गुरुग्राम- ब्रेन ट्यूमर सभी आयु वर्गों के लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। ये सौम्य (बेनिग्न) या घातक (मैलिग्नेंट), धीरे बढ़ने वाले या आक्रामक हो सकते हैं, और इनके लक्षण अक्सर आम स्वास्थ्य समस्याओं जैसे लगते हैं। लगातार सिरदर्द, सुबह की मतली, दौरे, दृष्टि में बदलाव, संतुलन की समस्या या व्यक्तित्व में बदलाव ऐसे ही संकेत हैं। प्रारंभिक चिकित्सा जांच अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि समय पर पहचान से इलाज अधिक प्रभावी होता है। बढ़ती जन जागरूकता और उन्नत निदान तकनीकों की उपलब्धता के कारण अब इलाज केवल सर्जरी तक सीमित नहीं है। आज ब्रेन ट्यूमर के इलाज में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी और पुनर्वास (रिहैबिलिटेशन) जैसे कई तरीकों का समन्वय किया जाता है। अब सर्जिकल निर्णय केवल ट्यूमर हटाने तक सीमित नहीं हैं। हम मरीज की जीवन गुणवत्ता बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जैसे स्मृति, गतिशीलता और भाषण की क्षमता को सुरक्षित रखना, ऐसा कहना है डॉ. आदित्य गुप्ता का, निदेशक, न्यूरोसर्जरी एवं सीएनएस रेडियोसर्जरी, आर्टेमिस-अग्रीम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज, आर्टेमिस अस्पताल, गुरुग्राम, दिल्ली एनसीआर का । जिन ट्यूमर को ऑपरेट किया जा सकता है, उनके लिए सर्जरी अब भी उपचार की नींव है। आधुनिक न्यूरोसर्जरी तकनीकों में न्यूरोनेविगेशन, उच्च-रिज़ॉल्यूशन माइक्रोस्कोप, इंट्राओपरेटिव इमेजिंग और रोबोटिक सहायता का उपयोग किया जाता है, जिससे सर्जरी की सटीकता बढ़ती है। जब किसी कारणवश सर्जरी संभव नहीं होती ,जैसे ट्यूमर का स्थान या जटिलता, तब रेडिएशन थेरेपी एक प्रभावशाली विकल्प बनती है। साइबरनाइफ जैसी स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी तकनीकों से ट्यूमर पर केंद्रित रेडिएशन दिया जा सकता है, जिससे स्वस्थ ऊतक प्रभावित नहीं होते। ये नॉन-इनवेसिव प्रक्रियाएं आमतौर पर अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता नहीं रखतीं और रिकवरी का समय भी कम होता है। कीमोथेरेपी विशेष रूप से घातक और बाल्यकालीन ब्रेन ट्यूमर में अहम भूमिका निभाती है। इसके साथ ही, रक्त-मस्तिष्क अवरोध को पार कर ट्यूमर कोशिकाओं तक पहुंचने के लिए नई थेरेपीज़ पर भी काम हो रहा है। लक्षित दवाएं और इम्यूनोथेरेपी कुछ विशेष आनुवंशिक रूप से प्रेरित ट्यूमर में उत्साहजनक परिणाम दिखा रही हैं।

Leave a Reply