नई दिल्ली- देश की राजधानी दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन को लेकर किए जाने वाले सरकार के दावे खोखले साबित हो रही हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली परिवहन निगम  के बेड़े में तमाम प्रयास के बावजूद बीते 11 सालों में एक भी नई बस शामिल नहीं हो सकी है। पहले डीटीसी के बेड़े में तकरीबन 6200 बसें हुआ करती थीं, जो अब घटकर मात्र 3762 रह गई हैं। दरअसल, मियाद पूरी होने के बाद बसों की संख्या लगातार घट रही है। यही हाल रहा तो आने वाले समय में डीटीसी के बेड़े में गिनी चुनी बसें ही रह जाएंगी। वर्तमान में डीटीसी के बेड़े में 3762 बसें हैं, जो बढऩे के बजाय कम होती जा रही हैं। पिछले 11 सालों में डीटीसी बसों की संख्या काफी कम हो गई हैं। 2010-11 में बसों की संख्या 6200 से अधिक थीं। एक रिपोर्ट के अनुसार डीटीसी के बेड़े में वर्ष 2017-18 में 3974 बसें थीं। 2018-19 में बढ़ाकर इसे 4176 किया जाना था, लेकिन यह आंकड़ा 3897 ही रहा। वहीं 2020-21 में यह संख्या घटकर 3781 रह गई है। जबकि, 2021-22 में घटते-घटते इनकी संख्या मात्र 3762 ही रह गई है। आंकड़ों के मुताबिक 2010 से लेकर 2022 के बीच 2438 बसें कम हुई हैं। कई बसों की मियाद पूरी हो चुकी है, तो कई की होनी हैं। दिल्ली में कुछ साल पहले लो फ्लोर बस और कुछ स्टैंडर्ड फ्लोर की बसें चला करती थीं। पर अब स्टैंडर्ड फ्लोर की बसों का संचालन पूरी तरह से बंद हो गया है। ये बसें दिल्ली की सडक़ों पर पहली बार साल 2000 में उतरी थीं। वहीं, लो फ्लोर एसी और नॉन एसी बसों की पहली खेप साल 2007-2008 में आई थी। उस समय यह निर्धारित किया गया था कि ये बसें या तो साढ़े सात लाख किलोमीटर या फिर 12-13 साल तक चलाई जा सकती हैं। अब वे बसें ही चल रही हैं जो डीटीसी के बेड़े में राष्ट्रमंडल खेलों के समय शामिल हुई थीं। इसके अनुसार 2021 में 1000, 2022 में 1000, और 2023 में 1000 बसों की मियाद पूरी होगी। वर्तमान में डीटीसी के बेड़े में 3781 बसें शामिल हैं। 3000 बसें हट जाने के बाद 2024 में डीटीसी के बेड़े में 781 बसें ही रह जाएंगी।कैपिटल ड्राइवर वेलफेयर एसोसिएशन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष चंदू चौरसिया ने बताया कि आगामी कुछ सालों में डीटीसी के बेड़े में कुछ गिनी चुनी बसें ही रह जाएंगी। उन्होंने बताया कि डीटीसी की ज्यादातर बसों की मियाद 2019-20 में खत्म हो चुकी है। मियाद पूरी होने के बाद लगातार कम हो रही बसों की वजह से डिपो की संख्या भी घट गई है। जहां डीटीसी के 46 बस डिपो थे। वह घटकर 35 ही बचे हैं। इनमें से कुछ में अब क्लस्टर बसों का संचालन किया जाता है। उनका कहना है कि क्लस्टर की बसें बढ़ रही हैं और डीटीसी की बसें कम होती जा रही हैं। यही हाल रहा तो आगे वाले कुछ सालों में डीटीसी ही बंद होने के कगार पर पहुंच जाएगी। उधर, डीटीसी के एक अधिकारी ने कहा कि अगले साल तक डीटीसी के बेड़े में एक हजार सीएनजी लो फ्लोर बसें जुड़ जाएंगी। इसकी तैयारी चल रही हैं। 2024 तक कम से 4 हजार बसें डीटीसी के बेड़े में आ चुकी होंगी। डीटीसी के बेड़े में चलने वाली बसें-एसी बस 1255,
नॉन एसी बस 2505,इलेक्ट्रिक बस 02,कुल संख्या 3762,पर्यावरण बस 860दिल्ली में लगातार कम हो रही बसों की संख्या के कारण लोगों की हर रोज भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऊपर से कोरोना महामारी के कारण निर्धारित की गई सवारियों की संख्या के कारण निर्धारित सवारी ही बसों में सफर कर पाती हैं। जिसके चलते काफी समय तक सवारियों को बसों का इंतजार करना पड़ता है। हालांकि, लोगों की इस समस्या को देखते हुए सरकार की ओर से 860 पर्यावरण बसें चलाई गई हैं। लेकिन, एक अनुमान के मुताबिक बसों में हर रोज सफर करने वाली करीब 35 लाख लोगों की संख्या के मुकाबले यह बहुत कम है। जिसकी वजह से हर रोज लोग घंटों बस स्टेंडों पर बसों का इंतजार करते नजर आते हैं।