पटना- जिला बोर्ड के प्राधिकारियों ने बिहार सरकार को पत्र लिखकर एक सदी से अधिक पुराने भाप आधारित रोड रोलर सहित अन्य प्राचीन वस्तुओं को कलेक्टरेट परिसर से तत्काल पटना संग्रहालय में स्थानांतरित करने की मांग की है। डच काल में निर्मित इस इमारत में जहां ए प्राचीन वस्तुएं रखी हुई हैं, के अधिकांश हिस्से को ढहाए जाने के बाद यह मांग की गई है। इंग्लैंड के लीड्स स्थित जॉन फॉलर एंड कंपनी द्वारा निर्मित यह दुर्लभ रोड रोलर फिलहाल गंगा के तट पर स्थित जिला अभियंता कार्यालय की ऐतिहासिक इमारत के सामने मौजूद खुली जमीन में रखा हुआ है। इस इमारत के पूर्वी हिस्से को नए कलेक्टरेट परिसर के निर्माण के लिए तीन जुलाई को ढहा दिया गया था। जिला बोर्ड की अध्यक्ष कुमारी स्तुति ने कहा, जिला बोर्ड पटना ने कई हफ्ते पहले बिहार सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग को पत्र लिखकर विंटेज रोड रोलर सहित अन्य प्राचीन वस्तुओं को स्थानांतरित करने का आग्रह किया था, क्योंकि ध्वस्तीकरण की मौजूदा प्रक्रिया के दौरान इन्हें नुकसान पहुंचने या इनके नष्ट होने का खतरा है। स्तुति ने कहा, मई में पटना कलेक्टरेट परिसर में पुरानी, ऐतिहासिक इमारतों को ढहाने की प्रक्रिया शुरू होने के तुरंत बाद ही हमने इन प्राचीन वस्तुओं को पटना संग्रहालय को सौंपने का फैसला किया था, ताकि इन्हें आने वाली पीढय़िों के अवलोकन के लिए सहेजकर रखा जा सके। जिला बोर्ड के पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए पटना संग्रहालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कला एवं संस्कृति विभाग से संग्रहालय को एक पत्र प्राप्त हुआ है। अधिकारी के मुताबिक, विभाग के निर्देश के तहत एक टीम विंटेज रोड रोलर और दीवार घड़ी सहित बोर्ड के पत्र में उल्लिखित अन्य प्राचीन वस्तुओं के आधिकारिक निरीक्षण के लिए जल्द पटना कलेक्टरेट परिसर का दौरा करेगी। जिला बोर्ड के अधिकारियों ने बिहार सरकार के प्राधिकारियों से इन वस्तुओं का जल्द से जल्द स्थानांतरण सुनिश्चित करने की अपील की, क्योंकि जिला अभियंता कार्यालय की इमारत के बाकी हिस्से को कभी भी ढहाया जा सकता है। बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, विंटेज रोड रोलर एक बहुत ही अनोखी विरासत वस्तु है। यह रोड रोलर भाप से संचालित होता था और जिला बोर्ड द्वारा सडक़ निर्माण के लिए उपयोग में लाया जाता था। इसे मौजूदा और आने वाली पीढय़िों के लिए बचाना होगा। हमें उम्मीद है कि पटना संग्रहालय के अधिकारी इमारत के बाकी हिस्से को ढहाए जाने से पहले जरूरी कदम उठाएंगे। जिला बोर्ड पटना की स्थापना साल 1886 में की गई थी। बोर्ड का जिला अभियंता इसकी पुरानी इमारत में बैठता था, जिसके आधार पर बिल्डिंग का नामकरण किया गया था। जिला अभियंता कार्यालय की इमारत के दक्षिणी हिस्से के शीर्ष पर एक सुंदर पुरानी सिरेमिक प्लेट भी जड़ी हुई है। एक पुनर्विकास परियोजना के तहत जब तीन जुलाई को जिला अभियंता कार्यालय की इमारत के एक बड़े हिस्से पर बुल्डोजर चलाए गए थे, तब खतरे में पड़े सुल्तान पैलेस सहित अन्य विरासत इमारतों को भविष्य में ध्वस्तीकरण से बचाने के उपायों पर चर्चा करने के लिए नागरिकों का एक समूह कलेक्टरेट परिसर के पास एकत्रित हुआ था। इस साल 13 मई को उच्चतम न्यायालय ने विरासत निकाय इनटैक की एक याचिका को खारिज कर दिया था, जो पटना कलेक्टरेट परिसर को विध्वंस से बचाने के लिए साल 2019 से कानूनी लड़ाई लड़ रहा था। शीर्ष अदालत के इस फैसले से इस ऐतिहासिक परिसर को ढहाने का रास्ता साफ हो गया था। ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया अगले दिन ही शुरू हो गई थी। 1938 में निर्मित जिला बोर्ड पटना की इमारत पर सबसे पहले बुल्डोजर चले थे और यह इमारत 17 मई तक पूरी तरह से ढहा दी गई थी। 17 मई तक कलेक्टरेट परिसर में स्थित भूमि अधिग्रहण कार्यालय और रिकॉर्ड रूम की इमारत को भी ध्वस्त कर दिया गया था।ब्रिटिश काल की पटना जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय की इमारत भी कलेक्टरेट परिसर का हिस्सा थी। यह ऑस्कर विजेता फिल्म गांधी के कुछ प्रमुख दृश्यों में नजर आ चुकी है। लगभग दो हफ्ते पहले इसे भी ध्वस्त कर दिया गया था, जो प्रतीकात्मक रूप से एक युग का अंत है। परिसर में मौजूद पुरानी इमारतें और रोड रोलर सहित अन्य विंटेज वस्तुएं ऐतिहासिक पटना कलेक्टरेट बचाओ अभियान के जरिए सुर्खियों में आई थीं। यह एक नागरिक अभियान था, जिसके प्रतिभागी अपनी विरासत यात्रा के जरिए वर्ष 2016 से ही कलेक्टरेट परिसर को बचाने की लड़ाई लड़ रहे थे, जब इसे ढहाने की योजना पेश की गई थी। 14 मई को ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद ऐतिहासिक पटना कलेक्टरेट बचाओ अभियान के प्रतिनिधियों ने प्राधिकारियों से एक बार फिर इन इमारतों और वहां मौजूद स्काईलाइट, प्राचीन दीवार घड़ी, तिजोरी और प्रिटिंग प्रेस मशीन जैसी विरासत वस्तुओं को बचाने की अपील की थी। इस बेहद दुर्लभ प्रिंटिंग प्रेस मशीन का निर्माण 19वीं सदी में स्थापित प्रतिष्ठित ब्रिटिश कंपनी पेन एंड सन्स ने किया था। जिला बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा, हमने इस मशीन को फिलहाल पटना के डाक बंगला चौराहा स्थित लोकनायक भवन के एक कमरे में स्थानांतरित कर दिया है। एक बार हमें नई प्रेस मशीन मिल जाएगी तो हम इस विंटेज प्रेस मशीन को भी पटना संग्रहालय भेज देंगे। उन्होंने बताया कि विंटेज प्रेस मशीन जिला अभियंता कार्यालय इमारत के पूर्वी हिस्से के एक कमरे में रखी हुई थी और संबंधित हिस्से पर बुल्डोजर चलने से पहले इसे वहां से हटा लिया गया था।