महापौर मुकेश सुर्यान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री द्वारा नगर निगमों पर बकाया फंड को लेकर लगाए गए झूठे आरोपों का खंडन किया। उन्होंने ने कहा कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री को यह शोभा नहीं देता है कि वह इस प्रकार फंड को लेकर गलत आंकड़े पेश करे और जनता से झूठ बोले, अगर नगर निगमों को दिल्ली सरकार से फंड प्राप्त हुआ होता तो उनके बैंक खाते में भी आता। सिर्फ कागजों में फंड दर्शाने से नगर निगमों को विकास कार्यों के लिए पैसा प्राप्त नहीं होता। उन्होंनें कहा कि दिल्ली सरकार की यह मंशा है कि निगम चुनावों से पहले नगर निगमों को बिलकुल निष्क्रिय बना दिया जाए। दिल्ली सरकार द्वारा लगातार ऐसे बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे है ताकि नगर निगमों की छवि को धूमिल किया जा सके। महापौर ने दिल्ली सरकार को यह चुनौती दी कि अगर उनके आरोपों में सच्चाई है तो उन्हें साबित करके दिखाए। महापौर द्वारा दिल्ली सरकार पर बकाया फंड को लेकर आंकड़े पेश किए गए। सुर्यान ने बताया कि वर्ष 2016 से अब तक दिल्ली सरकार पर दक्षिणी निगम का प्लान मद में 1482.19 करोड़ रु व नॉन प्लान मद में 708.63 करोड़ रु बकाया है। पांचवे वित्तीय आयोग की सिफारिशों के अनुसार दक्षिणी निगम को प्लान मद में इस वर्ष 2021-22 में 878.10 करोड़ रु का अनुदान मिलना था लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा सिर्फ 371.36 करोड़ रु ही प्राप्त हुआ है जबकि नॉन प्लान मद में 405.28 करोड़ रु का अनुदान मिलना था और केवल 246.05 करोड़ रु ही मिला है। उन्होंनें बताया कि तीसरे वित्तीय आयोग के सिफारिशों के अनुसार वर्ष 2012 से लेकर 2016 तक 427.69 करोड़ रु बकाया है जिसे लेने के लिए कोर्ट में केस चल रहा है। महापौर ने कहा कि दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री नगर निगमों की जांच कराने की बात कर रहे है लेकिन उन्हें यह बताना होगा कि दिल्ली में कैसे इतने अवैध शराब के ठेके खुल रहे है। दिल्ली सरकार को पहले इन अवैध शराब के ठेकों की जांच करानी होगी जो बिना किसी एनओसी या उचित पॉलिसी के खुल गए है। स्थायी समिति के अध्यक्ष बीके ऑबराय ने बताया कि दिल्ली के तीनों नगर निगम इस समय विषम आर्थिक संकट से गुजर रहे है और अधिकारियों तथा कर्मचारियों को वेतन देने की स्थिति में नहीं है। फंड न होने के कारण हमारीेेे सभी योजनाएं व विकास कार्य बाधित हो रहे है। नगर निगम स्वच्छता, कोरोना व मच्छरजनित बीमारियों के नियंत्रण, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों व स्कूलों को चलाने जैसे मुख्य दायित्वों को नहीं निभा पा रही है। उन्होंनें कहा कि इस स्थिति में दिल्ली सरकार हमें आर्थिक रूप से पंगु बनाना चाहती है लेकिन हम अपना बकाया फंड लेकर रहेंगे यह हमारा अधिकार है।