कांग्रेस को भारत में शासन की स्वाभाविक पार्टी करार देते हुए राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह इस दल को नए और शक्तिशाली स्वरूप में देखना चाहते हैं। तन्खा ने इसके साथ ही उम्मीद भी जताई कि उदयपुर में शुक्रवार से शुरू होने जा रहे नव संकल्प चिंतन शिविर के बाद पार्टी नई ऊर्जा के साथ सामने आएगी। गौरतलब है कि तन्खा समेत 23 वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने अगस्त 2020 में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को पत्र लिखा था और पार्टी में संगठनात्मक बदलाव करने के साथ ही पूर्णकालिक पार्टी अध्यक्ष की मांग की थी। तब से इन नेताओं के समूह को जी-23 कहा जाता है।
तन्खा ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा, मैं नव संकल्प चिंतन शिविर में भाग लेने उदयपुर जा रहा हूं। हमें उम्मीद है कि इस आयोजन के बाद कांग्रेस नई ऊर्जा के साथ सामने आएगी। उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए पूरी ताकत लगाएंगे। 65 वर्षीय राज्यसभा सदस्य ने कहा, मैं कांग्रेस को नए और शक्तिशाली स्वरूप में देखना चाहता हूं क्योंकि कांग्रेस ही भारत में शासन की स्वाभाविक पार्टी है। अगर हमें देश को एकजुट रखना है, तो कांग्रेस को फिर से शक्तिशाली बनाना होगा। यह पूछे जाने पर कि लगातार चुनावी हार का सामना कर रही कांग्रेस को वजूद के बड़े संकट से उबारने के लिए क्या गांधी परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति के नेतृत्व की जरूरत है, तन्खा ने कहा, मैं इस सवाल पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा क्योंकि ए मामले पार्टी और गांधी परिवार तय करता है।
हालांकि, मैं गांधी परिवार से प्रभावित होकर ही कांग्रेस में आया था। उच्चतम न्यायालय द्वारा राजद्रोह कानून पर रोक लगाए जाने के अगले दिन उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नीत सरकार द्वारा इस कानून का दुरुपयोग किया जा रहा था। वरिष्ठ वकील तन्खा ने कहा, राजद्रोह का मतलब देश के खिलाफ साजिश करना होता है। सरकार के खिलाफ कोई बात कहना राजद्रोह नहीं होता है। लेकिन छोटी-छोटी बातों पर लोगों के खिलाफ राजद्रोह कानून के तहत मामले दर्ज किए जा रहे थे।ै देश के अलग-अलग हिस्सों में धार्मिक स्थलों के लाउड स्पीकर के विवादों पर तन्खा ने कहा, मैं धार्मिक विषयों पर हालांकि बयान नहीं देता हूं। लेकिन इस सिलसिले में जनता की इच्छाओं के मुताबिक कानूनी दायरे में काम होना चाहिए। हम सबका दायित्व है कि देश में अमन-चैन कायम रहे। मध्यप्रदेश के खरगोन में पिछले महीने सांप्रदायिक दंगों के ठीक बाद प्रशासन द्वारा अवैध निर्माण ढहाने की विवादास्पद कार्वाई पर उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति को सुनवाई का अवसर दिए बगैर उसका घर अचानक तोड़ देना उचित नहीं है और वह प्रशासन के ऐसे किसी भी जबरिया और गैर संवैधानिक कदमों को मान्यता नहीं देते।