नई दिल्ली – ओशो धाम दिल्ली ने ओशो के 93वें जन्मदिवस को एक आध्यात्मिक रूप से समृद्ध समारोह के रूप में मनाया, जिसमें 200 से अधिक लोग प्रेम और श्रद्धा के साथ गुरुदेव के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्रित हुए। इस अवसर पर 25 व्यक्तियों ने सन्यास की दिशा में कदम बढ़ाया, जो उनके आध्यात्मिक मार्ग में एक महत्वपूर्ण मोड़ था और ओशो की शिक्षाओं के अनुरूप था। ओशो सन्यासियों के लिए 11 दिसंबर केवल जन्मदिन का उत्सव नहीं बल्कि ध्यान दिवस भी है, जो ध्यान और आंतरिक जागरण के लिए समर्पित एक दिन है। ओशो धाम में यह आयोजन संगीत, नृत्य, कीर्तन और ध्यान का सुंदर संगम था। जीवंत संगीत प्रस्तुतियों ने उत्सव के माहौल को आनंद और भक्ति से भर दिया, जबकि नृत्य और कीर्तन ने आध्यात्मिक सभा को प्राणवान बना दिया। यह उत्सव उपस्थित सभी को ओशो के दर्शन के अनुसार, वर्तमान क्षण में पूरी तरह से जीने के लिए प्रेरित करता है। इस अवसर पर गहरे ध्यान सत्र भी आयोजित किए गए, जिनका उद्देश्य आंतरिक जागरूकता को बढ़ाना और शांति एवं संबंध की भावना को प्रगाढ़ करना था। नए सन्यासी समुदाय से आशीर्वाद प्राप्त करते हुए एक नई जीवनशैली को अपनाने के लिए खुले दिल और मस्तिष्क के साथ ओशो के मार्ग पर आगे बढ़े। ओशो का 93वां जन्मदिन उत्सव हमारे लिए ओशो के दृष्टिकोण के साथ गहरे रूप से जुड़ने का एक अद्वितीय अवसर था। सन्यास का मार्ग मुक्ति की ओर ले जाता है और यह निर्वाण की ओर एक कदम है। यह देखना प्रेरणादायक था कि 25 नए मित्र अपने आध्यात्मिक पथ पर एक नया कदम बढ़ाते हुए सन्यास ग्रहण कर रहे हैं ओशो धाम दिल्ली के स्वामी चैतन्य कीर्ति ने कहा।ओशो धाम का समुदाय लगातार बढ़ रहा है, जिसमें अधिक से अधिक लोग ओशो द्वारा प्रतिपादित ध्यान, जागरूकता और आंतरिक स्वतंत्रता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। आश्रम ओशो की शिक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और ध्यान एवं आत्म-खोज के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करता है।