राष्ट्रीय- इंक. की अधिकांश-स्वामित्व वाली अनुषंगी, फार्माज़ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की भारत में विकसित श्रेणी में पहली दवा, सेंथेक्विन यूनाइटेड स्टेट्स और यूरोपियन यूनियन में तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल्स में प्रवेश के लिए यूएस-एफडीए से सीधे स्वीकृति पाने वाली अब तक की पहला दवा बन गई है। इलिनॉइस, यूएसए में स्थित एक डेलावेर कॉर्पोरेशन, फार्माज़, इंक. एक अभिनव बायोफार्मास्यूटिकल कंपनी है। इसके दो स्वीकृत उत्पाद हैं तथा कई दवायें पाइपलाइन में हैं। इसके पास एक अनुभवी प्रबंधन टीम है। यह कंपनी क्रिटिकल केयर मेडिसिन्स पर लक्षित थेराप्यूटिक्स की खोज, अधिप्राप्ति, विकास और वाणिज्यीकरण पर फोकस करती है।फार्माज़ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड हाइपोवोलेमिक शॉक के प्रबंधन के लिए भारत में लाइफाक्विन की मार्केटिंग के लिए मई 2020 में प्राधिकार प्राप्त किया था। सेंथेक्विन साइट्रेट एक पुनर्जीवित करने वाला एजेंट है जो हाइपोवोलेमिक शॉक के प्रबंधन में काम आता है। यह हृदय के आउटपुट में सुधार करता है और इसे धमनियों में संकुचन या रक्तचाप में वृद्धि के बगैर प्रभावकारी पाया गया था। यह एक यौगिक है जो क्रिया के एक अनूठी मैकेनिज्म के द्वारा कार्य करता है। जब हमारे रक्त का आधे से अधिक रक्तसंचार के शिरा पक्ष (वेनस साइड) में एकत्र हो जाता है और ऊतकों को ऑक्सीजन एवं पोषण नहीं पहुंचता है, तब सेंथेक्विन उस रक्त को हृदय और रक्तसंचार के धमनीय पक्ष की ओर मोड़ सकता है। इस प्रकार यह ऊतक में रक्त का प्रसार बढ़ाता है और ऊतकों में ऑक्सीजन एवं पोषक तत्वों की आपूर्ति में वृद्धि करता है। इस प्रकार अंग निष्क्रिय होने से बच जाता है।भारत में पहले किये जा चुके चिकित्सीय अध्ययनों में सेंथेक्विन रक्तचाप में सुधार करने और मृत्यु की आशंका कम करने में सुरक्षित एवं प्रभावकारी पाया गया है। इसे पूरे देश में 250 से अधिक अस्पतालों में लगभग 6000 रोगियों को दिया जा चुका है। अभी चल रहे चौथे चरण के चिकित्सीय अध्ययन में अनेक प्रमुख भारतीय अस्पतालों में अभी तक 139 रोगियों का नामांकन किया गया है।फार्माज़, इंक. के इन्वेन्टर, चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, प्रोफेसर अनिल गुलाटी लाइफाक्विनऊ की खोज, विकास और आरम्भ के प्रमुख प्रेरक शक्ति रहे हैं। वे फार्माज़, इंक. में क्रिटिकल केयर मेडिसिन में श्रेणी में प्रथम ड्रग उत्पादों के चिकित्सीय विकास एवं वाणिज्यीकरण का नेतृत्व करते हैं। इस असाधारण माइलस्टोन के बारे में उन्‍होंने कहा कि, “यूनाइटेड स्टेट्स और यूरोपियन यूनियन में यूएस-एफडीए द्वारा स्‍वीकृत फेज-3 क्लिनिकल ट्रायल्स के लिए सीधे स्वीकृति प्राप्त करना हमारे लिए सचमुच गौरव का पल है। सेंथेक्विन को पहली बार 1970 के दशक की शुरुआत में सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टिट्यूट, लखनऊ, भारत में संश्लेषित किया गया था। लेकिन इसे एक औषधि के रूप में विकसित नहीं किया जा सका था। कई दशकों के बाद, मेरे सहकर्मी डॉ. मनीष लुवहले को सिलसिलेवार प्रयोग करने का दायित्व दिया गया, और परिणाम इतने आशाजनक थे कि हमने रक्तसंचार की निष्क्रियता के कारण शॉक में चले जाने वाले रोगियों के लिए इसे एक दवा के रूप में विकसित करने का फैसला किया।