नई दिल्ली – आज के कार्यस्थल पहले से कहीं ज्यादा विविधतापूर्ण हैं, और इस विविधता में सबसे अहम योगदान करने वालों में से एक है मल्टी-जैनरेशनल वर्कफोर्स यानी ऐसा कार्यबल जिसमें विभिन्न पीढ़ियों के लोग शामिल हैं। वर्तमान संगठनों के भीतर तेज़ी से विकसित हो रहे पेशेवर माहौल में अलग-अलग मूल्यों, उम्मीदों, कम्यूनिकेशन स्टाईल और कौशल वाले विभिन्न पीढ़ियों के कर्मचारी एक साथ काम कर रहे हैं। इसके चलते संगठनों के सामने अभूतपूर्व चुनौतियाँ और मूल्यवान अवसर दोनों आते हैं। पीढ़ीगत डायनमिक्स को बेहतर ढंग से समझने और अधिक समावेशी वर्कप्लेस रणनीतियां बनाने के लिए संगठन ,कंपनियां आजकल तेजी से डेटा संचालित जानकारी की ओर रुख कर रहे हैं।एचआर निदेशक,जीआई ग्रुप होल्डिंग उपासना रैना ने कहा कि युवा पीढ़ी, खास तौर पर जे़न ज़ी और मिलेनियल्स, काम की परिभाषा को नया आकार दे रहे हैं। यह पीढ़ी लचीलेपन, सेहत, निरंतर सीखने और उद्देश्य की भावना को ज्यादा तवज्जो देते हैं; इनके लिए सफलता के पुराने चले आ रहे मानक (पदवी या कार्यकाल) मायने नहीं रखते। यह पीढ़ी खुली व स्पष्ट बातचीत, समावेशी नेतृत्व और सार्थक योगदान के अवसरों को महत्व देती है। दूसरी ओर, जे़न एक्स, बेबी बूमर्स और ट्रेडिशनिलस्ट सहित पुरानी पीढ़ियां गहन अनुभव, ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, लचीलापन और संरचित नेतृत्व प्रदान करती हैं। उनकी कार्य नीति अक्सर स्थिरता, वफ़ादारी और आमने-सामने बातचीत और स्पष्ट रूप से परिभाषित पद क्रम के लिए प्राथमिकता में निहित होती है। असली चुनौती यह है कि इन अलग-अलग अपेक्षाओं, कम्यूनिकेशन संबंधी पसंद, सीखने की शैलियों और कैरियर की आकांक्षाओं को इस तरह से समेटा जाए कि पीढ़ीगत विभाजन को टकराव की वजह बनने से रोका जा सके। हालांकि, इस चुनौती के भीतर एक अवसर छिपा है। पीढ़ीगत विविधता को अपनाकर, संगठन एक गतिशील और लचीली कार्यस्थल संस्कृति विकसित कर सकते हैं, जो क्रॉस-जैनरेशनल मेंटरिंग, नॉलिज शेयरिंग और समावेशी निर्णय लेने को प्रोत्साहित करती है, इस तरह से हर पीढ़ी की खासियतों व क्षमताओं का लाभ लिया जा सकता है।आज के मल्टी-जैनरेशनल वर्कप्लेस में ’वन साइज़ फिट्स ऑल’ वाली पुरानी सोच वर्कफोर्स मैनेजमेंट के लिए अब नहीं चल सकती। विविधतापूर्ण कार्यबल की ताकत का सही मायने में लाभ उठाने के लिए, अब संगठन डेटा संचालित रणनीतियों को तेजी से अपना रहे हैं ताकि प्रत्येक पीढ़ी की खास जरूरतों, प्राथमिकताओं और अपेक्षाओं को बेहतर ढंग से समझा व संभाला जा सके। मान्यताओं पर भरोसा करने के बजाय, कंपनियां सीखने की पसंद, कर्मचारी