नई दिल्ली- भारत में स्वीडन के राजदूत क्लास मोलिन ने कहा कि दुनिया भर में लैंगिक समानता का प्रतीक स्वीडन अभी भी पितृसत्ता, मानदंडों और मूल्यों से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में हमारी सोच के विपरित विभिन्न देश लगभग एक जैसे हैं।भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत यूगो एस्तुतो ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दुनिया अभी तक वास्तविक समानता तक नहीं पहुंची है। उन्होंने स्वीडन को, पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में यूरोप द्वारा की गई प्रगति का एक उत्कृष्ट उदाहरण बताया। स्वीडन ने 10 मार्च को एस्टोनिया से यूरोपीय संघ के जेंडर चैंपियन का चक्रीय आधार पर छह महीने के लिए नेतृत्व संभाला। यह एक वैश्विक पहल है जिसका उद्देश्य महिलाओं और बालिकाओं को सशक्त करने तथा उन्हें पूर्ण मानवाधिकार प्रदान करने को बढ़ावा देना है। इस पहल के तहत किसी देश को छह महीने की अवधि के लिए इस दिशा में जोर शोर से काम करना होता है। स्वीडन ने 1974 में मातृत्व अवकाश का नाम बदलकर इसे अभिभावक अवकाश कर दिया। लगभग एक दशक पहले स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में एक हाई स्कूल ने महिलाओं, पुरुषों और अन्य के लिए तीन शौचालयों का चलन शुरू किया था। यह पूछे जाने पर कि क्या लैंगिक असमानता के मामले में भारत और स्वीडन के बीच कोई समानता है, मोलिन ने कहा, सिर्फ भारत और स्वीडन ही नहीं जितना हम सोचते हैं उससे कहीं अधिक और भी देश पारंपरिक और कुछ मायने में एक जैसे हैं। मोलिन ने एक साक्षात्कार में कहा, हम निश्चित रूप से इससे जूझ रहे हैं और अभी भी पारंपरिक मानदंडों से जूझ रहे हैं जो हमारे हित में नहीं हैं। मूल रूप से, नैतिकता की बातें करना आसान है, लेकिन हम अभी भी पितृसत्ता, मानदंडों और मूल्यों के साथ संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरूक करने की इस प्रक्रिया में सूचना और शिक्षा प्रमुख तत्व हैं। एस्टोनिया से ईयू जेंडर चैंपियन का बैटन लेने के बारे में स्वीडन के राजदूत ने कहा कि यह लैंगिक असमानता को खत्म करने में सरकार के सक्रिय प्रयासों को प्रदर्शित करता है। स्वीडन सरकार की वेबसाइट के अनुसार, देश के कुल कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी 47 प्रतिशत है। आंकड़ों के अनुसार, स्वीडन में मातृत्व मृत्यु दर प्रति।,00,000 पर चार 2017 के आंकड़े केअनुसार है। स्वीडन के कानून के तहत, उच्च शिक्षा संस्थानों को हमेशा अपनी गतिविधियों में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना चाहिए और इसका ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा, स्वीडन सरकार ने लैंगिक समानता के राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में योगदान करने के लिए 30 से अधिक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को जागरूकता बढ़ाने का काम सौंपा है। चुनौतियों के बारे में यूरोपीय संघ के राजदूत एस्तुतो ने कहा कि महिलाएं दुनिया की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं, लेकिन इसकी आधी संपत्ति पर उन्हें अधिकार नहीं मिला है। न ही उनका नेतृत्व के पदों पर समानुपातिक प्रतिनिधित्व है। उन्होंने कहा, हमें अभी भी बहुत काम करना है, चाहे वह यूरोप में हो या बाकी दुनिया में। यूरोपीय संघ अपने सदस्य देशों के बीच लैंगिक समानता के एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। यूरोपीय संघ के राजदूत ने कहा, हर छह महीने में एक सदस्य देश लैंगिक मुद्दों को बढ़ावा देने की मुहिम पर काम करता है और इसे यूरोपीय ढांचे के तहत शुरू करने की जिम्मेदारी उठाता है। एस्तुतो ने रूस के हमले का सामना कर रहे यूक्रेन के साथ भी एकजुटता व्यक्त की। एस्तुतो ने यूक्रेन पर रूसी हमले को बिना किसी भडक़ावे के शुरू किया गया युद्ध बताया।