नई दिल्ली – डॉ. राव कहते हैं, दिल्ली की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी और बदलता मौसम अब सिर्फ थकान या हीट स्ट्रोक का कारण नहीं बन रहे यह आपकी ब्लैडर सेहत को भी प्रभावित कर रहे हैं। साल 2025 में राजधानी के कई डॉक्टर एक ऐसी समस्या की ओर इशारा कर रहे हैं, जो चुपचाप लेकिन लगातार बढ़ रही है ओवरएक्टिव ब्लैडर (OAB)। यह स्थिति बार-बार पेशाब आने, अचानक तेज़ पेशाब की इच्छा होने और रात में बार-बार उठकर वॉशरूम जाने जैसे लक्षणों से पहचानी जाती है। पहले इसे बुज़ुर्गों की समस्या माना जाता था, लेकिन अब यह दिल्ली की मध्य-आयु वर्ग की महिलाओं में भी आम होती जा रही है। सीनियर कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ. स्वत्रंत राव बताते हैं, शहरी तनाव, पानी पीने की गलत आदतें, अनियमित खानपान और मौसम में अत्यधिक उतार-चढ़ाव ये सभी ब्लैडर को प्रभावित करने वाले बड़े लेकिन नज़रअंदाज़ किए गए कारण हैं। लोग अक्सर बार-बार पेशाब आने को मामूली बात समझ लेते हैं, जबकि उनकी लाइफ़स्टाइल और वातावरण लगातार ब्लैडर को चिढ़ा रहे होते हैं। दिल्ली की भीषण गर्मियां, जब पारा 45°C से ऊपर चला जाता है, कई लोगों को अनजाने में पानी कम पीने पर मजबूर करती हैं खासकर लंबी यात्रा या सार्वजनिक शौचालय से बचने के लिए। लेकिन यही डिहाइड्रेशन ब्लैडर की लाइनिंग पर दबाव डालता है, उसे संवेदनशील बनाता है और अचानक पेशाब की तीव्र इच्छा पैदा करता है। इसके साथ ही कैफीन, चीनी और प्रोसेस्ड फूड से भरपूर आहार ब्लैडर के लिए और नुकसानदेह साबित होता है। तनाव भी अपनी भूमिका निभाता है। चाहे कामकाजी हों या गृहिणी, दिल्ली की रोज़मर्रा की ज़िंदगी में मानसिक दबाव, अनियमित दिनचर्या और बेहद कम शारीरिक गतिविधि आम है। समय के साथ यह पेल्विक मांसपेशियों को कमज़ोर कर देता है खासकर प्रसव के बाद या मेनोपॉज़ के दौरान महिलाओं में जिससे उन्हें पेशाब रोकने में मुश्किल और बार-बार पेशाब आने की समस्या होती है। शुरुआत में लक्षण मामूली लगते हैं एक-दो बार अतिरिक्त वॉशरूम जाना, मीटिंग के दौरान असहजता, या रात की नींद में खलल। लेकिन धीरे-धीरे यह आत्मविश्वास, सामाजिक जीवन, नींद की गुणवत्ता और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगता है। बावजूद इसके, ब्लैडर हेल्थ पर खुलकर चर्चा अब भी नहीं होती। डॉ. राव कहते हैं,अक्सर लोग कह देते हैं कि ‘उम्र के साथ होता है’ या ‘गर्मी की वजह से है’। लेकिन अगर किसी को बार-बार रात में उठकर पेशाब जाना पड़ रहा है या अचानक, अनियंत्रित पेशाब की इच्छा हो रही है, तो इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। सबसे बड़ी चुनौती है कम रिपोर्टिंग। कई महिलाएं इस समस्या को चुपचाप झेलती रहती हैं या तो शर्म के कारण, या इस अनजान में कि यह एक मेडिकल कंडीशन है, जिसका इलाज संभव है। जैसे-जैसे राजधानी और ऊंची इमारतों में, और तेज़ रफ्तार में आगे बढ़ रही है, यहां का स्वास्थ्य ढांचा भी रिएक्टिव होता जा रहा है, प्रिवेंटिव नहीं। ओवरएक्टिव ब्लैडर के मामले सिर्फ उम्र बढ़ने का संकेत नहीं, बल्कि एक ऐसी लाइफ़स्टाइल का सबूत हैं जो स्वास्थ्य से पहले ‘हसल’ को प्राथमिकता देती है। दिल्ली को अब एक नए तरह की वेलनेस बातचीत की ज़रूरत है जिसमें ब्लैडर हेल्थ भी शामिल हो। जो नागरिकों, खासकर महिलाओं को यह याद दिलाए कि बार-बार बाथरूम की ज़रूरत सामान्य नहीं है, यह शरीर का संकेत है। और शरीर का हर संकेत सुना जाना चाहिए।