धौलाना, हापुड़ – उत्तर प्रदेश के हापुड़ जनपद के धौलाना क्षेत्र स्थित श्री शम्भु वाटिका फार्म होटल एंड रिसॉर्ट में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक श्री मोहित माधव तथा प्रख्यात आध्यात्मिक साधिका महामंडलेश्वर योगिनी गुरुमां राधा सरस्वती जी महाराज ने भाग लिया। इस विशेष बैठक का उद्देश्य था हिन्दू धर्म, संस्कृति और राष्ट्रधर्म के प्रचार-प्रसार के लिए रणनीति तय करना और संत समाज को संगठित प्रयासों से जोड़ना। बैठक में मोहित माधव जी ने गुरुमां जी को संघ के दशकों से चल रहे राष्ट्र निर्माण व हिन्दू जागरण अभियानों की जानकारी देते हुए कहा:संघ केवल संगठन नहीं, बल्कि एक विचार है जो ‘राष्ट्र ही सर्वोपरि’ को आधार मानकर समाज निर्माण करता है। संत समाज की भूमिका इस दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह जनमानस की आत्मा को छूता है।उन्होंने स्पष्ट किया कि आज का समय संतों और स्वयंसेवकों के बीच गहन समन्वय का है, ताकि सनातन धर्म को केवल एक पूजा पद्धति के रूप में नहीं, बल्कि जीवन शैली के रूप में पुनः स्थापित किया जा सके।महामंडलेश्वर योगिनी गुरुमां राधा सरस्वती जी महाराज ने भी संघ के कार्यों की सराहना करते हुए कहा:आज धर्म के प्रचार के लिए जिस अनुशासन, सेवा-भाव और समर्पण की आवश्यकता है, वह संघ की कार्यपद्धति में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। संघ का मार्गदर्शन पाकर हम अपने अभियान को और प्रभावी बना सकेंगे। श्री मोहित माधव जी ने गुरुमां जी को निम्नलिखित बिंदुओं पर मार्गदर्शन प्रदान किया:ग्रामीण क्षेत्रों में धर्मप्रचार हेतु संघ के स्थानीय इकाइयों से समन्वय स्थापित करना युवा पीढ़ी में धर्म के प्रति रुचि जगाने हेतु ‘युवा धर्म संवाद’ जैसे आयोजनों की योजना महिला साध्वी वर्ग को नेतृत्व में लाकर नारी धर्मशक्ति के जागरण हेतु विशेष प्रशिक्षण आधुनिक तकनीक जैसे सोशल मीडिया, वेबिनार, पॉडकास्ट का प्रयोग कर वैदिक ज्ञान का प्रसार विदेशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों के बीच हिन्दू संस्कृति को पुनः जाग्रत करने के लिए डिजिटल मंचों से जुड़ाव बैठक में यह भी तय हुआ कि आगामी समय में संघ और गुरुमां जी के आश्रम द्वारा संयुक्त रूप से धर्म जागरण यात्रा का आयोजन किया जाएगा, जो प्रदेश के विभिन्न जिलों में जाकर जनजागरण करेगी। इस बैठक में स्थानीय स्वयंसेवकों, संत प्रतिनिधियों एवं साधक वर्ग की भी भागीदारी रही, जिन्होंने हिन्दू संस्कृति की पुनर्प्रतिष्ठा हेतु तन-मन-धन से योगदान देने का संकल्प लिया। संघ का संगठन और संतों का स्नेह यही है राष्ट्रधर्म का सबसे मजबूत आधार।