नई दिल्ली- वर्ल्ड एक्सपो ओसाका 2025 में भारत मंडप एक अद्वितीय आकर्षण का केंद्र रहा, जहाँ एक करोड़ से भी अधिक लोगों ने भारत की सांस्कृतिक, बौद्धिक और वैज्ञानिक यात्रा को करीब से अनुभव किया। इस पूरे भव्य आयोजन का नेतृत्व किया इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव और कार्यकारी प्रमुख, डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने, जिनकी दूरदर्शिता और सशक्त नेतृत्व ने भारत के दृष्टिकोण को विश्व पटल पर प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत किया। डॉ. जोशी के शब्दों में,भारत मंडप केवल एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि भारत की आत्मा का जीवंत अनुभव है। यहां आने वाला हर व्यक्ति भारतीयता की आत्मीयता, करुणा और वैश्विक एकता को महसूस करता है। इस मंडप की रचना भारतीय दर्शन और ज्ञान परंपरा को केंद्र में रखकर की गई थी, जिसमें अजन्ता की गुफाओं से प्रेरित पद्मपाणि बोधिसत्त्व की भव्य आकृति ने दर्शकों को भारत के शांति और करुणा के संदेश से जोड़ दिया। मंडप में योग, आयुर्वेद, संगीत, लोककलाओं से लेकर आधुनिक उपलब्धियों जैसे चंद्रयान मिशन, डिजिटल इंडिया, और ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर को भी समाहित किया गया। भारत अब सिर्फ परंपरा का रक्षक नहीं, नवाचार का अग्रदूत भी बन चुका है, डॉ. जोशी ने कहा। ने जापान की व्यावसायिक दक्षता के साथ तालमेल बिठाते हुए समयबद्ध तरीके से इस परियोजना को मूर्त रूप दिया। इसमें संस्कृति मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय और जापानी संस्थाओं की सहभागिता उल्लेखनीय रही। डॉ. जोशी बताते हैं, हमारा उद्देश्य केवल एक पवेलियन बनाना नहीं था, बल्कि भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के विचार को साकार करना था।युवाओं को भारत की विरासत से जोड़ने हेतु निरंतर कार्यक्रम चला रहा है, जिनमें गीता व नाट्यशास्त्र को वैश्विक मंच पर मान्यता दिलवाना एक बड़ी उपलब्धि है।भारत मंडप, आज एक जीवंत संदेश है आधुनिकता और परंपरा का सुंदर संगम ही भारत की असली शक्ति है।