भारत के अग्रणी स्टाफिंग समूह टीमलीज़ सर्विसेज (NSE: TeamLease) ने अक्टूबर 2024 से मार्च 2025 तक के लिए अपनी एम्प्लॉयमेंट आउटलुक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट अनुसार, इस अवधि में रोजगार दर में 7.1% की बढ़ोतरी हुई है, जो पिछली छमाही के 6.33% से अधिक है। रिपोर्ट में बताया गया है कि, 59% कंपनियां अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रही हैं,जबकि 22% नियोक्ता अपने मौजूदा स्टाफ को बनाए रखना चाहते हैं। जबकि 19% कंपनियां अपने कर्मचारियों की संख्या में कमी की संभावना जता रही हैं। यह रिपोर्ट दिखाती है कि भारत में रोजगार का परिदृश्य लगातार सक्रिय है। कंपनियां अपनी जरूरतों और उद्योग की मांग के अनुसार काम कर रही हैं, जिससे जॉब मार्केट में सकारात्मक बदलाव आ रहा है।इस साल रोजगार के बढ़ते मौके उन सेक्टरों में देखने को मिले हैं जो तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं, जैसे लॉजिस्टिक्स,ईवी और ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर, कृषि और ई-कॉमर्स। इन सेक्टरों ने टेक्नोलॉजी और इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश किया है, जिससे नौकरी के नए रास्ते खुले हैं। उदाहरण के लिए, लॉजिस्टिक्स सेक्टर में 14.2% की बढ़त हुई है, क्योंकि यहां 69% कंपनियां अपने स्टाफ को बढ़ाने की योजना बना रही हैं। इस सेक्टर में 5जी टेक्नोलॉजी और ग्रीन सप्लाई चेन को अपनाने के प्रयासों ने बड़ा योगदान दिया है। साथ ही, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति का भी फायदा मिला है। लॉजिस्टिक्स के बाद रोजगार देने में सबसे ज्यादा योगदान ईवी और ईवी इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में 12.1% की ग्रोथ देखी गई है, जो इस सेक्टर की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है। कृषि और कृषि रसायन क्षेत्र ने 10.5% की बढ़ोतरी हासिल की है, जबकि ई-कॉमर्स और टेक स्टार्टअप्स में 8.9% की वृद्धि हुई है। ई-कॉमर्स कंपनियां एआई का इस्तेमाल कर ग्राहकों की ज़रूरतों को समझ रही हैं और त्योहारों की मौसमी
मांग का भरपूर फायदा उठा रही हैं। ऑटोमोटिव इंडस्ट्री ने भी स्मार्ट टेक्नोलॉजी को अपनाकर 8.5% की वृद्धि दर्ज की है। रिटेल सेक्टर, जो स्मार्ट स्टोर्स और हाइपरलोकल डिलीवरी पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, ने 8.2%की ग्रोथ दर्ज की है। इन सेक्टरों की यह बढ़त न केवल रोज़गार के अवसर बढ़ा रही है, बल्कि इनोवेशन और आर्थिक विकास को भी गति दे रही है।रोजगार के मौकों में इन इंडस्ट्री ट्रेंड्स के साथ-साथ, अब स्थान के हिसाब से भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। कई नए शहर तेजी से प्रतिभाओं को आकर्षित कर रहे हैं। कोयंबटूर (24.6%) और गुड़गांव (22.6%)जैसे शहर रोजगार के नए केंद्र बनकर उभरे हैं, जो बताता है कि अब नौकरियां पारंपरिक महानगरों से बाहर भी बढ़ रही हैं। फिर भी, बेंगलुरु (53.1%), मुंबई (50.2%), और हैदराबाद (48.2%) जैसे शहर अभी भी सबसे ज्यादा नौकरियों के केंद्र बने हुए हैं। इनके अलावा, कोयंबटूर, गुड़गांव, जयपुर, लखनऊ, और नागपुर जैसे शहरों में बढ़ती कर्मचारियों की मांग दिखाती है कि पूरे देश में रोजगार के अवसर तेजी से फैल रहे हैं। इससे छोटे शहर नौकरी चाहने वालों और कंपनियों के लिए नए और बेहतर विकल्प बनते जा रहे हैं। यह बदलाव नौकरी करने वालों को नए क्षेत्रों में अवसर तलाशने