नई दिल्ली- पैन्टोमैथ कैपिटल की प्राइमरी पल्स 2025 रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 से 2025 के बीच भारतीय इक्विटी पूंजी बाजार में अमूल-चूल परिवर्तन देखा गया है। यह बाजार अब केवल फंड जुटाने का एक चक्रीय जरिया मात्र न रहकर, पूंजी निर्माण के लिए संरचनात्मक रूप से एक स्थिर एवं सुदृढ़ मंच के रूप में स्थापित हो चुका है। रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि भारत का आईपीओ बाजार अब एक मज़बूत संरचनात्मक दौर में प्रवेश कर चुका है और सौदों की संख्या के मामले में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। वर्ष 2026 में देश का पूंजी बाजार लगभग 4 लाख करोड़ रूपए के पूंजी निर्माण को सक्षम बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है, जो भारत के प्राथमिक बाजार इकोसिस्टम की बढ़ती गहराई, व्यापकता और परिपक्वता को प्रमाणित करता है। रिपोर्ट के अनुसार, 2020 के बाद का कालखंड भारत के आईपीओ इकोसिस्टम के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ है। मेनबोर्ड और एसएमई दोनों ही श्रेणियों में आईपीओ की संख्या में आई भारी तेजी यह संकेत देती है कि अब कंपनियां केवल अवसरवादी लिस्टिंग के बजाय दीर्घकालिक और स्थायी पूंजी जुटाने की ओर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। इसमें हर स्तर के निवेशकों और जारीकर्ताओं की व्यापक भागीदारी स्पष्ट रूप से झलकती है। पेंटोमथ कैपिटल के सीएमडी महावीर लुनावत ने भारतीय बाजार की प्रगति पर टिप्पणी करते हुए कहा, भारत का वर्तमान आईपीओ बाजार किसी क्षणिक या सामयिक तेजी का मोहताज नहीं है, बल्कि यह इसकी संरचनात्मक परिपक्वता का जीवंत प्रमाण है। आईपीओ की संख्या में उछाल, सौदों के बढ़ते औसत आकार और संस्थागत अनुशासन का एक साथ आना यह सब एक सुदृढ़ और दीर्घकालिक पूंजी-संग्रहण तंत्र की पुष्टि करता है। नियामक सुरक्षा मानकों के निरंतर सशक्त होने से भविष्य का परिदृश्य अत्यंत उत्साहजनक है। हमें विश्वास है कि मज़बूत घरेलू निवेश और चुनिंदा वैश्विक पूंजी के मेल से 2026 में 4 लाख करोड़ रूपए से अधिक की आईपीओ पाइपलाइन’ धरातल पर उतरेगी।उल्लेखनीय है कि 2007 के बाद पहली बार साल 2025 में मेनबोर्ड आईपीओ की संख्या 100 के जादुई आंकड़े को पार कर गई है। उन बाजारों के विपरीत जो कुछ बड़े मेगा लिस्टिंग पर निर्भर होते हैं, भारत की आईपीओ गतिविधियों में हर आकार के इश्यू में निरंतरता देखी गई। खासकर 100-500 करोड़ रूपए और 1,000-2,000 करोड़ रूपए के सेगमेंट में अभूतपूर्व बढ़त दर्ज की गई है।

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