लोकसभा में जदयू के सांसदों राजीव रंजन सिंह ऊर्फ लल्लन सिंह और कौशलेंद्र कुमार की ओर से पूछे गए प्रश्न के लिखित उत्तर में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन तथा योजना मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने बुधवार को यह जानकारी दी।दोनों सांसदों ने सवाल किया था कि बिहार और कुछ अन्य राज्यों के पिछड़ेपन से संबंधित नीति आयोग की रिपोर्ट के मद्देनजर क्या बिहार को विशेष दर्जा देने की सरकार की कोई योजना है? इसके जवाब में मंत्री ने कहा, नीति आयोग ने राज्यों के पिछड़ेपन पर कोई रिपोर्ट जारी नहीं हैं।
बहरहाल, राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) बेसलाइन रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में बहुआयामी गरीब लोगों का उच्चतम अनुपात सबसे अधिक है जो राज्य की जनसंख्या का 51.91 प्रतिशत है। इसके बाद झारखंड में 42.16 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 37.79 प्रतिशत है।
सिंह के मुताबिक, पहाड़ी, दुर्गम भूभाग, कम जनसंख्या घनत्व और पड़ोसी देशों की सीमाओं से लगे सामरिक स्थानों जैसे विशेष मुद्दों पर विचार करते हुए अतीत में राष्ट्रीय विकास परिषद ने कुछ राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया था। उन्होंने कहा कि इसके बाद चौदहवें वित्त आयोग ने साझायोग्य करों के वितरण को लेकर सामान्य श्रेणी के राज्यों एवं विशेष श्रेणी के राज्यों में कोई अंतर नहीं किया।
मंत्री ने कुछ अन्य विवरण रखते हुए यह भी बताया कि 2015 में भारत सरकार ने बिहार के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी। उन्होंने कहा, इस पृष्ठभूमि में बिहार सहित किसी भी राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा देने का कोई प्रस्ताव नहीं है।