का मौका देता है और कंपनियों को पूरे भारत में बेहतर प्रतिभा खोजने का आज के समय में, कंपनियां केवल खाली पदों को भरने पर ध्यान नहीं दे रहीं, बल्कि उन कर्मचारियों की तलाश कर रही हैं जिनमें खास कौशल हो जो वर्तमान व्यापार और तकनीकी जरूरतों के साथ मेल खाएं। समस्याओं का समाधान (35.3%), समय का प्रबंधन (30.4%), और बिक्री के बाद सेवा (28.4%) जैसे कौशलों वाली नई नौकरियां बेहद महत्वपूर्ण हो गई हैं। वहीं, संचार (57.8%), बिक्री और विपणन (44.6%), और क्रिटिकल थिंकिंग (37.3%) जैसे कौशल अभी भी सबसे जरूरी बने हुए हैं। इसके अलावा, मशीनरी ऑपरेशन और मेंटेनेंस (24.1%) और टीम सहयोग (23.1%) जैसे तकनीकी कौशल कंपनियों को विस्तार के साथ उत्पादकता बनाए रखने में मदद करते हैं। टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल ने उत्पादकता को और भी अहम बना दिया है। 59% कंपनियां रिमोट और हाइब्रिड वर्क मॉडल को सपोर्ट करने के लिए क्लाउड-आधारित समाधानों को प्राथमिकता दे रही हैं, जिससे यह साफ होता है कि कार्यस्थलों में लचीलापन बढ़ रहा है। 45% कंपनियां ऑटोमेशन टूल्स को प्राथमिकता दे रही हैं, जो दोहराए जाने वाले कामों को कम करने में मददगार साबित हो रहे हैं। साथ ही, नई टेक्नोलॉजी जैसे आईओटी (37%), एआई/एमएल (36%), और एडवांस एनालिटिक्स (29%) जैसे समाधान ऑटोमोटिव, हेल्थ सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तुरंत निर्णय लेने की प्रक्रिया को आसान बना रहे हैं। यह बदलाव दिखाता है कि डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिर्फ उत्पादकता बढ़ाने के लिए नहीं हो रहा, बल्कि यह कंपनियों को तेजी से बदलते कामकाज के माहौल में आगे बढ़ने की रणनीतिक क्षमता भी दे रहा है। त्योहारों के सीजन और बदलती मांग को देखते हुए, ई-कॉमर्स (89%), रिटेल (86%), और लॉजिस्टिक्स (83%) जैसे सेक्टर अस्थायी कार्यबल मॉडल को तेजी से अपना रहे हैं। यह मॉडल उन्हें व्यस्त समय में अपने कारोबार और सेवाओं को बेहतर ढंग से संभालने में मदद करता है। वहीं, ऑटोमोटिव सेक्टर (82%) ने थोड़ा अलग तरीका अपनाया है। ये कंपनियां नई भर्तियां करने की बजाय मौजूदा कर्मचारियों के काम के घंटे बढ़ाकर व्यस्त समय की मांग को पूरा कर रही हैं। यह तरीका सैलरी की लागत बढ़ाए बिना उत्पादकता बनाए रखने का एक आकर्षक तरीका है। इसके साथ ही, प्रमुख सरकारी नीतियां और आर्थिक पहल भी रोजगार सृजन को बढ़ावा दे रही हैं। ग्लोबल कैपिबिलिटी सेंटर (GCC) जैसी नीतियों के जरिए भारत की अर्थव्यवस्था में 2025 तक 60 अरब अमेरिकी डॉलर का योगदान होने की उम्मीद है। ये केंद्र टेक्नोलॉजी और अनुसंधान एवं विकास से जुड़े उच्च कौशल वाले रोजगार के अवसर पैदा कर रहे हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारे मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में 10 लाख प्रत्यक्ष और 30 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करने की योजना पर काम कर रहे हैं। सेमीकंडक्टर मिशन के तहत 2025 तक 1.25 लाख करोड़ रुपये के निवेश से 80,000 नई नौकरियां पैदा करने का लक्ष्य है। ये पहल भारत को हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।