नई दिल्ली- प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली में बिजली दर को बढ़ाने के फैसले को दिल्लीवालों के साथ धोखा बताते हुए कहा कि पिछले सात सालों से दिल्ली में केजरीवाल की सरकार है, लेकिन इन सात सालों में उन्होंने बिजली की सप्लाई बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए हैं, उसका जवाब भी उन्हें दिल्लीवालों को देना चाहिए। गुप्ता ने कहा कि तीसरी बार सत्ता में आने के बावजूद केजरीवाल ने बिजली को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया और ना ही कोई रुप रेखा तैयार की है। पहले मुफ्त बिजली का लॉलीपोल देकर दिल्ली को खोखला कर दिया और जब इसकी पोल खुलने लगी तो उन्होंने इसका पूरा बोझ 6 फीसदी बिजली दर बढ़ाकर दिल्ली की जनता पर डाल दिया। दिल्ली की जनता को बढ़े हुए बिजली दर के रुप में करना पड़ रहा है। आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में औसतन बिजली दर 6.85 रुपए प्रति यूनिट है जबकि औद्योगिक ईकाइयों को 10.69 रुपए प्रति यूनिट और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए दर 5.11 रुपए प्रति यूनिट वसूला जा रहा था जिसे अब बड़ा दिया गया। उन्होंने कहा कि जहां तक मुफ्त बिजली वितरण की बात है यह केजरीवाल सरकार की वोट बैंक स्कीम है। इसकी कीमत महंगी बिजली दर एवं भारी शुल्क देने वाले दुकानदार, उद्योग एवं मध्यम वर्ग के घरेलू उपभोक्ता चुका रहे हैं। यही नहीं दिल्ली में केजरीवाल एकलौते मुख्यमंत्री हैं जो किसानों से भी कमर्सियल रेट पर बिजली बिल वसूलने का काम कर रहे हैं। आदेश गुप्ता ने केजरीवाल पर बिजली उपभोक्ताओं को लूटने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुफ्त की राजनीति तो सिर्फ एक दिखावा है असल में केजरीवाल प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर दिल्ली की जनता को लूट रहे हैं। दिल्ली वालों के साथ यह भद्दा मजाक है। दिल्ली में 7000 मेगावाट बिजली की सप्लाई होती है, उसके हिसाब से फिक्स चार्ज के नाम पर तीन गुना से ज्यादा दाम वसूल किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों के साथ सांठ-गांठ का नतीजा है कि आज केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में 6 फीसदी बिजली दर बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। गुप्ता ने कहा कि यह बिजली की कमी को लेकर दिल्ली सरकार बार-बार बयान तो देती रही है, लेकिन केजरीवाल सरकार ने इस बारे में ना ही कभी सोचा और ना ही बिजली कंपनियों से कोई बातचीत की। ऐसा इसलिए क्योंकि केजरीवाल सरकार प्राइवेट कंपनियों के साथ सांठ-गांठ कर भारी भ्रष्टाचार कर रही है। बिजली की उचित समय पर खरीद की जिम्मेदारी कंपनियों की है। अगर कंपनियां इस जिम्मेदारी को पूरा नहीं करतीं तो फिर जनता से इसकी वसूली कैसे की जा सकती है, सर्दियों में बिजली कम दरों पर खरीदी जाती है,अगर इसी सिद्धांत का पालन किया जाए तो उस समय बिजली सस्ती की जानी चाहिए।