहा है और ये सभी जेटसेटगो के मालिकाना हक में विकसित किए गए हैं।विमान सेवा में पायलट्स की अहम् भूमिका होती है। क्या भारत में पायलट्स का उचित मानवीय संसाधन उपलब्ध है? क्या भारत पायलट्स के शिक्षण और प्रशिक्षण के क्षेत्र में और काम करने की आवश्यकता है पायलट हम सभी की उम्मीद से अधिक व्यापक भूमिका का निर्वहन करते हैं। इनके कंधों पर विमान के सुरक्षित और कुशल संचालन तथा चालक दल और यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है। एक एयरलाइन के लिए प्रशिक्षित पायलट के बिना काम करना असंभव होगा। बोइंग के एक अध्ययन के मुताबिक भारत में प्रशिक्षित पायलटों की भारी कमी है। उड्डयन उद्योग की माँगों को पूरा करने के लिए, भारत को प्रति वर्ष कम से कम 1,500 पायलटों की आवश्यकता है। हालाँकि, देश में एयरलाइन क्षेत्र के लिए आवश्यकताओं को पूरा करने और मानव संसाधन को प्रशिक्षित करने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढाँचा और प्रशिक्षण संस्थान की कमी है । देर से ही सही लेकिन भारत की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना में तेजी आई है। हालाँकि, प्रशिक्षित पायलटों की कमी इसके विकास को प्रभावित कर सकती है। हम अभी भी वाणिज्यिक पायलटों के प्रशिक्षण के लिए भारत के बाहर के उड़ान स्कूलों एफटीओ पर बहुत अधिक निर्भर हैं।