नई दिल्ली – केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तत्वावधान में भारतीय फार्मास्यूटिकल्स निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल एवं स्वास्थ्य सेवा प्रदर्शनी के 11वें संस्करण का आज भारत मंडपम, नई दिल्ली में उद्घाटन किया गया। उद्घाटन सत्र में माननीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, श्री पीयूष गोयल ने भाग लिया, जिन्होंने वैश्विक स्वास्थ्य सेवा में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका और किफायती, गुणवत्तापूर्ण दवाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित करने की देश की ज़िम्मेदारी पर ज़ोर दिया। उन्होंने “विश्व की फार्मेसी” के रूप में भारत की स्थिति को रेखांकित किया और दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को मज़बूत करने के लिए गहरे वैश्विक सहयोग का आह्वान किया।श्री पीयूष गोयल ने यहां उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए बाज़ार पहुंच को सुगम बनाने, व्यापार बाधाओं को कम करने और भारतीय निर्यातकों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कहा,भारत में हर बच्चे को सस्ती कीमत पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाई हासिल करने का हक है। हमारा फार्मा उद्योग न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए यह सुनिश्चित कर रहा है और इस तरह भारत को वास्तव में विश्व की फार्मेसी बना रहा है। हम आईफेक्स के 11वें संस्करण का आयोजन कर रहे हैं, जो शानदार उपलब्धि है, ऐसे में हम मज़बूत आपूर्ति श्रृंखलाओं और वैश्विक प्रभाव के साथ आत्मनिर्भर भारत बनाने के अपने सामूहिक संकल्प की पुष्टि करते हैं। उन्होंने कहा, यह ताकत विकसित भारत 2047 की ओर हमारी यात्रा को आगे बढ़ाएगी।भारत के औषधि महानियंत्रक डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने नियामक तारतम्यता और निर्भरता के महत्व पर बल दिया और अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों को वैश्विक गुणवत्ता मानकों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा,भारत लंबे समय से स्वास्थ्य सेवा आपूर्ति का एक केंद्र रहा है और दुनिया ने हमारी दवाओं और उत्पादों पर लगातार भरोसा जताया है। हम वैश्विक बाज़ारों के लिए भारत में नवोन्मेषी उत्पाद विकसित कर मात्रा से मूल्य की ओर बढ़ रहे हैं। भविष्य उज्ज्वल और आशाजनक है क्योंकि हम वैश्विक जन स्वास्थ्य के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझते हैं और दुनिया किफायती नवोन्मेष के लिए भारत की ओर देख रही है।फार्मेक्सिल के अध्यक्ष, श्री नमित जोशी ने उद्घाटन समारोह में कहा,आईफेक्स दवा निर्यात के लिए भारत का सबसे विश्वसनीय वैश्विक संपर्क बिंदु बन गया है। यह प्लेटफॉर्म नीति, विनियमन और बाज़ार के अवसरों के बीच पुल का काम करता है, जो खरीदारों को यह विश्वास दिलाता है कि भारतीय निर्यातक न केवल किफायती दवाइयां, बल्कि सुनिश्चित गुणवत्ता और वैश्विक विश्वसनीयता भी प्रदान करते हैं।आईफेक्स के अध्यक्ष और फार्मेक्सिल के उपाध्यक्ष, श्री भाविन मेहता ने कहा,आईफेक्स के संस्थापक सदस्यों में से एक होने के नाते, यह देखना उल्लेखनीय है कि यह पहल कैसे एक संस्था के रूप में परिपक्व हुई है।आईफेक्स 2025 का उद्देश्य एमएसएमई को सशक्त बनाना, बाज़ार की जानकारी बढ़ाना और अनुपालन के माध्यम से विश्वसनीयता बनाए रखना है। वित्त वर्ष 2014 से वित्त वर्ष 2025 तक, भारत का दवा निर्यात दोगुने से भी ज़्यादा हो गया है 14.9 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 30.5 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है जो 104% से ज़्यादा की प्रभावशाली वृद्धि दर्शाता है। यह इस क्षेत्र के लचीलेपन, नवोन्मेष और बढ़ते वैश्विक विश्वास का प्रमाण है। हम सब मिलकर, वैश्विक स्वास्थ्य सेवा के लिए पहली पसंद के भागीदार के रूप में भारतीय दवा उद्योग के भविष्य को आकार दे रहे हैं।