नई दिल्ली- मोबियस फाउंडेशन द्वारा प्रमुख वैश्विक संगठनों के साथ साझेदारी में आयोजित छठा इंटरनेशनल समिट ऑन सस्टेनेबिलिटी एजुकेशन इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित किया गया। दो दिवसीय यह कार्यक्रम “Greening Education for a Sustainable Future” थीम पर केंद्रित था। इस कार्यक्रम में 20 से ज्यादा देशों के 500 से ज्यादा विचारक, शिक्षक, नीति निर्माता और पर्यावरणविद एक साथ शामिल हुए थे। समिट एजुकेशन सिस्टम में सस्टेंबिलिटी को एकीकृत करने की आवश्यकता पर केंद्रित थी। समिट में पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन और टिकाऊ जीवन जीने की आदत के लिए एक सामूहिक आंदोलन पर जोर दिया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण सस्टेंबल एजुकेशन (सतत शिक्षा) को आगे बढ़ाने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (NCF) 2023 के महत्व पर सभी ने सहमती व्यक्ति की। इस साल की चर्चाओं में ‘ग्रीन एजुकेशन’ और ‘ग्रीन जॉब’ पर जोर दिया गया, तथा उन्हें भारत और दुनिया भर में सस्टेंबिलिटी प्रयासों के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण बताया गया।2019 में अपनी स्थापना के बाद से ICSE ने खुद को शिक्षा के माध्यम से सस्टेंबिलिटी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक वैश्विक मंच के रूप में स्थापित किया है। 2024 के समिट ने इस विरासत को आगे बढ़ाया, इसके अलावा इस समिट ने पर्यावरण संबंधी मुद्दों के लिए इनोवेशन और समाधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सार्थक संवाद और सहयोगात्मक कार्रवाइयों को बढ़ावा देना जारी रखा।इस कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित वक्ताओं ने भाग लिया, जिनमें मोबियस फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप बर्मन, मोबियस फाउंडेशन के सलाहकार डॉ. राम बूझ, यूनेस्को के डायरेक्टर डॉ. टिम कर्टिस, भारत के जलपुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह, पर्यावरणविद् जादव पायेंग और CEE के फाउंडिंग डायरेक्टर श्री कार्तिकेय साराभाई शामिल थे। अन्य गणमान्य व्यक्तियों में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव डॉ. टी रामासामी, नैसकॉम, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष डॉ. किरण कार्णिक, भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव डॉ. हर्ष गुप्ता और भारत सरकार के पूर्व सचिव श्री हेम पांडे, IAS (रिटायर्ड) शामिल थे। इन विचारकों ने प्रभावशाली मुख्य भाषण, गोलमेज चर्चाएँ और संवादात्मक सत्र किये, जिसमें विभिन्न कोणों से सस्टेंबिलिटी पर चर्चा की गई।अपने उद्घाटन भाषण में डॉ. प्रदीप बर्मन ने सस्टेंबिलिटी को आगे बढ़ाने में शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस पर कहा,पिछले छह सालों में हमने अपने बड़े सस्टेंबिलिटी लक्ष्यों की ओर लगातार प्रगति की है, जिसमें ज्ञान कन्या शक्ति जैसी पहल शामिल है। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों को खासकर सशक्त बनाती है। हालांकि अभी भी जनसंख्या वृद्धि एक गंभीर चुनौती बनी हुई है, इस कारण से संसाधनों की कमी हो रही है और सस्टेंबल डेवलपमेंट प्रयासों में बाधा पड़ रही है।