नई दिल्ली- इंडियन स्पाइनल इंजरीज़ सेंटर (आई.एस.आई.सी) ने आज रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट के नए विभाग का शुभारंभ किया, जो आर्थोपेडिक सर्जरी के क्षेत्र में नया परिवर्तन लाएगा। इससे पहले घुटने की कई सफल रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से उत्कृष्ट परिणाम मिले हैं। आई.एस.आई.सी में रोबोटिक्स विधि द्वारा घुटने की समस्या से पीड़ित रोगियों को नया जीवन दिया जा सकेगा।कुछ रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 15 करोड़ से अधिक लोग घुटने की समस्या से पीड़ित हैं और 4 करोड़ रोगियों को घुटना रिप्लेसमेंट की आवश्यकता है। अनियमित जीवन शैली व कई कारणों के चलते पश्चिमी देशों की तुलना में घुटने से संबंधित कई प्रकार की समस्याएं 15 गुना अधिक बढ़ी है और भारत में सालाना केवल 2 लाख घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती हैं।आई.एस.आई.सी की चेयरपर्सन श्रीमती भोली अहलूवालिया ने लॉन्चिंग के अवसर पर कहा कि हम, आईएसआईसी में, हमेशा बेहतर परिणामों के लिए अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने का प्रयास करते हैं। अत्याधुनिक घुटना रोबोटिक्स के लॉन्च के साथ, आईएसआईसी हर साल नई शुरू की गई रोबोटिक घुटना प्रतिस्थापन प्रक्रियाओं के साथ हजारों घुटनों के प्रतिस्थापन करेगा और मौजूदा अंतर को काम करने के लिए ईमानदारी से प्रयास करेगा। आई.एस.आई.सी रोबोटिक घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी के द्वारा मरीज को बेहतर सेवाएं उपलब्ध करा रहा है इससे मरीज सर्जरी के कुछ घंटे भीतर ही चलना शुरू कर देते हैं यह बेहद ही आश्चर्यजनक परिणाम देता है।आई.एस.आई.सी के हेड ऑफ़ डिपार्मेंट और हिप रिप्लेसमेंट सर्विसेज के चीफ, डॉक्टर दीपक रैना ने बताया कि “हम नवीनतम यूएस एफडीए-अनुमोदित शारीरिक रूप से सटीक प्रत्यारोपणों का उपयोग करते हैं, जो घुटने को प्राकृतिक अनुभूति सुनिश्चित करने के साथ एक व्यापक देखभाल सुनिश्चित करता है। हमारी बहु-विषयक टीम इसके लिए अच्छे से कार्य करती है, जिसमें फिजियोथेरेपिस्ट व्यक्तिगत जरूरतों का आकलन करते हैं और निरंतर देखभाल के बाद मरीज को पूरी तरह से ठीक करते हैं।डॉ रैना ने कहा कि “आई.एस.आई.सी में उपयोग किया जाने वाला रोजा नी रोबोटिक सिस्टम, प्रत्येक रोगी की शारीरिक रचना के लिए घुटने के प्रतिस्थापन को अनुकूलित करता है, जिसके परिणामस्वरूप लंबे समय में घुटने की मजबूती बनी रहती है। उन्होंने कहा कि आईएसआईसी भारत में घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी के लिए कठिन से कठिन समस्याओं पर भी रोगी को राहत दिलाने के लिए प्रयासरत है।आई.एस.आई.सी के डॉ विवेक महाजन, सीनियर कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक्स ज्वाइंट रिप्लेसमेंट और आर्थ्रोस्कॉपी सर्विसेज ने बताया कि रोबोटिक पद्धति द्वारा ऑर्थोपेडिक सर्जन पूर्ण नियंत्रण बनाए रखते हैं और घुटने का रोबोटिक्स प्रक्रिया द्वारा प्रत्यारोपण करने से रोगी को एक प्राकृतिक अनुभूति प्राप्त होती है। इस प्रक्रिया के बाद रोगी अपने दैनिक गतिविधियों और जीवन शैली में सक्रियता से कार्य करता है और भविष्य में किसी भी प्रकार की समस्या की संभावना कम हो जाती है।विशेषज्ञों के मुताबिक सर्जरी कोई रोबोट नहीं करता, बल्कि रोबोटिक घुटना रिप्लेसमेंट के बारे में आम गलतफहमियों में से एक यह है कि सर्जरी 100% रोबोटिक तरीके से की जाती है। इस प्रक्रिया में रोबोटिक उपकरण द्वारा सहायता लिया जाता है रोबोट के माध्यम से सर्जन को अधिक सटीकता से काम करने में मदद मिलती है। इसके द्वारा मरीज के घुटने का इंट्रा-सर्जरी मैपिंग से 3डी मॉडल बनाने में मदद मिलती है। रोबोटिक सॉफ्टवेयर तब सर्जनों को योजना बनाने की अनुमति देता है, केस-टू-केस आधार पर प्रत्यारोपण के द्वारा कैसे कस्टम फिट और आकार दिया जाए।हाल ही में रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने वाले 50 वर्षीय श्री हरबंस ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, “मैं पिछले कुछ वर्षों से दर्दनाक स्थिति में था। प्रारंभ में मैं पारंपरिक घुटने की रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने की योजना बना रहा था, लेकिन डॉ. महाजन की सलाह पर, जिन्होंने इस प्रक्रिया के लाभों के बारे में बताया, मैंने उसे चुना। मेरे दोनों घुटनों को रोबोटिक तकनीक और न्यूनतम इनवेसिव तकनीकों का उपयोग करके बदल दिया गया और दो सप्ताह के भीतर मैंने बिना सहारे के चलना शुरू कर दिया। यह सचमुच अद्भुत था. उम्मीद है, मैं पहले की तरह सामान्य और सक्रिय जीवन का आनंद लूंगा।‘ उन्होंने कहा कि रोबोटिक घुटना रिप्लेसमेंट उन लोगों के लिए एक वरदान के रूप में आता है जो 40 और 50 वर्ष के हैं और घुटनों की गंभीर समस्याओं के शिकार हैं और आई.एस.आई.सी द्वारा किए जा रहे इस प्रयास की हम सराहना करते हैं।