नई दिल्ली – भारत की प्राचीन स्थापत्य कला और वैदिक परंपरा के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, प्रसिद्ध वैदिक देवस्थापति एवं मंदिर स्थापत्य विशेषज्ञ आचार्या हिमानी शास्त्री की नई पुस्तक मंदिर एवं देव स्थापत्य के मूल सिद्धांत प्रमुख शैलियाँ का भव्य विमोचन किया गया। यह पुस्तक मंदिर निर्माण की विविध शैलियों नागर, द्रविड़, बेसर आदि पर गहन शोध और वैदिक शास्त्रों के अनुरूप जानकारी प्रदान करती है। मंदिर निर्माण को ले कर मुख्य रूप से तीन ही शैलियों का जिक्र अधिकांश आता है किंतु लेखक ने इस पुस्तक में भारत की प्रादेशिक मन्दिर निर्माण पद्यतियों को भी उदाहरण के साथ विस्तार से समझाया है। जिनमे गुप्तकाल, चालुक्य, पल्लव और कश्मीर तक के मंदिरों की निर्माण पद्धतियों सहित कई प्रदेशों के मंदिरों की शैलियों का वर्णन है।यह ग्रंथ न केवल स्थापत्य कला के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए अमूल्य है, बल्कि मंदिर निर्माण से जुड़े वास्तुविदों, मूर्तिकारों और धर्माचार्यों के लिए भी एक अनमोल संदर्भ बनकर उभरा है। पुस्तक का उद्देश्य मंदिर निर्माण को मात्र स्थापत्य नहीं, बल्कि ऊर्जा केंद्र और दिव्यता के स्रोत के रूप में पुनः स्थापित करना है।आचार्या हिमानी शास्त्री, एक प्रख्यात ज्योतिषाचार्य, वैदिक देवस्थापति एवं सामाजिक सेविका हैं। वे मैत्रेय संस्थान की अध्यक्ष और हिन्दू मंदिर उत्थान एवं पुनर्निर्माण ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन्होंने प्राचीन मंदिर उत्थान एवं पुनर्निर्माण संकल्प यात्रा जैसी विश्वव्यापी पहल की शुरुआत की है। अब तक वे कई महत्वपूर्ण पुस्तकों की रचना कर चुकी हैं, जिनमें वैदिक देव स्थापत्य के मूल सिद्धांत को विशेष पहचान मिली है।