नई दिल्ली – इस वर्ष के ई-वेस्ट अवेयरनेस और रिडक्शन कैंपेन ने लगभग एक लाख छात्रों तक पहुँच बनाई है। अब तक इस पहल का सबसे बड़ा प्रभाव आप क्या मानते हैं?सबसे बड़ा प्रभाव जो हमने देखा है, वह है व्यवहार में बदलाव। छात्र न केवल यह सीख रहे हैं कि ई-वेस्ट क्या है, बल्कि वे इसे सही तरीके से पहचान भी रहे हैं और घर तथा स्कूल दोनों जगह इसे अलग-अलग करके रख रहे हैं। और यही किसी भी दीर्घकालिक परिवर्तन की असली नींव है।हर छात्र जो कुछ सीखता है, वह आगे चार से पाँच परिवार के सदस्यों को प्रभावित करता है। बदलाव सिर्फ कक्षा तक सीमित नहीं है- यह घरों, मोहल्लों और समुदायों तक पहुँच रहा है। इसलिए, भले ही कैंपेन समाप्त हो गया है, स्कूल और छात्र पारिस्थितिकी तंत्र इस आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं, और यही इसके प्रभाव का सच्चा पैमाना है।2. पिछले तीन वर्षों में यह अभियान कैसे विकसित हुआ है, और किन चुनौतियों या सीखों ने इस वर्ष की रणनीति को प्रभावित किया?पंकज बजाज, संस्थापक एवं निदेशक, बजाज फ़ाउंडेशन का कहना है, पिछले तीन वर्षों में, बजाज फ़ाउंडेशन ने बियॉन्ड टेक, स्कूल्स फॉर सस्टेनेबिलिटी और युथ ईको समिट जैसी कई अभियानों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने का कार्य किया है। शुरुआत का फोकस बुनियादी समझ विकसित करने पर था ताकि छात्र सिर्फ यह पहचान सकें कि ई-वेस्ट क्या होता है। लेकिन अब हम जागरूकता से आगे बढ़कर एक्शन की ओर और उससे भी आगे ग्रीन स्किलिंग और क्लाइमेट-टेक टूल्स जैसे क्षेत्रों में मज़बूती से विस्तार कर चुके हैं।वर्तमान में चल रहा ई-वेस्ट अवेयरनेस और रिडक्शन का विशेष अभियान पूरी तरह से व्यावहारिक समाधानों पर केंद्रित है-कलेक्शन ड्राइव्स, DIY रिपेयर वर्कशॉप्स, और सर्टिफ़ाइड रीसाइक्लर्स के साथ मज़बूत सहयोग, ताकि छात्र अपने कचरे की पूरी यात्रा को समझ सकें। जो अभियान एक ही शहर से शुरू हुआ था, आज 10+ शहरों में फैल चुका है और विभिन्न पृष्ठभूमियों से आने वाले लाखों छात्रों तक पहुँच रहा है-गुवाहाटी, अमृतसर, जयपुर, मदुरै, इंदौर… कुछ उदाहरण हैं। बेशक, विस्तार के साथ चुनौतियाँ भी आईं, खासकर हर जगह सुरक्षित संग्रह सुनिश्चित करने की। इसके लिए अधिक सख़्त समन्वय की आवश्यकता थी-अधिकृत रीसाइक्लर्स और स्कूल नोडल अधिकारियों के साथ निकट सहयोग। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सीख खुद छात्रों से मिलीः वे एजेंसी चाहते हैं। वे सिर्फ सुनने वाली सत्र नहीं चाहते; वे प्रोजेक्ट्स, चुनौतियाँ और ठोस परिणाम चाहते हैं। यही वजह है कि इस वर्ष के अभियान को अधिक इंटरैक्टिव और एक्शन-ड्रिवन फ़ॉर्मेट में विकसित किया गया। इस वर्ष का यूथ ईको समिट पिछले संस्करणों की तुलना में छात्रों को कैसे अलग तरीके से सशक्त कर रहा है?