जुड़ाव, कार्यस्थल व्यवहार पैटर्न, संतुष्टि के स्तर और फीडबैक ट्रैंड से संबंधित डेटा को सक्रिय रूप से ट्रैक कर रही हैं। कार्यस्थल में अलग-अलग पीढ़ियों की अलग-अलग प्राथमिकताएं होती हैं। वे कैसे काम करते हैं, सीखते हैं, संवाद करते हैं और अपने संगठनों के साथ जुड़ते हैं – इन पहलुओं को समझना जरूरी है ताकि एक समावेशी और उत्पादक वातावरण निर्मित किया जा सके। उदाहरण के लिए, जे़न ज़ी और मिलेनियल जैसी युवा पीढ़ी अक्सर लंबे, औपचारिक ट्रेनिंग सैशन की तुलना में छोटे व ऑन डिमांड लर्निंग मॉड्यूल पसंद करती है। वे पारंपरिक सालाना परफॉरमेंस रिव्यू का इंतजार करने के बजाय इंस्टेंट, रियल-टाईम फीडबैक को महत्व देते हैं और आमतौर पर डिजिटल टूल और टेक्नोलॉजी-संचालित सहयोग के साथ अधिक सहज होते हैं। इसके अतिरिक्त, वे सेवानिवृत्ति योजनाओं या पदोन्नति जैसे पारंपरिक दीर्घकालिक लाभों की तुलना में शॉर्ट टर्म इन्सेंटिव, कैरियर विकास के मौकों और काम पर ’सेंस ऑफ परपज़’ (उद्देश्य की भावना) को प्राथमिकता देते हैं। दूसरी ओर, पुरानी पीढ़ी अधिक स्ट्रक्चर्ड लर्निंग फॉरमेट को पसंद कर सकती है, स्थिरता को महत्व दे सकती है और औपचारिक मान्यता एवं स्पष्ट, हाइरेरकी लीडरशिप स्ट्रक्चर का पक्ष ले सकती है। इन विभिन्न अपेक्षाओं को पहचानते हुए, संगठन सीखने की शैलियों, कम्यूनिकेशन विधियों, पुरस्कार प्रणालियों और कार्यस्थल मूल्यों में पीढ़ीगत प्राथमिकताओं को ट्रैक और विश्लेषण करने के लिए वर्कफोर्स डेटा व ऐनलिटिक्स का उपयोग कर रहे हैं। ये जानकारियां कंपनियों को अपनी नीतियों, प्रतिभा प्रबंधन रणनीतियों, संचार ढांचों और कर्मचारी जुड़ाव पहलों को डिज़ाइन व समायोजित करने में मदद करती हैं ताकि वे प्रत्येक पीढ़ी के साथ बेहतर तालमेल बिठा सकें। ऐसा करने से, संगठन एक कार्यस्थल संस्कृति को बढ़ावा देते हैं जहां हर कर्मचारी को समझा जाता है, मूल्यवान माना जाता है और अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के अनुरूप योगदान करने के लिए सशक्त बनाया जाता है। संक्षेप में, मल्टी-जैनरेशनल वर्कफोर्स को प्रबंधित करने की चुनौती नहीं है, बल्कि इसे अपनाया जाना चाहिए। डेटा-संचालित जानकारी का लाभ उठाकर और कार्यस्थल की नीतियों, नेतृत्व दृष्टिकोणों व कर्मचारी अनुभवों को प्रत्येक पीढ़ी की अनूठी अपेक्षाओं के साथ जोड़ कर, संगठन समावेशी, अनुकूल एवं भविष्य के लिए तैयार कार्यबल का निर्माण कर सकते हैं। जब पीढ़ीगत विविधता को सहयोग, इनोवेशन और आपसी विकास के अवसर के रूप में देखा जाता है, तो यह संगठनात्मक लचीलेपन को मजबूत करता है और स्थायी सफलता को बढ़ावा देता है।