-राजस्थान में निकाय चुनाव में मेयर और निकाय अध्यक्ष के अप्रत्यक्ष चुनाव का मामला
-मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सियासी घमासान
-गहलोत ने कहा बिना चुनाव लड़े बनाया जा सकता है मेयर तो पायलट ने नकारा
परफैक्ट न्यूज ब्यूरो/ जयपुर
निकाय चुनाव को लेकर राजस्थान में कांग्रेस का अंदरूनी सियासी घमासान खुलकर सामने आने लगा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फैसला किया है कि नगर निगम नगर पालिकाओं के मेयर या अध्यक्ष का चुनाव सीधे यानी प्रत्यक्ष के बजाय अप्रत्यक्ष रूप से कराए जाएंगे। लेकिन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इस पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रदेश के शीर्ष नेताओं के बीच चल रही जंग अब मैदान में दिखाई देने लगी है। इसके चलते पूरी पार्टी दो धड़ों में बंटी नजर आ रही है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के खेमे की लड़ाई अब स्पष्ट दिखाई देने लगी है।
राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने निकाय चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर सीधा हमला बोला है। इसके बाद कई कांग्रेसी नेताओं के पक्ष और विपक्ष में बयान आ रहे हैं। पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कई फैसलों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह गवर्नेंस का मुद्दा है। मैं सरकार का हिस्सा हूं और मैं पार्टी का अध्यक्ष भी हूं, यह किसी व्यक्ति का नहीं बल्कि सिद्धांत का सवाल है। सिद्धांत यह है कि लोकतंत्र को परदर्शी बनाने की जरूरत है। पार्टी सिद्धांत के साथ खड़ी है इसलिए हमें ऐसा कोई फैसला स्वीकार नहीं है जो केवल एक व्यक्ति ने लिया हो।
दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बिना कांग्रेस पार्टी को विश्वास में लिए नियम बनाया है कि पार्षद का चुनाव नहीं लड़ने वाला व्यक्ति भी मेयर और स्थानीय निकाय का प्रमुख बन सकता है। लेकिन दोनों के बयान सामने आने के बाद पार्टी में खुली खेमेबंदी शुरू हो गई है और दोनों नेताओं के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं।
सचिन पायलट ने आगे कहा है कि यह मामला उस विश्वास का है जिसे मैं सच मानता हूं और यह जरूरी है। यही राज्य के लिए और हमारे लोगों के लिए सही है, इसलिए मैंने अपना मत प्रकट किया है। पायलट ने कहा कि जबसे सरकार बनी है, पिछले 10 महीनों में केवल तीन कैबिनेट मीटिंग हुई हैं। पिछली मीटिंग में इस पर अप्रत्यक्ष चर्चा हुई थी, लेकिन यह फैसला विभाग ने कैबिनेट की जानकारी के बिना ले लिया।
मंत्रिमंडल में खेमेबंदीः
राजस्थान के मंत्रिमंडल में खेमेबंदी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले कई मंत्री इस निर्णय का खुलकर समर्थन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी मंत्री शांति धारीवाल को नगर निकाय चुनावों के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव कराने का काम सौंपा गया है। राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है। जबकि सचिन पायलट के पक्ष में कोई खुलकर नहीं बोल रहा है।
निकाय को सशक्त बनाने पर जोरः
राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा है कि हमने पहले निकाय चुनावों में प्रत्यक्ष चुनाव कराने का फैसला किया था। लेकिनइस फैसले को बदला गया है। क्योंकि स्थानीय निकाय चुनावों में पार्षदों को सशक्त बनाने की जरूरत है।
रमेश मीणा का सचिन को समर्थनः
उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने खुलकर मुख्यमंत्री के फैसले पर असहमति जताई है। वहीं सरकार में मंत्री रमेश मीणा और जयपुर की पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल ने सचिन पायलट का समर्थन किया है। ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि प्रत्यक्ष चुनाव कराना ज्यादा बेहतर है।
कांग्रेस की हो रही किरकिरीः
उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भले ही अपने नजरिये को कांग्रेस का सिद्धांत बता रहे हों, लेकिन पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि कांग्रेस के भीतर चल रही अंदरूनी कलह ने विपक्ष को सरकार और कांग्रेस की छवि पर कीचड़ उछालने का मौका दे दिया है। पार्टी में चल रहे सियासी संग्राम की वजह से पार्टी की छवि तो खराब हो ही रही है। राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पुनिया ने कहा कि कांग्रेस के भीतर चल रही कलह से राजस्थान के लोगों के हित प्रभावित हो रहे हैं। कांग्रेस निकायों के चुनाव में मेयर पद के लिए प्रत्यक्ष चुनाव कराने के अपने शुरुआती रुख से पीछे हट रही है।