इस वर्ष का यूथ ईको समिट कहीं अधिक हैंड्स-ऑन और फ्यूचर-फोकस्ड है।हमारे समयोचित Youth x Al थीम के साथ, हम छात्रों को समझा रहे हैं कि AI कैसे जलवायु समाधानों को सशक्त बना सकता है- स्मार्ट वेस्ट सॉर्टिंग से लेकर बेहतर ऊर्जा प्रबंधन तक। नए थीमैटिक ज़ोन – ग्रीन इनोवेशन और क्लाइमेट-टेक टूल्स उन्हें प्रयोग करने का अवसर देंगे, जबकि छात्र-नेतृत्व वाली पैनल चर्चाएँ और मिनी COP उन्हें असली नेतृत्व और एजेंसी प्रदान करेंगे। mentorship pathways और ग्रीन करियर वार्ताएँ उनके रुचि-क्षेत्रों को वास्तविक भविष्य से जोड़ेंगी। और 45+ शहरों के 5,000+ स्कूलों की भागीदारी के साथ, छात्रों को राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग और प्रदर्शित होने का मंच मिलेगा। इस वर्ष के यूथ ईको समिट को आगे बढ़ाने वाली मुख्य दृष्टि (विजन) क्या है?पिछले यूथ ईको समिट में हमारे एक पैनल में UNICEF के श्री यूसुफ कबीर ने बहुत सुंदर बात कही थी-“अब समय आ गया है कि हम climate anxious नहीं, बल्कि climate conscious बनें।” और हम इसी विचार को आगे बढ़ा रहे हैं।आज के युवा और ज्यादा डर नहीं चाहते- उन्हें आशा, दिशा और यह भरोसा चाहिए कि वे परिवर्तन में वास्तविक भूमिका निभा सकते हैं।इस वर्ष की मूल दृष्टि है- भारत के अगले जेनरेशन के ग्रीन लीडर्स तैयार करना।ऐसे छात्र जो सस्टेनेबिलिटी को समझते हों, सही उपकरणों से लैस हों- जिसमें AI जैसे नई पीढ़ी के तकनीकी साधन भी शामिल हैं- और जो खुद को बदलाव के सक्रिय वाहक के रूप में देखते हों, न कि सिर्फ दर्शक की तरह। 45+ शहरों की भागीदारी से लक्ष्य है एक ऐसा जुड़ा हुआ युवा क्लाइमेट नेटवर्क बनाना जो समिट के बाद भी जारी रहे। इस पहल को UNICEF YuWaah, पर्यावरण मंत्रालय और शिक्षा विभाग का समर्थन प्राप्त है। ये साझेदारियाँ अभियान की पहुँच और विश्वसनीयता को कैसे बढ़ा रही हैं? हाँ, इन साझेदारियों ने इस अभियान को कई महत्वपूर्ण तरीकों से मजबूत बनाया है। एक साथ मिलकर हम वैश्विक स्तर की युवा सहभागिता की सर्वोत्तम प्रथाएँ ला पा रहे हैं, और सभी साझेदारों के मजबूत युवा नेटवर्क भी इस अभियान को जमीन तक पहुँचाते हैं। ये साझेदारियाँ तकनीकी विश्वसनीयता भी जोड़ती हैं और सुनिश्चित करती हैं कि हमारी सभी गतिविधियाँ राष्ट्रीय प्राथमिकताओं- जैसे सर्कुलर इकोनॉमी और ई-वेस्ट प्रबंधन – के अनुरूप हों।साथ ही, इन साझेदारियों से स्कूलों, अभिभावकों और स्थानीय प्रशासन के बीच विश्वास भी बढ़ता है, जिससे वे अधिक सक्रिय रूप से जुड़ते हैं- क्योंकि उन्हें पता है कि यह पहल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विश्वसनीय संगठनों द्वारा समर्थित है।

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