नई दिल्ली – दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 ने राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव किया, जब आम आदमी पार्टी (AAP) को भारी पराजय का सामना करना पड़ा और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी की। इस चुनावी परिणाम ने AAP के बहुप्रचारित ‘शिक्षा व स्वस्थ के मॉडल’ पर गंभीर सवाल खड़े किए। हालांकि, हार के कई प्रमुख कारण स्पष्ट हैं, कुछ मुद्दे ऐसे भी थे जिन्हें व्यापक चर्चा नहीं मिली। AAP की हार के प्रमुख कारण,1. सत्ता विरोधी लहर (Anti-Incumbency):AAP सरकार ने दिल्ली में 12 साल का लंबा शासन किया। इतने लंबे समय तक सत्ता में रहने के कारण जनता में सरकार के प्रति असंतोष बढ़ गया। कई नीतियों और योजनाओं की विफलताओं ने इस असंतोष को और बढ़ा दिया।2. यमुना नदी का प्रदूषण: दिल्ली की जनता के लिए यमुना नदी का प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा बना रहा। नदी के साफ होने के वादों के बावजूद, जल की गुणवत्ता में कोई बड़ा सुधार नहीं हुआ। यह सरकार की पर्यावरण नीतियों की विफलता को उजागर करता है, जिसने जनता में नाराजगी पैदा की।3. मोहल्ला क्लीनिक की विफलता:AAP सरकार द्वारा शुरू किए गए मोहल्ला क्लीनिकों को एक क्रांतिकारी पहल के रूप में पेश किया गया था। लेकिन क्लीनिकों में सुविधाओं की कमी और गुणवत्ता पर सवाल उठने के कारण, यह योजना वांछित परिणाम देने में विफल रही। 4. शिक्षा नीति की खामियां:JNU के प्राध्यापक डॉ. शुभ गुप्ता की रिपोर्ट ने AAP की शिक्षा नीति की गंभीर खामियों को उजागर किया। उनकी रिपोर्ट में बताया गया कि:9वीं कक्षा के बाद कमजोर छात्रों को जानबूझकर फेल कर दिया जाता है, ताकि 10वीं कक्षा के परिणाम अच्छे दिखें।शिक्षा प्रणाली में डेटा हेरफेर और SC छात्रों के नामांकन में कमी: अनुसूचित जाति उप-योजना के बावजूद नामांकन गिरा।कमजोर छात्रों के लिए मदद का अभाव: विशेष रूप से विज्ञान विषयों में।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों पर ध्यान देते हुए कहा,दिल्ली में 9वीं के बाद बच्चों को आगे बढ़ने नहीं दिया जाता। यह बड़ा बेईमानी का काम है।प्रधानमंत्री के इस बयान ने शिक्षा के क्षेत्र में AAP सरकार की नीतियों की वास्तविकता को राष्ट्रीय बहस का विषय बना दिया। 5. भ्रष्टाचार और नेतृत्व पर सवाल:AAP नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पारदर्शिता की कमी ने जनता का विश्वास कमजोर कर दिया। पार्टी के आंतरिक मतभेद और नेतृत्व पर सवाल भी इस हार का एक बड़ा कारण बने। 6. BJP का रणनीतिक चुनाव अभियान:BJP ने इन सभी मुद्दों को अपने चुनावी प्रचार में प्रभावी ढंग से उठाया। AAP की विफलताओं को उजागर करते हुए BJP ने जनता के लिए एक भरोसेमंद विकल्प प्रस्तुत किया। शिक्षा, स्वास्थ्य, और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर AAP की नीतियों की आलोचना को जनता तक पहुंचाया। इस चुनाव ने यह स्पष्ट कर दिया कि केवल प्रचार और वादों से जनता का विश्वास बनाए रखना संभव नहीं है। सरकारों को पारदर्शिता, समानता, और वास्तविक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। आम आदमी पार्टी की हार भविष्य की सरकारों के लिए एक सबक है कि सिर्”मॉडल” पेश करना काफी नहीं, इसे जमीन पर उतारना भी जरूरी है।

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