जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के बर्फ से ढके खाई गांव के लोग दशकों से पानी की कमी से जूझ रहे थे और उनके लिए पीने के पानी का कनेक्शन किसी सपने से कम नहीं था, लेकिन अब घरों तक पेयजल की आपूर्ति उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण सेना का आभार जताते नहीं थक रहे हैं। सेना ने ऑपरेशन सद्भावना के तहत सुदूर पर्वतीय गांव में पानी की आपूर्ति करा कर स्थानीय लोगों, विशेषकर उन महिलाओं की समस्याओं को समाधान कर दिया है जिन्हें पीने का पानी लाने के लिए मीलों पैदल चलना पड़ता था।जम्मू स्थित रक्षा जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद ने पीटीआई-भाषा को बताया, खाई गांव गंडोह के दूर-दराज के इलाके में स्थित है और सेना की स्थानीय इकाई ने लोगों की दुर्दशा को देखते हुए गांव में जलापूर्ति की जिम्मेदारी संभाली। ाधिकारिक ट्विटर हैंडल पर सद्भावन परियोजना की एक छोटी वीडियो क्लिप भी साझा करने वाले आनंद ने कहा कि सेना लोगों तक पहुंचने और उनकी समस्याओं को कम करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, सेना ने पहल की और पानी के भंडारण टैंक और पाइप सहित आवश्यक सामग्री मुहैय कराई गई। सेना और स्थानीय आबादी ने गांव में पानी की आपूर्ति प्रदान करने के लिए संयुक्त रूप से इसकी भूमिगत व्यवस्था की।
वीडियो में, सभी ग्रामीण सेना की प्रशंसा कर रहे हैं क्योंकि पानी उपलब्ध होना उनके लिए सपना था। सर्दी के दिनों में पीने के लिए और खाना बनाने और कपड़े धोने जैसी अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए ग्रामीण बर्फ पिघलाते थे। स्थानीय निवासी रुबीना बेगम ने बताया, हमें पानी लाने के लिए रोजाना दो से तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। भारतीय सेना ने हमारे जीवन को आसान बना दिया। गांव की महिलाएं इस परियोजना के लिए सेना की आभारी हैं। एक अन्य स्थानीय निवासी तारिक हुसैन ने भी गरीब आबादी तक पानी के पहुंचने और लंबे समय से चली आ रही उनकी मांग को पूरा करने के लिए सेना की सराहना की। सरकारी स्कूल के शिक्षक अता मोहम्मद ने कहा कि सेना की मदद से स्थानीय लोगों को बड़ी राहत मिली है। ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) की चेयरपर्सन फातिमा फारूक ने कहा कि उनके ब्लॉक के गांव में सदियों से पानी की आपूर्ति नहीं थी। उन्होंने कहा, सेना ने ऑपरेशन सद्भावना के तहत जलापूर्ति योजना को पूरा किया, जो बेहद सराहनीय है।