नई दिल्ली-प्रदेश कांग्रेस ने केंद्र सरकार से दिल्ली नगर निगम के एकीकरण से पहले तीनों निगमों में आर्थिक संकट सहित करोड़ों के घाटे की भरपाई और भविष्य में फंड आवंटन के प्रश्न को दूर करने का आग्रह किया है। कांग्रेस दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी का कहना है कि आगामी निगम चुनावों में हारने के डर से केंद्र सरकार का तीनों निगमों को एकीकृत करने षडय़ंत्र पूरी तरह से निगम चुनावों को टालने के लिए किया गया है, जबकि अरविंद केजरीवाल की निष्क्रियता, प्रशासनिक विफलताओं और कर्मचारियों के वेतन देनदारी के लिए फंड को जानबूझ कर रोकने सहित आरोप प्रत्यारोप की राजनीति के चलते आम आदमी पार्टी यह समझ चुकी है कि दिल्ली में उसकी जमीन खिसक रही है। उन्होंने कहा कि निगमों के एकीकरण के पश्चात भविष्य में फंड की सहूलियत, बची हुई केंद्र और दिल्ली सरकार की देनदारी के लिए भाजपा की भाजपा की केंद्र सरकार किन समीकरणों को गठजोड़ बैठाएगी, यह समझ से परे है। अनिल चौधरी ने कहा कि बड़ा प्रश्न है कि निगमों में आर्थिक घाटे के चलते अधिकारियों, कर्मचारियों को 3 महीनें से वेतन नहीं मिला है जबकि पीएफ, जीएफ की राशि जमा करने व सेवानिवृत कर्मचारियों की पेंशन प्रतिमाह दिया जाना, बहुत बड़ा आर्थिक मुद्दा है जबकि तीनों निगमों का वार्षिक बजट 25000 करोड़ है जिसमें से 12000 करोड़ रुपए कर्मचारियों की वेतन में चले जाते हैं और अब भाजपा 10 हजार रुपए प्रतिमाह निगम पार्षदों का वेतन भी तय करने की मंशा बना रही है तो ऐसे में प्रधानमंत्री किस योजना के तहत निगमों का एकीकरण करके इसे सुचारु रूप से चलाने के लिए इसका गठन करेंगे उन्होंने कहा कि वेतन के अभाव में सफाई कर्मचारियों की लगातार हड़ताल से निगमों सहित भाजपा की छवि मतदाताओं से छिपी नहीं है।