मुंबई- शिवसेना ने शनिवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के गर्भधारण संबंधी दिशा-निर्देशों को भेदभावपूर्ण बताया, जिनके तहत नई भर्ती की स्थिति में तीन महीने से अधिक अवधि की गर्भवती महिला उम्मीदवारों को अस्थाई रूप से अयोग्य माना जाएगा और वे प्रसव के बाद चार महीने के भीतर बैंक में काम शुरू कर सकती हैं। पार्टी ने इन दिशानिर्देशों को निरस्त करने की मांग की। पार्टी की प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्या प्रियंका चतुर्वेदी ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में कहा कि इन दिशानिर्देशों से महिलाओं को सशक्त बनाने की प्रक्रिया को नुकसान होगा।
उन्होंने कहा, नए प्रस्तावित दिशानिर्देशों से महिलाओं के लिए भर्ती और पदोन्नति की प्रक्रिया में देरी होगी। ए दिशानिर्देश ऐसे समय में जारी किए गए हैं जब भारत की महिला कार्यबल की स्थिति खराब हो रही है। इस तरह के प्रतिगामी और लैंगिक भेदभाव वाले दिशानिर्देश महिलाओं के अपवर्जन के साथ-साथ उनको पेश आने वाली असमानता को भी बढ़ा देंगे। एसबीआई के नए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि तीन महीने से ज्यादा समय की गर्भवती महिलाओं को भर्ती के लिए अस्थाई रूप से अयोग्य माना जाएगा। चतुर्वेदी ने कहा कि सीतारमण को एसबीआई को इन दिशानिर्देशों को वापस लेने का निर्देश देना चाहिए और यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी हानिकारक नीतियां न बनाई जाएं।