टीमलीज़ के वाइस प्रेसिडेंट और बिजनेस प्रमुख कृष्णेंदु चटर्जी ने कहा, "हम भारत में रोजगार के परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव देख रहे हैं। अब कंपनियां सिर्फ भर्तियां करने के लिए नहीं, बल्कि अपने कर्मचारियों के कौशल को बदलती कारोबारी जरूरतों के साथ रणनीतिक रूप से जोड़ने पर ध्यान दे रही हैं। टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल, जैसे क्लाउड, एआई और आईओटी, ने न केवल बिजनेस के संचालन को बदल दिया है, बल्कि उन भूमिकाओं और कौशल को भी नया आयाम दिया है, जो इन बदलावों को संभाल सकें। इसका मतलब यह है कि अब कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने का मतलब सिर्फ आंकड़ों में बढ़ोतरी नहीं है, बल्कि यह इस बात पर है कि वे कितने उत्पादक, नवाचारी और अनुकूलनीय हैं। ये बदलाव दिखाते हैं कि कंपनियां अब दीर्घकालिक विकास के लिए एक मजबूत और लचीली कार्यबल तैयार कर रही हैं। यह न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा करने में मदद करेगा, बल्कि कर्मचारियों को तेजी से बदलते हुए बाजार में आगे बढ़ने के लिए तैयार करने का भी एक अहम कदम है।इन बदलावों को ध्यान में रखते हुए, कंपनियां अपने कर्मचारियों को जोड़ने और उन्हें अपने साथ बनाए रखने की रणनीतियों पर अधिक ध्यान दे रही हैं। वर्कफोर्स संरचना पर आर्थिक और तकनीकी बदलावों का प्रभाव साफ नजर आता है। बीएफएसआई, फिनटेक और विद्युत एवं ऊर्जा जैसे सेक्टर एआई टेक्नोलॉजी को अपनाने, रेग्युलेटरी जरूरतों को पूरा करने, रिन्यूएबल एनर्जी के विकास और डिजिटल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने पर काम कर रहे हैं। इन उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, 58% कंपनियां अपनी वर्कफोर्स रणनीतियों को बदलती आर्थिक स्थितियों के अनुसार समायोजित कर रही हैं, जबकि 39% कंपनियां तकनीकी बदलावों के साथ कदम मिलाते हुए डिजिटल कौशल पर जोर दे रही हैं। कर्मचारियों को बनाए रखने के लिए भी कंपनियां काफी सजग हैं। इसके लिए वे कर्मचारी मान्यता कार्यक्रम, कॅरियर विकास के अवसर, बेहतर कार्य-जीवन संतुलन और लचीले कार्य घंटों जैसे उपायों को लागू कर रही हैं। महामारी के बाद कर्मचारियों की बदलती जरूरतों और अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए, कंपनियां ऐसा कार्य वातावरण तैयार करने की कोशिश कर रही हैं, जो न केवल उत्पादकता बढ़ाए, बल्कि कर्मचारियों को संतुष्टि और स्थिरता भी प्रदान करे।इन निष्कर्षों पर बात करते हुए, टीमलीज़ स्टाफिंग के सीईओ कार्तिक नारायण ने कहा,"नौकरी का माहौल तेजी से बदल रहा है और इसे टेक्नोलॉजी और नीतियों से जुड़े बदलाव आकार दे रहे हैं। हमारे आंकड़े दिखाते हैं कि बड़े शहरों से लेकर छोटे, उभरते शहरों तक रोजगार के नए अवसर बढ़ रहे हैं। लॉजिस्टिक्स, ईवी और तकनीकी स्टार्टअप जैसे सेक्टरों में कर्मचारियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए लोग तेजी से अपने कौशल को विकसित कर रहे हैं। जैसे-जैसे कंपनियां लचीले वर्कफोर्स मॉडल को अपना रही हैं, वैसे-वैसे प्रॉब्लम सॉल्विंग, क्रिटिकल थिंकिंग और क्लाउड टेक्नोलॉजी जैसे डिजिटल कौशल बेहद जरूरी हो गए हैं। ये न केवल नौकरी पाने में मदद कर रहे हैं, बल्कि आज के प्रतिस्पर्धात्मक माहौल में कंपनियों को आगे बढ़ने में भी सहायक हैं। इसके साथ ही, सरकार का बुनियादी ढांचे में निवेश और सेमीकंडक्टर मिशन जैसी योजनाएं न केवल नई नौकरियां पैदा कर रही हैं, बल्कि भारत को हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल लीडर बनाने की दिशा में भी कदम बढ़ा रही हैं। इन बदलावों को देखते हुए, कंपनियां अपनी रणनीतियों को इस तरह समायोजित कर रही हैं