फार्मेक्सिल के महानिदेशक, श्री राजा भानु ने कहा,आईफेक्स एक प्रदर्शनी भर नहीं, बल्कि यह भारत की वैश्विक उपस्थिति का विस्तार करने के लिए साल भर चलने वाली प्रतिबद्धता है। हम सुनियोजित बाज़ार पहुंच, नियामक संवाद और क्रेता-विक्रेता साझेदारियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे है जो स्थायी व्यापार परिणामों में परिवर्तित हों। 11वां संस्करण स्वास्थ्य सेवा को सशक्त बनाने और 150 से अधिक देशों के बाज़ारों को जोड़ने में भारत के नेतृत्व को सुदृढ़ करता है। इस आयोजन में एक समर्पित अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठक, 700 से अधिक स्टॉलों वाली प्रदर्शनी और क्षेत्र-विशेष से जुड़े सत्र शामिल हैं, जो भारत के अग्रणी दवा निर्यातकों, फॉर्मूलेशन, बायोसिमिलर, थोक दवा और सर्जिकल उत्पादों पर प्रकाश डालते हैं। 2013 में अपनी स्थापना के बाद से, आईफेक्स ने नियामकों और क्रेताओं सहित 5,000 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों की मेज़बानी की है, और मुंबई, हैदराबाद, नई दिल्ली और अहमदाबाद जैसे शहरों में 4,000 से अधिक भारतीय प्रदर्शकों को प्रदर्शित किया है।आईफेक्स, नाफ्टा, ईयू, आसियान, एलएसी, अफ्रीका और जीसीसी सहित प्रमुख क्षेत्रों में केंद्रित बी2बी जुड़ाव, बाज़ार पहुंच संबंधी संवाद और रणनीतिक सहयोग को सुगम बनाकर भारत की ‘विश्व की फार्मेसी’ के रूप में स्थिति को मज़बूत करता है। प्रदर्शनी के साथ-साथ, सीडीएससीओ और फार्मेक्सिल द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वैश्विक नियामक सम्मेलन में, कुशल निर्भरता प्रथाओं, फार्माकोपिया तारतम्यता, देश विशेष से जुड़े नियामक मार्गों और बाज़ार विस्तार रणनीतियों पर सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। ऐसे संवाद मिलकर अंतर्राष्ट्रीय अनुकूलता को बढ़ावा दे रहे हैं, अनुमोदन में तेज़ी ला रहे हैं और भारत के फार्मास्युटिकल परितंत्र में वैश्विक विश्वास बढ़ा रहे हैं।फार्मेक्सिल, जो 4,400 से अधिक भारतीय दवा निर्यातकों का प्रतिनिधित्व करता है, नीतिगत संवाद, नियामक समर्थन और बाज़ार विकास संबंधी पहलों के माध्यम से वैश्विक व्यापार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत का फार्मा निर्यात सालाना 30 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य का है, ऐसे में आईफेक्स 2025, 2030 तक 65 अरब अमेरिकी डॉलर का फार्मा निर्यात केंद्र बनने की भारत की महत्वाकांक्षा के लिए एक रणनीतिक नेतृत्व का काम करेगा। स्वास्थ्य सेवा का सशक्तिकरण, बाजारों का समन्वय (पावरिंग हेल्थकेयर, कनेक्टिंग मार्केट्स) की भावना को मूर्त रूप देने के लिए तैयार, आईफेक्स 2025, उद्योग जगत की हस्तियों, नीति निर्माताओं और वैश्विक हितधारकों को सार्थक सहयोग को बढ़ावा देने, नए व्यापार गलियारों को खोलने और वैश्विक स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को आकार देने में भारत की भूमिका को बढ़ाने के लिए एक साथ लाता है। इस अवसर पर उपस्थित अन्य लोगों में ईईपीसी इंडिया के अध्यक्ष श्री पंकज चड्ढा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव, आईएएस, श्री नितिन कुमार यादव और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सचिव, आईएएस, श्री सुनील भरतवाल शामिल थे।

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