नई दिल्ली – एम्स नई दिल्ली को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में स्वास्थ्य सेवा केंद्रित उत्कृष्टता केंद्र यानी सेंटर ऑफ ऐक्सीलेंस (सीओई) का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है, गौर तलब है कि भारत ने तीन एआई-केंद्रित सीओई स्थापित करने की पहल की है और यह केन्द्र उसी का हिस्सा है। यह कदम मेडिकल इनोवेशन के मामले में एम्स की स्थिति को मजबूत करेगा। स्वास्थ्य सेवाओं में अहम चुनौतियों के समाधान हेतु टेक्नोलॉजी उपयोग की दिशा में यह कदम भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। आईआईटी दिल्ली और 20-30 संगठनों के एक संघ के सहयोग से एम्स रोग के शीघ्र अनुमान, डायग्नोस्टिक, महामारी ट्रैकिंग और सस्ती दवाओं तक पहुँच में सुधार के लिए एआई ऐप्लीकेशंस को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा। प्रारंभिक परियोजनाओं में मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी,फेफड़ों संबंधी बीमारियों और त्वचा संबंधी स्थितियों से निपटना शामिल होगा, जिसका उद्देश्य घरेलू और वैश्विक स्वास्थ्य सेवा चुनौतियों का समाधान करने वाले मापनीय समाधान तैयार करना है।एम्स नई दिल्ली में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कृतिका रंगराजन ने भारत के हैल्थकेयर ईकोसिस्टम के लिए एआई की परिवर्तनकारी क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया,वर्तमान में, स्वास्थ्य सेवा समाधान खंडित हैं और पूरी तरह से जन स्वास्थ्य की जरूरतों के मुताबिक नहीं हैं। सीओई का उद्देश्य अक्षमताओं की पहचान करना और लक्षित एआई हस्तक्षेपों के माध्यम से हैल्थकेयर ईकोसिस्टम को बदलना है।हैल्थकेयर सीओई सहयोग के लिए एक केंद्र के रूप में काम करेगा, जो अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों, स्टार्टअप और उद्योगों को एक साथ लाएगा ताकि एआई उपकरण बनाए जा सकें जो भारत के डिजिटल हैल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में सहजता से इंटिग्रेट हो सकें। डॉ. रंगराजन ने एआई की इंटरडिसिप्लीनरी प्रकृति पर जोर देते हुए कहा,सार्थक बदलाव के लिए, सभी क्षेत्रों में सहयोग आवश्यक है।भारत ने तीन एआई उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए स्वास्थ्य सेवा में एम्स नई दिल्ली का नेतृत्व भारत सरकार की व्यापक पहल का हिस्सा है, जिसके तहत स्वास्थ्य सेवा, कृषि और सतत शहरी विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए एआई के तीन उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इन उत्कृष्टता केंद्रों को पांच वर्षों में 9.9 अरब का बजट आवंटित किया गया है, जिसका लक्ष्य भारत को एआई-संचालित इनोवेशन में विश्व लीडर के रूप में स्थापित करना है। इस पहल की घोषणा करते हुए, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इन केंद्रों को एआई में भारत की वैश्विक स्थिति को ऊपर उठाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा,ये सीओई नवाचार को बढ़ावा देंगे, वैश्विक चुनौतियों का समाधान करेंगे और भारत के युवाओं के लिए अवसर पैदा करेंगे। पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सार्वजनिक स्वास्थ्य में क्रांति लाने के लिए एआई की क्षमता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा,एआई से प्रोग्राम मॉनिटरिंग, धोखाधड़ी का पता लगाने, रोग निगरानी और क्लीनिकल निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है। उन्होंने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री – जन आरोग्य योजना (एबीपीएम-जेएवाई) के तहत धोखाधड़ी वाले लेनदेन का पता लगाने में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा इसके सफल अनुप्रयोग पर प्रकाश डाला। एआई के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा में परिवर्तन .एम्स के नेतृत्व वाले सीओई का उद्देश्य न केवल भारत में स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का समाधान करना है, बल्कि एआई-संचालित चिकित्सा नवाचार के लिए वैश्विक मानक भी स्थापित करना है। टारगेटिड सॉल्यूशन बनाने और सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, यह पहल 2047 तक एक समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने के भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। एआई के उपयोग से एक ऐसे विकसित भारत निर्माण की दिशा में यह एक निर्णायक कदम है, जहां टेक्नोलॉजी सामाजिक हितों के लिए काम क