स्थिति के बारे में और विस्तार से बताते हुए डॉ. मनीष लवहले, जो अभी फार्माज़ इंडिया के प्रबंध निदेशक हैं, ने कहा कि,हाइपोवोलेमिक शॉक एक जानलेवा चिकित्सीय अवस्था है और इसमें मृत्यु दर लगभग 20% है। यह द्रव की अत्‍यधिक कमी के कारण होता है और इसके कारण ऊतकों में द्रव का प्रसार तथा ऑक्सीकरण में कमी आ जाती है। ऐसी स्थिति होने पर तुरंत चिकित्सीय देखभाल की ज़रुरत होती है क्योंकि उपचार में किसी भी डेरी से अपरिवर्तनीय शॉक, अनेक अंगों की निष्क्रियता और मृत्यु हो सकती है। हाइपोवोलेमिक शॉक रक्तस्राव (हेमरेज) से संबधित कारणों (खून का नुकसान) से या गैर-रक्तस्राव कारणों (द्रव का नुकसान) से हो सकता है। रक्त या द्रव के भारी नुकसान से ऊतकों में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है और इसके फलस्वरूप अनेक अंग काम करना बंद कर देते हैं या फिर मरीज की मृत्यु हो जाती है। ऐसे रोगियों को पुनर्जीवित करने के लिए विकसित कारक (एजेंट्स) की सफलता सीमित है, क्योंकि उनमें से अधिकाँश रक्त चाप में सुधार करते हैं लेकिन साथ ही धमनियों को संकुचित कर देते हैं और इस प्रकार महत्वपूर्ण अंग में रक्त की आपूर्ति में सुधार नहीं होता है। ऐसी स्थिति में सेंथेक्विन जीवन-रक्षक का काम करता है और एक प्रथम फार्मूलेशन के रूप में अत्यंत प्रभावकारी भी है।इस यौगिक को भारतीय विनियामक संगठन, सीडीएससीओ द्वारा पहले ही मई 2020 में उत्‍पादन और मार्केटिंग का प्राधिकार मिल चुका है। यूएस एफडीए ने फार्माज़ के फेज-III आईएनडी आवेदन को सीधे स्वीकृति दी और यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने यूरोपियन यूनियन में मार्केटिंग के लिए सेंथेक्विन के विकास में सहायता के लिए नवम्बर 2022 में इसके वैज्ञानिक सलाह को स्वीकार किया। इस ट्रायल को सफलतापूर्वक पूरा करने के साथ सेंथेक्विन श्रेणी में प्रथम एक नया केमिकल एंटिटी बन जाएगा जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी। इसके साथ यह पूरे विश्व में जीवन की रक्षा के लिए अधूरी चिकित्सीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए एक आवश्यक दवा बन जाएगा। सेंथेक्विन नागरिक या सैन्य आबादी में अत्यधिक रक्त हानि वाले रोगियों की जान बचाने में विशेष रूप से मददगार हो सकता है।
फार्माज़ के विषय में :
फार्माज़, इंक. दो स्वीकृत उत्पादों, अनेक दवाओं की स्वीकृति की आशा और एक अनुभवी प्रबंधन टीम के साथ एक नवाचारी बायोफार्मास्यूटिकल कंपनी है। यह विलोब्रूक, इलिनॉइस, यूएसए मे स्थित डेलावेर कारपोरेशन है। इसका कारोबार क्रिटिकल केयर मेडिसिन पर लक्षित थेराप्यूटिक्स की खोज, अधिप्राप्ति विकास एवं वाणिज्यीकरण पर केन्द्रित है। फर्माज़ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड फार्माज़, इंक. की बहुलांश स्वामित्व वाली अनुषंगी है। इसने भारत में लाइफाक्विन की मार्केटिंग का प्राधिकार प्राप्त किया हुआ है।फार्माज़ विविध क्रिटिकल केयर लक्षणों में श्रेणी में प्रथम अनेक नए ड्रग उत्पादों को विकसित कर रही है। हाल में इसे मस्तिष्क आघात के पुचार के लिए भारतीय विनियामक संगठन, सीडीएससीओ की स्वीकृति प्राप्त हुई है। इस कंपनी की मजबूत पेटेंट स्थिति है और आने वाले दिनों में स्वीकृति के लिए अनेक दवायें क्लिनिकल विकास के अलग-अलग चरणों में हैं।